सच है ....
कोई अपना दर्द उधेड़ता है
तो आख़िरकार
सब के हंसने का सबब बनता है .....
नाज़ बनाए रखो
बंद मुट्ठी लाख की
खुल जाए तो खाक की .....
जो बचा न सके साख
खोखली साख की ....
जिनकी खुल गई मुट्ठी
लगा सकोगे अंदाज़ा दर्दे दिल की
छटपटाहट जीने के जुनून की ....
ज़िंदगी को बदलने में
वक़्त नहीं लगता
पर कभी-कभी
वक़्त को बदलने में
ज़िंदगी लग जाती है ....
Nice www.hinditechtrick.blogspot.com
ReplyDeleteपीड़ा अपनी मन में पोषित,
ReplyDeleteदुख संवेग न जाने कोय।
ज़िंदगी को बदलने में
ReplyDeleteवक़्त नहीं लगता
पर कभी-कभी
वक़्त को बदलने में
ज़िंदगी लग जाती है ....
शानदार।।।
नाज़ बनाए रखो
ReplyDeleteबंद मुट्ठी लाख की
खुल जाए तो खाक की .....
सहजता से कितनी गहरी बात कह दी आपने
अदभुत-----
सादर
"ज्योति"
सच है .......जो होता है अच्छे के लिए होता है .
ReplyDeleteज़िंदगी को बदलने में
ReplyDeleteवक़्त नहीं लगता
पर कभी-कभी
वक़्त को बदलने में
ज़िंदगी लग जाती है ....bahut badi aur gahan baaten wayakt kar diya vibha jee ..in panktiyon ke madhayam se ....
सुंदर रचना...
ReplyDeleteआप की ये रचना आने वाले शनीवार यानी 7 सितंबर 2013 को ब्लौग प्रसारण पर लिंक की जा रही है...आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है... आप इस हलचल में शामिल अन्य रचनाओं पर भी अपनी दृष्टि डालें...इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है...
कविता मंच[आप सब का मंच]
हमारा अतीत [जो खो गया है उसे वापिस लाने में आप भी कुछ अवश्य लिखें]
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
शानदार।।।भावो का सुन्दर समायोजन....
ReplyDeleteज़िंदगी को बदलने में
ReplyDeleteवक़्त नहीं लगता
पर कभी-कभी
वक़्त को बदलने में
ज़िंदगी लग जाती है ....
बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियाँ.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
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