Tuesday 18 November 2014

ओस



1
कांच की मोती
किरणें फोड़ देती
पत्ते लटकी।
===
2
कांच भी साक्ष्य
स्वप्न दुर्वाक्षि टंगा
नभ के आँसू।
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3
क्यूँ पहचाने
अपने व पराये
स्व दर्द पाये।
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4
जीवी का रोला
वल्ली खिली कलासी
पंक में पद्म ।

रोला = घमासान युद्ध
कलासी = दो पत्थर या दो लकड़ी के जोड़ के बीच का स्थान
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5
हिम का झब्बा
काढ़े शीत कशीदा
भू शादी जोड़ा।

रेशम ,कलाबत्तू के तारों का गुच्छा = झब्बा 
silk and silver or gold thread twisted together

===
6
भय से पीला
सूर्य-तल्खी है झेले
नीलाभ सिन्धु ।
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7
चिप्पी ज्यूँ जोड़े
उधेड़ ही जायेंगे
दिया जो धोखा ।

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एतकाद मेहनत पर हो जाता है
वक्ती - मुसीबत हल हो जाता है
हो जाता है खुद पर अगर भरोसा
पसोपेश मुश्तबहा दूर हो जाता है 

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10 comments:

  1. अरे वाह!!.....बहुत अच्छी लगी रचना.

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  2. सुन्दर, अर्थपूर्ण हाइकु...बधाई स्वीकारें…

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  3. बहुत ही अर्थपूर्ण हैं सभी हाइकू ...

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  4. सभी हाइकु बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हैं. बधाई.

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  5. सब एक से एक हैं दीदी! तस्वीर सी खिंच जाती है!!

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  6. chaliye ye to dikh gaya sundar hiku.....

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  7. वाह...बहुत सुन्दर...

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  8. सभी हाइकु बहुत सुन्दर

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  9. वाह बहुत खूब। बहुत ही सुंदर रचना।

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