1
तारे बराती
अम्ब धरा की शादी
रवि घराती ।
2
धरा आँचल
अनेक चाँद बने
सफेद सोना ।
3
स्फुटित मिले
कपास सेमल से
चाँद के टीले ।
4
चट करती
तम्बू तानता सूर्य
शीत सताती ।
5
पड़ोस राही
कॉफी सहेली शीत
विदा हो गई ।
6
हँसते बौर
खिलखिलाते रुई
शीत बिदाई।
7
ढीठ आकांक्षा
अफरी शीत धारा
बिछुड़ती लौ ।
====== विभा
बहुत सुन्दर हाइकु !
ReplyDeleteNew post Arrival of Spring !
सियासत “आप” की !
बड़ी ही प्यारी क्षणिकायें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हाइकु ......
ReplyDeletehttp://mauryareena.blogspot.in/
:-)
सारे हाइकू कैसे लगे मुझे दीदी, इसका अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकती हैं कि आजकल जहाम हूम वहाम चारो ओर इसी सफ़ेद सोने का ढेर लगा है... अपनी खिड़की पर जब सुबह खड़ा होता हूँ तो दूर दूर तक सफ़ेद चादर बिछी दिखती है!
ReplyDeleteइसलिए आपके सारे हाइकू मैं फोटोजेनिकल्ली फ़ील कर सकता हूँ!!
बहुत सुंदर हायकू.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारे |
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद और आभार आपका
ReplyDeleteहँसते बौर
ReplyDeleteखिलखिलाते रुई
शीत बिदाई।
...बड़ी ही प्यारी क्षणिकायें।
सुन्दर हायकू ...
ReplyDeleteवाह सुन्दर हायकू , गागर में सागर ..
ReplyDeleteप्यारी रचना. चित्र ने भी मन मोहा.
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