आओ ना ..... आओ ना मॉनसून ....
वसंत के मोहक
वातावरण में ,
धरती हंसती ,
खेलती जवान होती ,
ग्रीष्म की आहट के
साथ-साथ धरा का
यौवन तपना शुरू हुआ ,
जेठ का महीना
जलाता-तड़पाता
उर्वर एवं
उपजाऊ बना जाता ,
बादल आषाढ़ का
उमड़ता - घुमड़ता
प्यार जता जाता ,
प्रकृति के सारे
बंधनों को तोड़ता ,
पृथ्वी को सुहागन
बना जाता ....
नए - नए
कोपलों का
इन्तजार होता ....
मॉनसून जब
धरा का
आलिंगन
करने आता ....
आओ ना मॉनसून
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सच में अब तो मानसून को आपका कहना मानना ही चाहिए...बहुत परेशान कर दिया गर्मी ने...
ReplyDeletesundar v samyik post .badhai
ReplyDeleteउम्मीद है आपकी पुकार जल्दी ही सुनाई दे.
ReplyDeleteशुक्रिया और आभार आपका
ReplyDeletenhi sun raha abhi bhi mansoon
ReplyDeleteअब तो मानसून को आना ही होगा..नहीं तो खैर नही.. और साथ ही साथ बहुत ही बधाई
ReplyDeleteसुन्दर चित्रण...
ReplyDeleteअति सुन्दर..... बधाई आपको
ReplyDeleteवाह ! बेहद सुंदर अभिव्यक्ति !
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