इस हफ्ते ये हमारी तांका प्रतियोगिता है
और
इस बार किसी भी रंग जैसे लाल ,नीला ,हरा या पीला आदि का नाम
आपके तांका में आना चाहिए यानीकि
इस बार लिखना है हमें कलर फुल तांका और
ये थीम हमें दी है हमारे ग्रुप एडमिन
आदरणीय योगेन्द्र वर्मा सर ने
1
जेठ महीना
सूर्य है लाल पीला
पलाश खिला
अमृत विष दोनों
चटक गई धरा
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2
खोजते सब
गौरेया की फुदकी
मन के काले
विरुध काट डाले
घोसला नीव नोचे
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3
जख्म हरा है
कन्या कोख में मरी
खुद से गिला
जग की उल्टी रीत
हर लेती है मति
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4
बर्फ की वर्षा
सृष्टि गई दहल
चैन ना कहीं
श्वेत चादर ओढ
ठिठुर गई धरा
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हाइगा
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हाइकु
1
मिट्टी के कण
चाक व अग्नि चढे़
सिंधु समेटे
(गागर में सागर)
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2
मिलाता धुरा
जीवन भुरभुरा
कर्म का बुरा
=धुरा(मिट्टी)=
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3
पड़े दरार
मन भेद ना बने
मत भेद से ।
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4
आस को सांस
बीजड़ा दौड़ा खेत
झड़ा दौंगरा ।
दौंगरा = पहली बारिश
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खोजते सब
ReplyDeleteगौरेया की फुदकी
मन के काले
विरुध काट डाले
घोसला नीव नोचे
पड़े दरार
मन भेद ना बने
मत भेद से ।
बहुत ही खुबसूरत थी सारी.....ये दोनों तो मुझे बहुत पसंद आई.
God Bless you
Deleteसुंदर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteसारे बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteआपकी क्षणिकाएं पसंद आयीं , आभार !
ReplyDeleteआभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteभाव और रंग दोनों बखूबी मिले हैं. सुन्दर कृति.
ReplyDeleteसभी तांका और हाइकु बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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