Wednesday, 5 June 2013

जीवन 80% आनंद है और 20 % दुख है .... The best creation of God ....


Never blame any one in LIFE ,
WORST people give a LESSON
BAD people give EXPEREINSE
GOOD people give HAPPINESS
BEST people give MEMORIES

۞
दुनिया को बदलना है .... पहले खुद को तो बदल लीजिये ....
किसी ने कहा , अपनी शक्ल भी तो आईने में देखो ....
۞
किसी ने कहा दुनिया ही एक आईना है , जिसमें सबका Attitude(मुद्रा-व्यवहार)Reflect (टकराने के बाद वापस मुड़ना .... अर्थात , जैसा जायेगा , वैसा ही मिलेगा) होता है ....
बोये पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय ....
۞
किसी ने कहा एक चम्मच घी हवन में डालो .... अग्नि अपने माध्यम के द्वारा पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित कर शुद्ध कर देगी..
۞
दूसरों को प्यार के दौलत से मालामाल कर खुद प्रेम से लबालब हो सकते हैं ....
۞
जहां में मुस्कान बाँटिए .... हमें मुस्कान खोजनी नहीं पड़ेगी ....
۞
हमेशा दूसरों की प्रशंसा कीजिये आपकी प्रशंसा करने के लिए दूसरे मजबूर हो जायेंगे ....
۞
आभार व्यक्त कीजिये ,लोग आपके आभारी होगें ही
۞
नफरत करेंगे , नफरत ही तो लौट कर आयेगी ....
۞
जिसकी आदत होती है , दूसरों की निंदा-चुगली करने की , उसकी निंदा क्यूँ ना हो भला ....
۞
दूसरों के प्रति गुस्से की भावना रखना अपने लिए उनके मन में गुस्सा पैदा करना होगा ....
۞
दूसरों में अच्छाई देखते हैं तो उन्हें मजबूर करते हैं कि वे भी आपकी अच्छाई ही देखें ....
۞
आप दूसरों में आशा की किरण देखते हैं , यह आपके भीतर की आशा दिखलाई पड़ती है ....
۞
आप में चिल्लाने की आदत है तो सभी आप पर चिल्लायेगें ही ....
۞
जुबान से मधुर होना चाहिए .... नहीं तो अच्छे स्लोगन तो दीवारों पर भी लिखे होते हैं ....
۞
एक अच्छा श्रोता बनिये .... धैर्य पूर्वक दूसरों की बातें सुनिए .... आपकी बात भी जरूर सुनी जाएगी ....
कम बोलने की आदत होगी तो उम्दा बातें बोलियेगा .... नहीं तो सब कहेगें कि बकर-बकर तो करता ही रहता है .... एक चुप्पा सौ वक्ता पर भारी ....
۞
अपने अंदर दूसरों को समझने की शक्ति को पनपने दीजिये .... तभी तो आप को दूसरे समझ पाएंगे ....
۞
किसी की भी मदद के लिए तत्पर रहिए .... कोई जरूरी नहीं कि जब आप को जरूरत हो कोई की मदद की तो वही आपकी मदद करे जिसकी आपने मदद किये थे ....  लेकिन कोई ना कोई आपकी मदद जरूर करेगा .... ऐसा मेरा खुद का अनुभव कहता है ....
۞
जब एक जैसे विचारों और भावनाओं वाले दो लोग आमने-सामने होते हैं तब कम्यूनिकेशन के लिए शब्दो कि जरूरत नहीं होती .... चेहरे के भावों ,आँखों से सबकुछ कहा और सुना जा सकता है .... "न बोले तुम न मैंने कुछ कहा" जैसे हालात होते हैं ....
۞
और
इंसान ही क्या जानवर भी हमारी भावनाओं के सिग्नल पकड़ते हैं .... कई बार गौर की हूँ .... जब किसी कुत्ते के पास से गुजर रही होती हूँ तो या तो वो मुझे घुरना भौंकना चाहता है या पास आकर भी
दुम हिलाने लगता है सिर झुका देता है जैसे कह रहा हो प्यार करो ....
वो इस लिए होता ... कभी या तो मैं कुत्ते को देख कर डर रही होती हूँ या किसी-किसी कुत्ते को देख कर उसके साथ खेलने का मन कर रहा होता है ....
۞
इन फीलिंग्स को मोटा-मोटी तौर पर दो भागो में बांटा जा सकता है .... एक समूह है 'डर' ,
जिसके कारण गुस्सा,शर्म ,ईर्ष्या ,दुख ,आत्मा ,संशय और भी दूसरे नकारात्मक विचार मन मेन आते हैं ....।
दूसरा समूह है 'प्रेम'जो हमारे भीतर शांति ,आशा,पवित्रता का .... सबसे जुड़ कर चलने का भाव
, दया साहस करुणा और जोश जैसे भाव जगाता है ....
۞
हमारी 50% भावनाएं बॉडी लैंग्वेज के जरिये कम्युनिकेट होती हैं .... 40 % भावनाएं लहजे यानि कि तों से और सिर्फ 10% भावनाएं ही शब्दों के जरिये दूसरों तक पहुँचती है .... आनंद सजगता सतर्कता और दया के क्षणों में जीना ,एक बच्चे की तरह रहना ,दिव्यता है .... अपने अंदर के अहम से मुक्त होकर सबके साथ बिना किसी संकोच के सहज रहना सम्मान से रहना सीखा देता है जीवन में किसी तरह का बदलाव हम वर्तमान में ही कर सकते हैं अतीत तो केवल आईना दिखा सकता है ....। वैज्ञानिक आइंस्टीन ने भी कहा है कि "विज्ञान मानुषी को अपरिमित शक्ति तो दे सकता है पर वह उसकी बुद्धि को नियंत्रित करने कि सामर्थ्य नहीं प्रदान कर सकता है ....
۞
जीवन 80% आनंद है और 20 % दुख  है .... लेकिन हम उस 20 % को पकड़ कर बैठ जाते हैं और उसे 200 % बना लेते हैं यह जान-बुझ कर नहीं होता बस हो जाता है ....
विश्वभर के डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास आने वाले 90% मरीज ‘मनोदैहिक’बीमारी से ग्रसित होते हैं .... कुछ मानसिक बीमारियों में से ,बड़ी खतरनाक बीमारियाँ हैं ‘ईर्ष्या’और ‘पूर्वाग्रह’या 'पक्षपात’.... हम काम ,क्रोध ,मोह ,लोभ ,अहंकार को त्यागने की सोचते हैं , परंतु हम कभी ‘ईर्ष्या’और ‘पूर्वाग्रह’या 'पक्षपात’से निजात पाने का उपाय ढूँढने का कोशिश नहीं कराते .... जो सबसे ज्यादा जरूरी होता है .... मुझे लगता है .... निस्वार्थ प्रेम को अपना कर और अपने मनोदशा(मूड)को समझ कर मनोदशा को नियंत्रित रखने की प्रक्रिया को अपना कर ही ‘ईर्ष्या’और ‘पूर्वाग्रह’या ‘पक्षपात’पर नियंत्रण रख सकते हैं ....
۞
जिसने अपने मनोदशा पर नियंत्रण पा लिया .... समझो जग जीत लिया .....

