5239
पाँच हजार
दो सौ उनचालीस
के हुये कान्हा
जब वे पैदा हुये
आज वही है
तिथि दिन नक्षत्र
कृष्ण जन्म के
हैं परम नियंता
भक्तों के पक्षधर ....
तिथि = अष्टमी
दिन = बुधवार
नक्षत्र = रोहणी
!!
~~
शुभकामना
अष्टमी रोहणी की
जन्मे गोपेश
बलकर वर पा
बहुक्षम ही बनें !!
~~
मूल उद्गम
अतीव आकर्षक
हुई असंख्य
ब्रह्मांडों की सृष्टि
माधव शरीर से
~~
गोपी वल्लभ
हो असुरदमन
ओ बंधू मोरे
~~
गोपी छकाया
वस्त्रपहरकाया
वस्त्र छिपाया
~~
प्रेमप्रतिज्ञ
सिरमौर्य चढ़ाया
प्रिया चरण
~~
वध किये तो
मोक्षदाता हैं कृष्ण
शत्रुओं के भी
~~
फ़ेसबूक-ब्लॉग का शुक्रिया .....प्रेमप्रतिज्ञ
सिरमौर्य चढ़ाया
प्रिया चरण
~~
वध किये तो
मोक्षदाता हैं कृष्ण
शत्रुओं के भी
~~
~~
आज के ही दिन मेरे पापा के दादा जी की मृत्यु हुई थी …. वे जन्माष्टमी का व्रत करते थे …. रात में फलाहार करने के लिए ,ज्यूँ ही वे आँगन में आये और पीढ़ा (लकड़ी की छोटी चौकी) पर बैठने लगे कि उन्हें सांप काट लिया …. उनदिनों ना तो इलाज की सुविधा थी और मौसम का कहर अलग से …. उनकी मृत्यु हो गई …. मरते-मरते वे बोले कि आज के बाद इस घर में ,सांप के काटने से किसी की मृत्यु नहीं होगी …. उनका आशीर्वाद कहिये या संजोग ,आज तक मेरे मइके के परिवार में किसी को सांप काटा नहीं है …. लेकिन कृष्ण की पूजा वर्जित हो गई …. जन्माष्टमी बंद हो गया ….
नींव बचपन में ही मजबूत होती है ….
शायद इसलिए मैं भक्त नहीं बन सकी और ना गुण गाना आता है ….
लेकिन जानती हूँ ,मन में मेरे कोई खोट नहीं …. किसी के लिए भी नहीं ….
~~
एक बहेलिया था .... उसका काम था .... उसे आराम कहाँ कि वो हरी भजन करता और अपने किए काम का प्रायश्चित करता .... लेकिन उसे मृत्यु उपरांत स्वर्ग मिला .... क्यूँ कि वो जब एक बार एक पेड़ पर चढ़ कर जाल में पक्षियों के फँसने का इंतजार कर रहा था तो अनजाने में उस पेड़ कि पत्तियां तोड़-तोड़ कर नीचे गिरा रहा था और नीचे में एक शिवलिंग था जिस पर पत्तियां गिर रही थी और वो पेड़ बेल का था और उस दिन शिवरात्र था ....
~~
एक लड़की थी …. उसे दिनभर मेहनत मजदूरी करनी पड़ती थी …. उसे पूजा-पाठ के लिए समय कहाँ मिलता …. लेकिन जब रात में सोने जाती तो कहती …. हे राम …… थकी जो होती …… उसके स्वाभाविक शब्द थे …. लेकिन उसके मोक्ष के लिए काफी थे ……
~~
ऐसे हैं हमारे भगवान ……………………. केवल ॐ जानती हूँ और जपती हूँ ....
आप पर कृष्ण कृपा करें..
ReplyDeleteमैं भक्त नहीं बन सकी और ना गुण गाना आता है ….
लेकिन जानती हूँ ,मन में मेरे कोई खोट नहीं …. किसी के लिए भी नहीं …
यह तो भक्ति से भी कुछ अधिक है...
:)
सुंदर पोस्ट के लिए साधुवाद
ईश्वर सच्चे मन को पहचानते हैं .... सुंदर हाइकु ....
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनायें
ईश्वर को ऐसे ही भक्त चाहिए...जन्माष्टमी की शुभकामनायें
ReplyDeleteईश्वर जानता है हर किसी के दिल की बात ...
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई ...
कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः8
मन में श्रद्धा ही सबसे जरूरी चीज है. चाहे धूप दीप ताम्बूल हो ना हो.
ReplyDeleteसच्ची भक्ति तो वही कि अपने कर्मा यथानुसार किये जाएँ !
ReplyDeleteलोककथाओं में ऐसे ही उद्धरणों की भरमार है , आप तो उनकी नायिका निकली :)