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1
धूल की होली
बवंडर बनाती
हवा खेलती ।
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2
नीड़ पक्षी का
दवानल जलाती
हवा लगाती ।
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3
प्रेम की पाती
पत्तों पर लिखी थी
हवा ले उडी ।
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4
चिंतन बाती
रंगों से लिखी पाती
आँसू धो देती ।
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5
मेरे ससुराल की प्रथा
जिस दिन होलिका जलनी होती है ,
उस दिन परिवार के सभी सदस्य चाहे औरत हो या मर्द .....
बच्चा हो या बूढ़ा ...बेसन +हल्दी का उबटन लगाते हैं .....
शरीर से जो झिल्ली(मैल) निकलता है उसे जमा किया जाता है .....
शाम में नमक डाले बिना बेसन की बड़ी बनाई जाती है ,
जिसमें से पाँच बड़ी और उबटन की झिल्ली ...
जली होलिका में चढ़ाया जाता है .....
तथा नए अनाज गेंहू बालिया और
चने के फली भूने जाते हैं ..... जिन्हें होरहा या होला कहते हैं .....
.उसे सब बहुत चाव से खाते हैं ...............
नवान्नेष्टि = नए अन्न को भूनना
यजन = यज्ञ करना
मेरे ससुराल की प्रथा
जिस दिन होलिका जलनी होती है ,
उस दिन परिवार के सभी सदस्य चाहे औरत हो या मर्द .....
बच्चा हो या बूढ़ा ...बेसन +हल्दी का उबटन लगाते हैं .....
शरीर से जो झिल्ली(मैल) निकलता है उसे जमा किया जाता है .....
शाम में नमक डाले बिना बेसन की बड़ी बनाई जाती है ,
जिसमें से पाँच बड़ी और उबटन की झिल्ली ...
जली होलिका में चढ़ाया जाता है .....
तथा नए अनाज गेंहू बालिया और
चने के फली भूने जाते हैं ..... जिन्हें होरहा या होला कहते हैं .....
.उसे सब बहुत चाव से खाते हैं ...............
नवान्नेष्टि = नए अन्न को भूनना
यजन = यज्ञ करना
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6
बहुत सुन्दर हाइकू, होली पर हमारे यहाँ भी यहीं प्रथा है। होली अग्रिम की शुभकामनायें।
ReplyDeleteविभा जी बचपन में मेरी दादी भी झिल्ली निकालती थी लेकिन अब ये प्रथा भी लुप्त होती जा रही है ,,,,,,,,,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..नमस्ते दी
ReplyDeleteबहुत सुंदर सारे हाइकू.....
ReplyDeleteबह्हुत सुन्दर हैं सभी हाइकू ...
ReplyDeleteबड़े ही अर्थपूर्ण हाइकू।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रभावी हाइकु....
ReplyDeleteसुन्दर, अर्थपूर्ण हाइकु, रंग भरे हाइगा...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteatisundar haiku
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु.
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteकामयाब हायकू !
सुन्दर हाइकू और उम्दा जानकारी
ReplyDeleteहोली मनाने की सुंदर प्रथा..रंगों का यह त्योहार आप सभी के लिए मंगलमय हो..
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें....:)
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