If you see the Moon 
you can see 
the beauty of God 
If you see the Sun 
you can see 
the power of God 
&
If you see the Mirror 
you can see 
the best creation of God 
~~


12 comments:

  1. जिसने अपने मनोदशा पर नियंत्रण पा लिया .... समझो जग जीत लिया .....

    जीवन जीने के सत्य को परिभाषित करता यह आलेख वाकई जीवन का निचोड़ है
    सहजता से कही गयी गहरी बात
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

    ReplyDelete
  2. अत्यंत शिक्षाप्रद पोस्ट. हर बिंदु बिलकुल अनुकरणीय.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर ,काश कि ये सब अपने जीवन में उतार सकते |

    ReplyDelete
  4. अपने मनोदशा पर नियंत्रण पा लेना ही सबसे बड़ी जीत है.
    शानदार,उम्दा प्रस्तुति,,,
    RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )

    ReplyDelete
  5. अनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया रचना
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें
    टिप्‍पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें
    MY BIG GUIDE
    नई पोस्‍ट
    अब 2D वीडियो को देखें 3D में

    ReplyDelete
  6. जिसने अपने मनोदशा पर नियंत्रण पा लिया .... समझो जग जीत लिया .....अत्यंत शिक्षाप्रद पोस्ट..बहुत बढ़िया विभा रनी ..

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर एवं प्रभावशाली प्रस्तुति .. आपकी यह रचना दिनांक ९/०६/२०१३ यानी रविवार को 'ब्लॉग प्रसारण' http://blogprasaran.blogspot.in/ .. पर लिंक की जा रहि है| कृपया पधारें , औरों को भी पढ़ें..

    ReplyDelete
  8. जिसने अपने मनोदशा पर नियंत्रण पा लिया .... समझो जग जीत लिया .....
    sukh se jeene ka raj ....

    ReplyDelete
  9. जीवन का निचोड़ सहज ही कह दिया ...

    ReplyDelete
  10. आपने इस छोटे से लेख में जीवन जीने के सभी प्रमुख सुत्रों को बता दिया.....आभार

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  12. सार्थक पोस्ट। संग्रहनीय है।
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...