मत सोचा करो, कल की चिंता में मत घुला करो
वरना हृदयाघात पर अपने हाथ मत मला करो
सोलह-अठारह गुजर गया फँस उन्नीस-बीस के चाल में
उंगलियाँ ठहर गई बेकल उलझी-उलझी खिचड़ी बाल में
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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !! आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!
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