"यह क्या है?" कुछ तस्वीरें कुमुद के सामने फेंकते हुए कुमुद के पति केशव ने पूछा।
"कोडईकनाल की यादें!"
"बैरे ही मिले थे, सामूहिक तस्वीरों के लिए? अपना जो स्टेटस है उसके स्टैंडर्ड का तो ख्याल करती.., हम संस्था के शताब्दी वार्षिकोत्सव मनाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर फाइव स्टार होटल बुक करते हैं , पूरे देश से हर प्रान्त के नामचीन हस्ती और उनकी पत्नियाँ जुटी थीं। और तुम?"
"बच्चे जिस उत्साह से खाना खिला रहे थे उसमें उनका स्तर मुझे नहीं दिखा... उसके बदले में मैं उन्हें यही दे सकती थी...!"
"उन्हें उसके लिए ही पैसे मिलते हैं..,"
"इसलिए तो मैं उन्हें टिप्स में नशा छोड़ने का सलाह-सुझाव दी! बाद में एक बच्चा मेरा पैर छूने आया था जब। मेरे सामने उसने सिगरेट के टुकड़े कर फिर कभी नहीं पीने का वादा किया और हमेशा सम्पर्क में है।"
आपके द्वारा चयन किये जाने पर हार्दिक प्रसन्नता होती है..
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आपका
सच है. स्नेह के रूतबे के आगे धन दौलत का रूतबा मायने नहीं रखता!
ReplyDeleteसुन्दर लघु कथा। प्रेम के आगे दौलत और रुतबे का कुछ भी मोल नहीं है।
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