Tuesday 28 January 2014

तितिक्षा=सर्दी -गर्मी सहने का सामर्थ्य



दूसरों की कही सारी नाकारात्मक बातें सुना नहीं करते 
कुछ की आदत अपनी हार का बदला ,आलोचना हुआ करते 
ऊपर वाले ने ऐसे समय के लिए ही तो दो कान दिया है
जिसका रास्ता दिल-दिमाग तक जाने नहीं दिया करते 

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किसी वृक्ष को जान लिए होते करीब से 
लोग इश्क से रश्क करते उनके जमीर से 
रह गए वे डुबकी लगाए अहंकार में 
तितिक्षा ही तो फिसल गई समीप से 

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8 comments:

  1. अच्छी रचना फोटो बहुत अच्छा है


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    राना2हिन्दी टेक तकनीक हिन्दी मे कम्प्युटर के निशुल्क शिक्षा हेतु पधारें

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  2. बहुत सुन्दर और सटीक...

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  3. बड़ी सुन्दर व्याख्या शब्द की, गुण की।

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  4. वाह बहुत सुन्दर दी |

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
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