अदाकारा जिया ख़ान की मौत से स्तब्ध हूँ .... लेकिन .... ज्यादा स्तब्ध हूँ , आत्महत्या के कारणों को जान कर ....
हमने ,दिल-ओ-जान से जिसे चाहा ,
उस बेवफ़ा ने किसी और को चाहा ,
पता नहीं हम क्यू उनके लिए फ़रियाद करते हैं ,
जो प्यार के बहाने हमें बर्बाद करते हैं ....
बेवफ़ाई .... किसे कहें बेवफ़ाई ....??
मर्द को मोह का श्राप
और
स्त्री को धैर्य का वर
मिला हुआ है ....
फिर सब बातों के लिए
किसी एक को दोषी
क्यूँ ठहराते हैं , हम .........
शादी से पहले हुये शारीरिक संबंध , प्रेम के किस श्रेणी में आते हैं ....?? अगर वो बलात्कार था .... तो दो बार गर्भपात ....
दो बार बलात्कार हुआ था .... ??
और तब वो क्यूँ चुप रही थी .... ??
अत्यधिक तप से
पाया गया एक शब्द है
प्रेम
यह मित्रता का सगा भाई है
एक रंग-रूप का
हु ब हु
रु ब रु होना हो
तो
कुछ ऐसे कि
जब कभी भी
लिखना हो प्रेम तो
शब्द मित्रता से
होकर गुजरते हैं .....
प्रेम तो मधुर और कोमल होता है ....
काम-वासना-अश्लीलता .... प्रेम होने का भ्रम हो सकता है .... !!
सत्य थोड़ा रूखा है .... सत्य से निर्भीकता आती है तो प्रेम से निरभिमानता .... सत्य और प्रेम एक दूसरे के पूरक और आधार हैं .... सत्य का आधार मस्तिष्क है और प्रेम का आधार हृदय है .... सत्य जैसे जानने की बात है तो प्रेम ठीक वैसे ही मानने की बात है .... परिवार प्रेम के विकास की पहली सीढ़ी है .... परिवार में जहां परस्पर प्रेम है .... आपस में आत्मीयता है .... वहाँ पर एक व्यक्ति ,अन्य दूसरे व्यक्ति के दुख को समझता है .... ऐसे परिवेश में एक व्यक्ति ,दूसरे अन्य व्यक्ति के दुख को दूर करने के लिए वैसा ही प्रयास करता है , जैसा कि वह अपने दुख को दूर करने के लिए प्रयास करता है .... जिया ख़ान की माँ का किसी मर्द के साथ बिना शादी के रहना .... "कौन सा प्रेम" को सीखाता है ....
फिर वही बात बेवफ़ाई .... बेवफ़ाई का दर्द अवसाद तक पहुंचा सकता है ..... मौत का कारण बन सकता है .... बेवफ़ाई जान लेवा दर्द होता है .... समझ सकती हूँ .... लेकिन .... तब , जब कभी प्रेम मिला हो .......
!!
'प्रेम'या 'प्यार' बिना 'त्याग' की भावना से नहीं हो सकता;बाकी सब भ्रम है। संत श्याम जी पाराशर अपने प्रवचनों के अंत में कहते थे-
ReplyDelete"marriage without love has no fragnence.
love without marriage has no sens "
और वह कहते थे कि वह इसका तर्जुमा नहीं करेंगे। मैंने उसका भावार्थ इस प्रकार किया है-
प्रेम रहित विवाह गंधहीन है।
विवाह रहित प्रेम बुद्धिहीन है। ।
speechless.
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट .आभार
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बेवफ़ाई का दर्द अवसाद तक पहुंचा कर मौत का कारण बन सकता है,,,,,
ReplyDeleteपूरा वाकया बहुत दुखद है.
ReplyDeleteजिया ख़ान की माँ का किसी मर्द के साथ बिना शादी के रहना .... "कौन सा प्रेम" को सीखाता है ..
ReplyDeleteहमारा समाज इसे नकारता आरहा है परन्तु एयासी लोग इसका पक्षधर हैं जिसमे ग्लेमर और राजनीति के लोग प्रमुख है
बहुत दुखद
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAaajkal ka zamana hi bahut complicated ho gaya hai ... !!
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