Saturday, 1 June 2013

ये सही तो नहीं है ना .... ??


ध्यान(योग)की सारी विधियाँ जागरण की विधियाँ ही होती हैं ....
कैसे भी हो बस जाग जाना है ....कोई अलार्म लगा कर जाग जाता है …
 कोई पड़ोसी से कह देता है कि द्वार पर दस्तक दे दे कर जगा दे ….
कोई अपने घर के ही अन्य सदस्य को कह देता है कि आँख पर ठंढे पानी की छीटें मार-मार कर जगा दे ….
और
 जिसे पता है , समझ है थोड़ी ,
वो खुद अपने आप से कह कर सो जाता है ; हे ईश्वर मुझे ठीक समय पर जगा देना ....

 (मैं भी उन्हीं बंदो में से एक हूँ …. इतनी उम्र हो गई मेरी ,कभी भी ,किसी की भी ,सहायता नहीं लेनी पड़ी …. मुझे किस समय ,सुबह उठना है ,बस सोचने की जरूरत पड़ी ....चाहे रात के 2 बजे या 4 बजे सुबह .... ठीक उसी समय मेरी नींद खुल जाती रही है और मैं घड़ी पर नजर डालती हूँ ,तो वही समय हो रहा होता है .... …. जीतने बजे मुझे उठना था .... ऐसा नहीं है कि गहरी नींद  ना आती हो या रात में बार-बार नींद उचटती हो ....आज तक ये मेरे खुद के लिए भी आश्चर्य की बात रही .... लेकिन आज रहस्य का पता चला .... खुदा का तौहफा है)

और आश्चर्य की बात है कि ठीक समय पर कोई उसे उठा देता है ....
 क्यूँ कि सबके शरीर के अंदर ही एक घड़ी है जो काम करती है ....
अब तो वैज्ञानिक भी इस घड़ी से राजी हो गए हैं ....तभी तो सभी को ठीक वक़्त पर भूख लग जाती  है .... ठीक समय पर नींद आ जाती है और ठीक समय पर नींद खुल जाती है .... किसी वजह से थोड़ी देर हो जाए तो पेट कुलबुलाने लगता है .... शरीर की घड़ी कहने लगती है कि अब बहुत देर हो रही है , कुछ खाओ नहीं तो बस गड़बड़ हो जायेगी .....
अगर सोने का समय हो गया है और बिस्तर पर नहीं जा पाएँ तो भी पलकें झपकने लगती है ....शरीर  की घड़ी कहने लगती है , बिस्तर पकड़ो नहीं तो शरीर लुढ़केगा-जकड़ेगा ....
अगर सुबह जगने का समय हो गया हो और जरा आलस की वजह से सोने के थोड़ा लोभ से बिस्तर पर पड़े रहें तो सिर भारी हो जाता है और फिर पूरे दिन सुस्ती पकड़े रहती है .... अत: समय हो जाये  तो शरीर के घड़ी के कहे अनुसार उठ जाना चाहिए .... अगर मन से छिना-झपटी भी करनी पड़े तो करनी चाहिए .... शरीर को खींच कर भी बिस्तर से बाहर निकाल लेना चाहिए .... क्यूँ कि जागना तो होगा ही .... अन्यथा समय के साथ , जीवन भी व्यर्थ चला जाएगा .... प्रतिपल हांथ से गंवा देगें एक परम संपदा ....
और कैसे-कैसे धोखे देते हैं , कोई-कोई अपने आपको .... पहला सबसे बड़ा धोखा तो यही है कि वो सोचने लगता है कि वो जगा हुआ ही तो है .... आँख खुली ही तो है .... दुनिया को देख ही रहें तो हैं .... चल-घूम रहें हैं .... उठ रहें हैं .... बैठ रहे हैं .... सड़क से गुजर रहे हैं .... घर आ-जा रहे हैं .... दफ्तर आ-जा रहें हैं ....
हर किसी से टकरा तो नहीं रहे हैं ....  तो जगे हुये ही तो हैं .... पर ये सबसे बड़ा धोखा है .... क्यूँ कि जिसने यह मान लिया कि वो जगा हुआ है .... अब वह और जागने का .... अंतर-आत्मा को जगाने का कोई प्रयास नहीं करगा ....
ये सही तो नहीं है ना .... ??

15 comments:

  1. दीदी.....
    मेरी प्रतिक्रिया....
    को विषय से हटकर न समझना...
    मैं भी करती हूँ
    ध्यान...
    और करती हूँ
    योग भी
    पर......
    नींद है कि आती ही नहीं
    सुबह-सुबह..
    जब नींद पड़ने को होती है
    मेरा चीकू मुझे उठा देता है
    और फारिग होकर फिर सो जाता है

    सादर

    ReplyDelete
  2. वैसे तो सोने और उठने की सबकी अपनी२ आदत होती है,मुझे सोने के बाद नींद आने के लिए २-3 घंटे लगते है ,,

    Recent post: ओ प्यारी लली,

    ReplyDelete

  3. वाह बहुत खूब प्रस्तुति

    आग्रह है पढें
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.in

    ReplyDelete
  4. बहुत सही सही कहा जागने का अर्थ है अंतरात्मा से जागना अच्छी प्रस्तुति !!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  6. बहुत सही कहा, बहुत सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  7. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 03/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  8. आपकी तरह मैं भी मन की घड़ी से ही जगता हूँ.

    ReplyDelete
  9. आहार ,निद्रा और भय ,ये तीनो आप पर निर्भर करता है जितना बढ़ाना चाहो बढेगा और जितना कम करना चाहो उतना कम होगा ,अपनी अपनी आदत पर निर्भर है ,समय भी फिक्स हो जायेगा .
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post मंत्री बनू मैं
    LATEST POSTअनुभूति : विविधा ३

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...