फोटो बहुत दूर से लिया हुआ है ……. क्यूँ कि उन पक्षियों की आजादी में खलल ना पड़े …… इन पक्षी-बच्चों का जन्म ,मेरे जन्मदिन के दिन ही हुआ … निगरानी तो मैं घोसला बनाना शुरू हुआ ,तभी से कर रही थी .…जन्मदिन के दिन इनकी कोलाहल से ही आँख खुली …. प्रकृति का तौहफा पा ,मन प्रसन्न हो गया ……
एक कहानी तितली की जुबानी ......
बिहार की स्थिति
मौसम मोहक हुआ
पिया की तलाश
हम जीवन-साथी हैं .....
हमें संग-संग रहना है .....
चलो एक घरौंदा बनाये .....
व्यथा के दिन
आनंदमय क्षण
जीने के पल
कैमरा पास नहीं होने का अफसोस हो गया .... कैमरा होता तो ज़ूम कर फोटो खिचती तो साफ तस्वीर आता .... मोबाइल से दूर से फोटो खिचना पड़ा .... एक तो बारिश बहुत हो रही थी .... दूसरा मेरी खुद की लंबाई बहुत कम है .... घोसला बहुत ऊंचाई पर था .... नजदीक जाने से दिखलाई भी नहीं दे रहा था .... दूसरे चिड़िया उड़ भी जाती थी .... तो डर लगता था कि कहीं अंडा न खराब हो जाये ....
कभी रोटी बना रही होती या चाय छानना होता था .... तभी फोटो खिचने का समय भी होता था ....
कुछ अफ़सोस मुझे भी है ....
एक माँ की महिमा
इंतज़ार कर रही ..... तुम कब आओगे ....
कौन कहता है ....
बच्चों की जिम्मेदारी
पिता नहीं उठाते हैं .....
जिम्मेदारी हम दोनों की है ,
प्यार से निभाते हैं ....
माँ भोजन की खोज में गई
टिक-टिक मौसी पहरेदारी में
उठो ना ……. देखो मैं आ गया …… आप भी ऐसा ही रहे होंगे .....
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..... भूख - प्यास से व्याकुल .....
ये चार भाई-बहन या भाई-भाई हैं ……