दूसरों की कही सारी नाकारात्मक बातें सुना नहीं करते
कुछ की आदत अपनी हार का बदला ,आलोचना हुआ करते
ऊपर वाले ने ऐसे समय के लिए ही तो दो कान दिया है
जिसका रास्ता दिल-दिमाग तक जाने नहीं दिया करते
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किसी वृक्ष को जान लिए होते करीब से
लोग इश्क से रश्क करते उनके जमीर से
रह गए वे डुबकी लगाए अहंकार में
तितिक्षा ही तो फिसल गई समीप से
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bahut hi sundar panktiya di ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक...
ReplyDeleteबहुत सुंदर व बेहतर रचना , आ० धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: जाने क्या बातहै हममें कि हमारी हस्ती मिटती नहीं !
बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर व्याख्या शब्द की, गुण की।
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर दी |
ReplyDeleteसुन्दर बातें.
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