Friday, 14 February 2014

प्यार तो बस प्यार है


भौरा कली में पूरी रात कैद रह सकता है 
सुबह जब कली खिलती है 
तो वो बाहर उड़ता है 
प्यार तो बस ऐसा होता है 




प्यार मदांध/सड़ांध  
बिना शादी रिश्ता 
संस्कार मिटा ।

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निराश पूत 
माँ प्यार संजीवनी 
माथे चुंबन ।

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बड़ी बहन 
छोटों को स्नेहाशिष
माँ ही लगती । 

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दमन करे 
द्वेष लालच ईर्ष्या 
अमृत प्यार ।

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निराश्रय है
चेफुआ सा बुजुर्ग / खोई बना बुजुर्ग 
पूत निर्मोही ।

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कभी कभी गर्मियों में हो जाता है .....
लगता है ..... दमघोंटू वातवरण ....
ऐसा मौसम क्यूँ आता है ज़िंदगी में

मौन पवन
चुपाना पतावर
मूक गगन ।



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स्वेटर धो कर 
सुखाने का सोच 
नभ पानी धो गया

दुशाला ओढ़ कर
शशांक छुप गया
विभा का नाक बह गया
इसलिए बाकी को बाद में झेलिएगा



8 comments:

  1. Bahut hi sunder haiku... hamesha ki tarh

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  2. पठनीय व संप्रेषणीय हाइकु

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  3. प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद और आभार बेटे जी
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बेहद सुंदर हाइकू....

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  6. हाइकु बहुत पसंद आये.

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  7. बहुत ही लाजवाब हाइकू हैं सभी ...

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