अगर सब सच में परेशान हैं
बदलाव लाना चाहते हैं
तो
सामूहिक वहिष्कार करें ना
हम इस बार के चुनाव का
केवल कागज काला करने से कुछ नहीं होगा
ये सब समझते हैं ....
चुनाव में आपके मतदान का कोई महत्व नहीं
जिसकी लाठी उसकी भैंस ही होती
वही गूंगा-बहरा कठपुतली मिलेगा
जिसकी डोर एक विदेशी के हाथ में ही होगा ......
ये सब समझते हैं ....
ये सब समझते हैं ....
बोलना -लिखना आसान होता है .............
शहीद होना .... कुर्बानी देना ............ ??
कौन बोले
आ बैल मुझे मार .....
ये सब समझते हैं .....
अगर चुनाव कराना ही है
तो पहले सही आदमी तो चुन लें
न वो पहले से नेता हो और न नेता पुत्र हो
ये सब समझते हैं ....
ऐसा नवयुवक हो जिसे सब
(सब का मतलब सब) पसंद करते हों
चुनाव आयोग ऐसे आदमी को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दे
ये सब समझते हैं ....
अभी जो खड़े होते हैं
सांपनाथ हैं या नागनाथ हैं
हम जिसे चुनते हैं या जिसे नहीं चुनते हैं
सरकार बनाने के लिए एक जुट हो ही जाते हैं
ये सब समझते हैं ....
ऐसा नियम हो कि चुनाव परिणाम आने के बाद वे एक नहीं होंगे ....
विवश करें ना चुनाव आयोग को वो कुछ कड़े नियम बनाये ....
क्या आप सही समझते हैं ??
ये सब समझते हैं .....
अगर चुनाव कराना ही है
तो पहले सही आदमी तो चुन लें
न वो पहले से नेता हो और न नेता पुत्र हो
ये सब समझते हैं ....
ऐसा नवयुवक हो जिसे सब
(सब का मतलब सब) पसंद करते हों
चुनाव आयोग ऐसे आदमी को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दे
ये सब समझते हैं ....
अभी जो खड़े होते हैं
सांपनाथ हैं या नागनाथ हैं
हम जिसे चुनते हैं या जिसे नहीं चुनते हैं
सरकार बनाने के लिए एक जुट हो ही जाते हैं
ये सब समझते हैं ....
ऐसा नियम हो कि चुनाव परिणाम आने के बाद वे एक नहीं होंगे ....
विवश करें ना चुनाव आयोग को वो कुछ कड़े नियम बनाये ....
क्या आप सही समझते हैं ??
~~
सच कहा है आप ने!
ReplyDeleteशुभ प्रभात दीदी
ReplyDeleteकरे बहिष्कार गर चुनाव का
तो वही फिर से काबिज कुर्सी पर
गर करा दें वो व्होट जो
जो कभी डाले ही नही जाते
तो ही सही व्यक्ति आ पाएगा
सादर
न जाने किस ओर चला यह देश हमारा।
ReplyDeleteमतदान का बहिष्कार करने की आपकी सलाह से पूरी तरह असहमत हूँ आंटी। आप से इस तरह की उम्मीद नहीं थी।
ReplyDeleteमेरे विचार से मतदान को प्रत्येक नागरिक का अनिवार्य राष्ट्रीय कर्तव्य बना देना चाहिये। तभी तस्वीर बदलेगी।
सादर
अभी जो खड़े होते हैं
ReplyDeleteसांपनाथ हैं या नागनाथ
सच ही है!
सहमत !!
ReplyDeleteघुटन भरा माहौल हो चला है..... सटीक पंक्तियाँ
ReplyDeleteसच कहा है आप ने!
ReplyDeleteकथन सार्थक एवं सामयिक है विचार अलग हो सकते हैं .
ReplyDeleteविभारानी जी आप सही सोच रही है , पर यह बताइए चुनाव आयोग के आदेश, सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को जब अध्यादेश या कानून बनाकर निरस्त किया जाता है तब चुनाव आयोग या न्यायालय क्या कर सकता है ? इन्हें तो कानून के दायरे में काम करना है . सुधरने का एक मात्र रास्ता केवल असहयोग आन्दोलन .चुनाव का पूर्ण वर्जन. लेकिन नेताओं के जिन चमचों और रिश्तेदारो को फ़ायदा होने वाले हैं वे तो वोट देंगे और विपक्ष में कोई न होने से वे जित जायेंगे . ऐसा होते भी आया है.इसीलिए जरुरत है की अन्ना हजारे के साथ सहयोग किया जाय और चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करें
ReplyDeleteएक दम सही कहा..सहमत हूँ
ReplyDeleteचुनाव के बाद का समझोता उचित नही है,,,,
ReplyDeleteRECENT POST : पाँच( दोहे )
aapke vichar bahut hi satik hai lekin hamari sonch ham tak hi simit rah jaati hai, kash amal hota.........
ReplyDeletesaty vachan
ReplyDeleteएक भारतीय नागरिक होने के कारण 'चुनाव बहिष्कार' की अपील को असंवैधानिक एवं गैर कानूनी तथा कर्तव्य से पीठ मोड कर भागने का कायराना कृत्य समझता हूँ। जिन लोगों ने मात्र चापलूसी हेतु सहमति व्यक्त की है उनकी योग्यता पर तरस आता है। जो महाभ्रष्ट और कारपोरेट भ्रष्टों के संरक्षक हज़ारे का समर्थन कर रहे हैं वे जान बूझ कर देश को अमेरिका के हाथों गिरवी रखने की साजिश मे शामिल लगते हैं।
ReplyDeleteएक जागरूक नागरिक का कर्तव्य है कि वह चाहे जिसे 'मत' दे परंतु अपने कर्तव्य का पालन अवश्य ही करे।
देश के हालात तो बहुत ख़राब है ...कुछ सही दिशा में सोचना होगा ...
ReplyDeleteik.ik shabd sahi kaha kuchh bhi nkaarne jaisa nahi ......
ReplyDeleteकेवल वोट न डालने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला...आवश्यकता है चुनाव प्रणाली में आमूल परिवर्तन की...पर यह करना कौन सी पार्टी चाहेगी?
ReplyDeleteकोई आशा की किरण नज़र नहीं आती इस अँधेरे में...
ReplyDeleteकृष्ण ने भी अपने समय मे अत्याचार और अनाचार का प्रतिकार करके जनता को सुशासन उपलब्ध करवाया था। वह एक सफल राजनेता थे। लेकिन आज राम और कृष्ण के भक्त कहलाने वाले लोग राजनीति की कटु निंदा कर रहे हैं,राजनीतिज्ञों की आलोचना कर रहे हैं। वे राम और कृष्ण को अवतारी भगवान घोषित करके उनका अनुसरण करने से जनता को रोक रहे हैं। अधर्म का जय - जयकारा
अगर चुनाव कराना ही है
ReplyDeleteतो पहले सही आदमी तो चुन लें
न वो पहले से नेता हो और न नेता पुत्र हो
ये सब समझते हैं ....
बिलकुल सही कहा है .वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर प्रहार .
kas bharat ki janata ki samajh vikasit hoti to aj ye din na dekhana padata .....apki rachana aj ki samajik vyavsatha pr karara chot karati hai .....lajbab rachana ke liye badhai .....ye rachana bhi ab sb samjahte hain ........
ReplyDeleteआप सही कह रही हैं पर व्यावहारिक नही ।
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