मैं 11 अगस्त को पटना से बरौनी शिफ्ट हुई …… कैमरा लाना जरुरी नहीं लगा , क्यूँ कि महबूब नया कैमरा लाने वाला था …… लेकिन ये ध्यान नहीं रहा कि वो लेकर आयेगा तो लेकर जायेगा भी …… जंगल पहाड़ झरने मुझे बहुत आकर्षित करते हैं ,लेकिन अब तस्वीर खीचने का शौक नहीं रहा ,क्यूँ कि अब घर में जगह नहीं है तस्वीर रखने की … लेकिन इन पक्षियों की दिनचर्या से बहुत आकर्षित हुई और तस्वीर संजोने से अपने को रोक नहीं पाई ……. तस्वीर साफ नहीं है लेकिन खुबसूरत लम्हा है …….
17 अगस्त को इनके घोसले पर नज़र गई और
29 को अंडा फूटा इनका जन्म हुआ
आज 7 सितम्बर को ये फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
लो ये तो गए ......
कल तक जन्मदात्री पर निर्भर
अँधेरी रात है
सुबह तो होने देते
आज अपने पंख पर यकीन
लो हम तो गगन को नापने चले
इन्हें पता है ,इनकी तस्वीर उतारी जा रही है .....
एक क्लिक होते ही …. दूसरी पोज …
इन्हें पता है , मुझे नाश्ता बनानी है ,
लेकिन एक बार ये गगन को छू लिए
तो पहचानूंगी कैसे मेहमान को ….
आश्चर्य है ना …… ये अपने जन्मदात्री को कैसे पहचानते होंगे …… एक बार नभ को नाप लेने के बाद …… कैसे ऋण उतारते होंगे , अपनी जन्मदात्री का .… फिर हम इन्सान ही क्यूँ चिल- पो मचाते हैं ……. क्यूँ उम्मीद में जीते हैं ,कल कैसे होगा ……. क्या होगा …. जो होगा .... जैसे होगा .... कल की बात कल देख लेंगे जो हमारे करीब होंगे …… सोच-सोच अपना आज ख़राब करते ही हैं ……. बच्चो को भी चैन से जीने नहीं देते …….
ऐसा नहीं है कि बुढ़ापा से रु ब रु नहीं हूँ .....
या
ऐसा भी नहीं है बुढ़ापे ने दस्तक नहीं दे चुका है ......
बस बुढ़ापे से डर नहीं लगता ....
जानती हूँ
आम बो चुकी हूँ और आम ही खाने को मिलेगा
अहंकार नहीं अभिमान है .....
अपने दिये गए संस्कारो पर पूरा विश्वास है
आखिर उड़ ही गये नाजुक बच्चे
महरूम कर गये अपने गुंजन से
बेरोजगार हो गए हम तो फिर से
~~
सचमुच आश्चर्य ही है... उनका होना और फिर उनका उड़ जाना भी!
ReplyDeleteसुन्दर!
एक अच्छी रचना !
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया..
ReplyDeleteतस्वीरें दिख नहीं रही.
ReplyDeleteलेख और कविता के भाव जिंदगी का सच है ...
ReplyDeleteतस्वीरें सच में नहीं दिख रही ...विभा दीदी
फोटो दुबारे अपलोड करें ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-09-2013) के चर्चा मंच -1362 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteएक अच्छी रचना जो प्राणवान निकली धन्यवाद।
ReplyDeleteसादर प्रणाम |
ReplyDeleteजीवन का यही सत्य है|
अत्यन्त सकारात्मक लेखक |
सार्थक सन्देश |
-अजय
गुड ईव्हनिंग दीदी
ReplyDeleteनेट सेलो चल रहा है
फोटो नही खुले
कल देखूँगी....समय मिला तो
आज तो बच्चों को बाल-कविताएँ पढ़ा रही हूँ
सादर
बहुत सुंदर रचना ,,,किन्तु फोटो देखने को नही मिली,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समझ में आया बापू .
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपता लगाये किसने आपकी पोस्ट को चोरी किया है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
ReplyDeleteबड़ी ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteoh / net ki vajah se photo show nahi hue ------------mae fir aaungi / inhe dekhne k liye
ReplyDeleteतस्वीरें नहीं दिख पा रही ...
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति है ... रचना मन को छूती है ...
सुंदर प्रस्तुति, लेकिन तस्वीर नहीं खुल पायी .
ReplyDeleteयही तो प्रकृति का अनमोल उपहार है उनके लिए अगर मोहग्रस्त होंगे तो उडान कैसे भरेंगे ...चित्र मुझे भी नहीं दिखा दीखता तो ज्यादा अच्छा लगता ....
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