Sunday, 2 March 2014

हाइकु


http://thalebaithe.blogspot.in/2014/02/TBMAR1421.html?

अहसानमंद हूँ ,नवीन भाई का ....
उन्हे मेरे दो हाइकु पसंद आए ......
बहुत बहुत धन्यवाद उनका

ज्ञान का लोप
पाशविकाचरण
मृत समाज ।

गिरि वसन
धूसर अँगरखा
उजली टोपी ।


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" दो शब्द एक हाईकु "

=========

पतझड़ === बसंत

1

हंसा बसंत
पतझड़ अंजाम
चूल्हा भी जला ।

2

सफाई कर्मी
आतिथेय बसंत
पतझड़ है ।

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पहाड़ === नदी

1

देवा पहाड़
नदी रौद्रता त्रास
रेतीला निधि ।

2

महासमर
भगीरथ पहाड़
नदी भू आई ।

==========

सूरज === चाँद

1

ताप व शीत
ज़िंदगी संतुलित
सूरज चाँद ।

2

गोदी चढ़ता
सूरज कभी चाँद
इला की मर्जी ।

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15 comments:

  1. बेहतरीन हाइकु हैं आंटी!

    सादर

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  2. बहुत सुन्दर हायकू....!!

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  3. वाह ! प्रकृति पर सुंदर हाइकु

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  4. लाजवाब हैं सभी हाइकू ... गहराई लिए ..

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  5. आपकी तो महारत है इस विधा में!! और वो झलकती है आपकी समस्त रचनाओं में!!

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  6. bahut sundar hayku ....padho to aise lagta hai ki chhote -chhote pairon se man me utarta jata hai koi ..

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  7. थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कहना आसान नहीं है...बहुत ही अर्थपूर्ण और भावपूर्ण हाइकु... उत्साहवर्धन हेतु आपका आभारी हूँ...

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  8. गोदी चढ़ता
    सूरज कभी चाँद
    इला की मर्जी ।
    .........लाजवाब हैं सभी हाइकू

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