54-18=36÷5=7.2
मेरी जिन्दगी में अब तक 7 बार मौका
जा चूका है जब मैं vote नहीं दी
सबका कहना है एक मत देश को बदल सकता है
योग्य नेता के हाँथ में बागडोर देकर
सोची इस बार 8th है तो vote दे ही आऊँ
खुद तो कोई नेता पसंद नहीं क्यूँ कि
मुझे हर कोई सांपनाथ नागनाथ ही लगते है
मैं अपने चार भाई (सभी मेरे बहुत करीब हैं और
उनके किये निर्णय पर भरोसा है)से पूछी कि
किसे vote दूँ मेरा एक मत बहुत महत्वपूर्ण है
एक भैया बोले कांग्रेस
दुसरे BJP
तीसरे ने कम्युनिस्ट
चौथे भैया ने Aap का विचार दे डाला
हो गई ना फिर साबित धरती गोल है
अब किस भैया के बात को मान दूँ
जिस छोर को पकड़ कर चली थी
वहीं पहुँच गई ,मुझे नहीं देना किसी को
अपना महत्वपूर्ण मत
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पार्टी बदलना ..... दल बदलना ......
राजनीति का काला पहलू ......
चुनाव का मखौल
मत का अपमान
जनता के साथ विश्वासघात
सज़ा कोई नहीं
मत नहीं देने वाला
तानाशाह देश-द्रोही ??
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1
आदर्श त्यागे=क्षोभ ना त्यागे
मोह नहीं ना त्यागे
कुर्सी ना त्यागे ।
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2
देश आम सा
नेता गुठली फेके
उपत्यका में / तराई गर्त ।
उपत्यका = पर्वत के पास की नीची भूमि =तराई
=====
3
घाती प्रणाली
है चुनाव प्रणाली
बध प्रणाली ।
=====
4
क्लीब लम्पट
ले रौशनी समेट
पाये ना वोट/वोट लपेट
लम्पट=WANTON=विवेकहीन
=====
5
स्वार्थ विकट
यात्री हो बेटिकट
मेवा टिकट ।
=====
6
दुर्लभ नेता
छल विक्रेता न हो
धन सोखता ।
=====
"नहीं देनी है ....मुझे किसी को भी ....कोई भी मत
जो समझना है समझो ......किसी की नहीं सुनती मैं
इस आधार पर कोई मुझे मित्र सूची से बाहर करता है
वो मेरा सबसे बड़ा हितैषी है ....आभारी हूँ उनकी
बहुत बहुत धन्यवाद उनका ........_/\_ "
========
इन शब्दों के कारण मुझे नयी-पुरानी-हलचल से बाहर निकाला गया
=====
=====
Yashwant Yash · Neh Sunita और 15 others के मित्र :-
:-
हालांकि हम सभी को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है लेकिन
जिन लोगों के विचार/निर्णय या आग्रह/अपील लोकतन्त्र और भारत के
संविधान की मूल भावना विपरीत होता है मैं उन से कोई संपर्क बनाए
रखने का इच्छुक नहीं होता हूँ।
अतः आपके ताज़ा फेसबुक स्टेटस पर व्यक्त आपकी भावनाओं का
सम्मान करते हुए मैंने आपको फेसबुक मित्रता सूची एवं नयी-पुरानी
हलचल के दायित्वों से मुक्त कर दिया है।
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यात्री हो बेटिकट
मेवा टिकट ।
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6
दुर्लभ नेता
छल विक्रेता न हो
धन सोखता ।
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"नहीं देनी है ....मुझे किसी को भी ....कोई भी मत
जो समझना है समझो ......किसी की नहीं सुनती मैं
इस आधार पर कोई मुझे मित्र सूची से बाहर करता है
वो मेरा सबसे बड़ा हितैषी है ....आभारी हूँ उनकी
बहुत बहुत धन्यवाद उनका ........_/\_ "
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इन शब्दों के कारण मुझे नयी-पुरानी-हलचल से बाहर निकाला गया
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Yashwant Yash · Neh Sunita और 15 others के मित्र :-
:-
हालांकि हम सभी को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है लेकिन
जिन लोगों के विचार/निर्णय या आग्रह/अपील लोकतन्त्र और भारत के
संविधान की मूल भावना विपरीत होता है मैं उन से कोई संपर्क बनाए
रखने का इच्छुक नहीं होता हूँ।
अतः आपके ताज़ा फेसबुक स्टेटस पर व्यक्त आपकी भावनाओं का
सम्मान करते हुए मैंने आपको फेसबुक मित्रता सूची एवं नयी-पुरानी
हलचल के दायित्वों से मुक्त कर दिया है।
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इस बार तो नाटो बटन भी है .. उसका प्रयोग कीजिये ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
"नहीं देनी है ....मुझे किसी को भी ....कोई भी मत
ReplyDeleteजो समझना है समझो ......किसी की नहीं सुनती मैं
इस आधार पर कोई मुझे मित्र सूची से बाहर करता है
वो मेरा सबसे बड़ा हितैषी है ....आभारी हूँ उनकी
बहुत बहुत धन्यवाद उनका ........_/\_ "
= =
बेहतर होता यदि इसे भी आपने इस पोस्ट का हिस्सा बनाया होता।
सफ़ेद रंग से हाई लाइटेड मेरी कमेन्ट जो यहाँ प्रदर्शित किया गया है वह भी इसी स्टेटस पर है।
सादर
ध्यान से देखिएगा
Delete"नहीं देनी है ....मुझे किसी को भी ....कोई भी मत
जो समझना है समझो ......किसी की नहीं सुनती मैं
इस आधार पर कोई मुझे मित्र सूची से बाहर करता है
वो मेरा सबसे बड़ा हितैषी है ....आभारी हूँ उनकी
बहुत बहुत धन्यवाद उनका ........_/\_ "
ये पोस्ट मे भी है .....
