Saturday, 27 April 2019

"मतदान जन की शान"



तन कहीं मन कहीं आत्मा कहीं कर्मा कहीं
जीवन उन्नयन का लक्ष्य जन्मा वहीं
जनतांत्रिक परंपराओं का बना मसाला
नैतिकताओं का ढ़कोसला जनसेवा में घोटाला
रीत पुरानी जुबान फिसले मैं-मैं की शैली
हित निराली जनता की थाती बंट जाती रैली
छाती पर मूंग दला बरगद के खोखर पीपल अनमेल
कैसे , क्या, कब के फेर में पड़े जनता चुने अकाशबेल
तानाशाही प्रवृतियां पल्लिवत बने विष बेल
लोकतंत्र का महापर्व अधिकार भी कर्तव्य भी मतदान
घनघोर निराशा के भंवर में फंसे जन की शान
किसी दल में नाव जो बिना पतवार के बह रही हो
किसी दल में  जातिवादी , पल में तोला  पल में माशा सह रही हो
हर घपला जनादेश का 'मति भ्रम' सत्ता के नशे में चूर
जन सदमे की सूरत में उन्हें नहीं चाहिए नेता क्रूर

5 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 27/04/2019 की बुलेटिन, " यमराज से पंगा - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. ख़ालिस धोखा, सीधा-सादा,
    फिर से पूरा, हुआ न वादा,
    दो गुण से, शोभित प्रत्याशी,
    आधा चोर, गिरहकट आधा.




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  3. जो कुछ भी आपने लिखा सीधे मन में उतरता चला गया... 

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

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