Sunday, 18 August 2013

*(मदर इन लव)*



मेरी अमानत 
मुझे मिली  
जो दूसरे के 
घर में पली
जो मुझे बनाई 
mother in law(मदर इन लॉं) 
But
मुझे रहना है 
mother in love(मदर इन लव)

जो मेरे आस-पास रहेगी पूरी जिंदगी 
उसे विदा नहीं करना होगा पूरी जिंदगी ….

नवीन अनुभूति 
सासु माँ 
शब्दो में बांधा जा सकता है .... ??
(*_*)

मैं माँ बनने का दावा नहीं कर सकती .... कर ही नहीं सकती हूँ .... 
कैसे करूँ .... ना नौ महीनें खून से सींचा .... ना प्रसव वेदना सही .... ना एक रात जग कर बिताई .... ना कभी ख़ुद गीले में सो कर , उसे सूखे में सुलाई ....
कैसे बनू माँ .... माँ जैसी .... ये जो जैसी* है .... हर रिश्ते में मुझे पसंगा लगता है .... और पसंगा कैसे सहज स्वीकार होगा .... 
मदर में दुमछल्ले की तरह लगा लॉं ,रिश्तो को कटुता और असहजता के कठघरे में ला खड़ा करता है  …. जैसे लव में कोई ला नहीं होता है  …. वैसे ही भावनाशून्य और संवेदनहीन लॉं  में रिश्तों की भीनी महक व प्यार की मिठास हो ही नहीं सकती है  …. ऐसा मेरा भी मानना है  
रिश्ते एक-दूसरे का दर्द समझने से बनते हैं .... 
एक दूसरे के प्रति स्नेह और विश्वास से पनपते हैं .... 
आज और अभी से अपने रिश्तों के बीच से लॉं को निकाल कर फेंकने की कोशिश जारी रहेगी .... कोशिश करूंगी कि उसे ये घर अपना लगे .... आज कोई वादा नहीं करती .... समय तैय करेगा कि वो कितनी खुश रह पाती है .... 
बस एक बात कहना चाहूँगी ….
हम छोटे से छोटे बदलावों को लेकर असहिष्णु हो जाते हैं .... इसलिए हम बहुत सी चीजों से अछूते रह जाते हैं .... बदलाव को स्वीकार करना ,मतलब जीवन को नए रंग देना .... जिंदगी तभी मुकम्मल होती है जब रंग-बिरंगी हो .... बदलाव को स्वीकार करना या नकारना बाद की बात है .... पहले हर बदलाव को प्यार करना जरूरी होता है .... क्योंकि बदलाव से ,हमें प्राप्त होती है ,अनुभव की समृद्धि जो सबको नई पहचान देती है .... नए बदलाव से हमारे इर्द-गिर्द बहुत सी चीजें बदल जाती है ,जिन्हें लेकर हमेशा झल्ला जाना ,कुढ़ना - चिढ़ना बेबकूफी होती है .... बेबकूफ कहलाना किसे पसंद ?
जीवन का एक परम उद्देश्य सेवा होना चाहिए .... सेवार्थ होना .... संकल्परहित मन दुखी रहता है .... संकल्प से जुड़ा मन कठिनाइयाँ अनुभव कर सकता है ,परंतु अपने श्रम का फल पाता है .... जब सेवा का संकल्प जीवन का एक मात्र उद्देश्य बन जाता है तो भय दूर होता है मन केंद्रित होता है और एक लक्ष्य मिलता है .... यदि केवल देने और सेवा के लिए जीवन हो तो पाने के लिए ,कुछ बचता ही नहीं है ....
सफलता श्रेयष्ठता की कमी को इंगित करती है .... सफलता यह दर्शाती है कि असफल होने की संभावनाएं भी है .... जो सर्वश्रेष्ठ है वहाँ , असफलता के हारने का प्रश्न ही नहीं .... जब हम अपनी अनंतता को समझते हैं तो तब कोई भी कार्य प्राप्ति या उपलब्धि नहीं होती यदि स्वय को बहुत सफल समझते हैं तो इसका अर्थ है कि हम अपना मूल्यांकन कम कर रहे हैं ...। अपनी प्राप्तियों पर अभिमान करना, स्वयम को छोटा करना है ....  
तब 
दूसरों की सेवा करते समय यह महसूस हो सकता कि हमने पर्याप्त नहीं किया ,पर यह कभी महसूस नहीं होगा कि हम असफल रहे ....
कार्य करना जितना हमें नहीं थकाता उतना कार्य करने का भाव थका देता है .... हमारी सारी प्रतिभाएं दूसरों के लिए है ....
 यदि 
सुरीला गाते हैं .... वह दूसरों के लिए 
स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं .... वह दूसरों के लिए 
अच्छी पुस्तक लिखते हैं .... वह दूसरों के पढ़ने के लिए
अच्छे बढ़ई हों  .... तो यह इसलिए कि दूसरों के इस्तेमाल के लिए अच्छी चीजें बना सके 
निपुण सर्जन हों ... तो दूसरों को स्वस्थ्य करने के लिए  
कुशल शिक्षक हों तो वह भी दूसरों के लिए,समाज शिक्षित करने के लिए
 हमारी सारी निपुणताएं दूसरों के लिए है ....

16 comments:

  1. आप सब को हार्दिक बधाई। हम आपके पुत्र-पुत्र वधू के वैवाहिक जीवन के लिए मंगलकामना करते हैं।
    घोटालू का नया कारनामा भी विफल हुआ

    ReplyDelete
  2. कितनी प्यारी पोस्ट है और कितनी सुन्दरता से रिश्ते को परिभाषित किया आपने!
    वाह!

    मदर इन लव बनने की ढ़ेरों बधाई आपको!

    ReplyDelete

  3. वाह ! एक नई परिभाषा से साक्षात्कार हुआ आज . अनूठी रचना
    atest post नए मेहमान

    ReplyDelete
  4. आपको बेटे की शादी की बहुत बहुत बधाई !! आपके रिश्तों को परिभाषित करती खुबसूरत पोस्ट ....

    ReplyDelete
  5. सासू माँ बन जाने की बहुत बहुत बधाई स्वीकारो सासू जी.... ,,

    ReplyDelete
  6. बहुत बहुत बधाई आंटी

    सादर

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार।

    ReplyDelete
  8. सुन्दर अभिव्यक्ति.....हार्दिक बधाईयां...

    ReplyDelete
  9. कल 21/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  10. ....बहुत बहुत बधाई सासू जी.

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन .सुन्दर अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाईयां.

    ReplyDelete
  12. बहुत ही प्यारी रचना..

    ReplyDelete
  13. bahut bahut badhai ho sasuji. bahut sunder abhivyakti.mere blog per be padharey. alka bhargava.

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...