आपको क्यूँ बुरा लगा ....... आप कम्युनिस्ट पार्टी को मानने वाले हैं ..... अगर मैं BJP कॉंग्रेस या Aap को मानने वाली होती तब भी आप मुझे मित्र सूची से बाहर करते ............
मेरी मित्र सूची में 155 मित्र हैं ...... आपको ही क्यूँ मेरी बात खली ...... हलचल बनाते समय मैं पूरा ध्यान रखती कि कोई लिंक ऐसा ना लूँ जो आपको परेशान करे .... लेकिन facebook वाल मेरा निजी था ...... किसी की जमींदारी नहीं
Deleteजी आंटी मैं कम्युनिस्ट हूँ,मैं आर एस एस, भाजपा मोदी और केजरी वाल के सख्त खिलाफ हूँ। हाँ मैं वामदलों के लिये वोट मांगता हूँ और हाँ मैं माणिक सरकार को इस देश के प्रधानमंत्री के रूप मे देखना चाहता हूँ।
Deleteलेकिन वोट किसे देना है या किसे नहीं यह व्यक्तिगत निर्णय होता है।
आप बेशक बीजेपी या आ आ पा को मानिये सपोर्ट कीजिये अपनी अपनी विचारधारा है लेकिन अगर आप या कोई भी अगर यह कहेगा कि वोट नहीं देंगे या वोट नहीं दो भले ही बिना किसी का नाम लिये या अपनी वॉल पर ही क्यों न कहें तो मैं इतना बड़ा भी चापलूस नहीं हूँ कि हाँ में हाँ मिलाने लगूँगा।
कल भी अव्यवस्था के कारण 2 घंटा नाम ढूढ्ने मे परेशान हुआ लेकिन मैंने विधान परिषद की स्नातक सीट के लिये मतदान किया।
वाल आपकी है कुछ भी लिखिये लेकिन ऐसा नहीं जो संविधान के खिलाफ हो और वोट न देने का आपका निर्णय निश्चित रूप से निंदनीय और असंवैधानिक निर्णय है जिसे मैं बदलने की कोई ताकत नहीं रखता लेकिन आज से कुछ साल बाद आपको मेरी इस बात की सत्यता का एहसास अवश्य होगा इतना विश्वास ज़रूर रखता हूँ।
आपके ब्लॉग पर यह मेरा अंतिम कमेन्ट है। और हलचल की कल की पोस्ट भी अंतिम ही पोस्ट होगी।
सादर
आपका ब्लॉग है आप कल के पोस्ट को भी डिलीट कर सकते हैं
Deleteआज तक vote ना देने में मुझे ये संतुष्टि है कि गलत चुनाव मे मेरा हाथ नहीं है..... vote ना दें और पूर्ण चुनाव वाहिष्कर हो में अंतर नहीं समझ आया तो ............
मई तक इंतजार कर लेते हैं ..... कितना बदल जाता है ........
आज के हालात का सही चित्रण..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बात कही दी आपने ...
ReplyDeleteवोट की चोट
करारी और भारी
एक ही बारी| सविता
दीपक लेके ढूढने से भी नहीं मिलते
सच्चे लोग अब कही भी नहीं मिलते
खोजते रह जाओ सूरज के भी उजाले में
भले लोग किसी चोलें में भी नहीं मिलते| सविता
यहाँ हो क्या रहा है कोई "उलूक" को भी समझायेगा :(
ReplyDeleteअरे कूड़े के लिये मत लड़ो तो ।
:)
ReplyDeleteसवा अरब की आबादी है और हम या हमारे जैसे कुछ लोग किसी व्यक्ति विशेष को चाहते हैं कि नेतृत्व उनके हाथ में दे दें ये भला कैसे सम्भव है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteराजनीति की गति समझ रहे हैं, दुर्गति नहीं समझ पा रहे हैं।
ReplyDeleteभारत में सभी को अपने तरीके से सोचने का अधिकार है। सोच अच्छी है या ख़राब है या संविधान के खिलाफ़ है...ये निर्णय करने का अधिकार किसके पास है? ऊपर लिखी हुई हर बात कोई भी आम आदमी लिख सकता है..मैं भी..ये मेरी भी निजी सोच हो सकती है। पर क्या कोई अपनी सोच दुसरे पर थोप सकता है..नहीं। आपके साथ जो भी हुआ है अच्छा नहीं हुआ... i agree to what you say...
ReplyDeleteभारत में सभी को अपने तरीके से सोचने का अधिकार है। सोच अच्छी है या ख़राब है या संविधान के खिलाफ़ है...ये निर्णय करने का अधिकार किसके पास है? ऊपर लिखी हुई हर बात कोई भी आम आदमी लिख सकता है..मैं भी..ये मेरी भी निजी सोच हो सकती है। पर क्या कोई अपनी सोच दुसरे पर थोप सकता है..नहीं। आपके साथ जो भी हुआ है अच्छा नहीं हुआ... i agree to what you say...
ReplyDeletebahut mushkil hai kis par vishwas karen samajh me nahi aata ....badi vichitra isthiti hai ...
ReplyDeleteAll political parties are saying they will change the structure but how is it possible, no party is saying.
ReplyDeletePrem Chand Murarka
बहुत बढ़िया बात कही ....आज के हालात का सही चित्रण.
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