सादर नमन ज्ञान की देवी तू माँ की प्रतिरूप
१५ फरवरी २०१३ सरस्वती पूजा के दिन ही
मेरे ससुर जी का देहांत हो गया था …
हमारे घर में सरस्वती पूजा पर पाबंदी लगा दी गई है
हमारे घर में बच्चों की लिखाई की
शुरुआत इसी दिन से की जाती थी
मेरी देवरानी इसी दिन से रसोई शुरू की थी
अब ,जब हमारे घर के नई पीढ़ी में इसी दिन
किसी बच्चे का जन्म होगा तो हमारे घर के लोग
सस्वती पूजा करने के अधिकारी होंगे
एक बात है ..... जो एक साल से मन में उधेड़-बुन मचाये हुए है .… आपलोगो से कह लूँ ..... तो शायद बोझ मन से उतर जाए ..... नहीं उतरे तो कुछ कम हो जाए .......
मेरे ससुर जी बहुत बीमार थे .... उनके बीमारी से जितनी परेशानी नहीं होती ,उतना दुख उनके हालत देख कर होती थी .... अंतिम समय में यही लगता था कि अगर अब ये ठीक नहीं हो सकते तो इन्हें मुक्ति मिल जाए ,तो उनके कष्ट दूर हो …. उनका दर्द से कराहना ,हमें बर्दाश्त के बाहर लगता ....
पिछले साल सरस्वती पूजा के 2 दिन पहले से तो बहुत ही हालत खराब हो गए …… सरस्वती पूजा के दिन करीब १२ - सवा १२ बजे , यूँ हीं आँख बंद कर , मैं प्रार्थना की कि अगर देवी हो , तो होने का प्रमाण दो , इन्हे मुक्ति दो …… ठीक उसी समय मेरे ससुर जी के मुक्ति का समय हुआ … कचोटता है मन …....
माँ सुनती है मन की पुकार तो उस दिन नहीं सुनी होती ......... आज भी मन बहुत बैचैन है .......
मार्मिक
ReplyDeleteनमन
ReplyDeleteबेहद मार्मिक माँ सुनती है मन की पुकार ....ये सच है आपकी भी पुकार माँ जरूर सुनेगी ताई जी
ReplyDeleteआप अपने दिल से बोझ हटा लें दी...वो कहाँ आपने चाह था..वोतो उसी भगवान की मर्ज़ी थी.. किसे कब आना और किसे कब जाना है..ये तो उसी के हाथों संचालित होता है...पर हाँ माँ सबकी सुनती है।
ReplyDeleteमाँ की मर्जी के आगे कुछ नहीं होता ... किसी के बस में नहीं होता ... जो किया है उसी ने किया ...
ReplyDeleteकहते हैं दिन भर में कही गई तमाम बातों में से कुछ बातें भगवान मान लेता है, जिसे जिह्वा पर सरस्वती विराजना भी कहते हैं! इसीलिए कुछ ऐसा कहने पर लोग कहते हैं "शुभ-शुभ बोलो"! विधि के विधान को एक निमित्त चाहिए बस!
ReplyDeleteऔर यह पूजा तब शुरू होगी जब परिवार में किसी बच्चे का जन्म नहीं दीदी "बेटे" का जन्म होगा! विडम्बना है यह भी! जिसका जन्म न हुआ, वह बेटी भी पहले से ही पराई मान ली गई!!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, माँ सरस्वती पूजा हार्दिक मंगलकामनाएँ !
ReplyDeletemarmik
ReplyDeleteओह ..ऐसे में सच में मन कचोटता ही होगा ..सोचते होगे आप कि काश उस दिन उनका स्वास्थ्य ही मांग लेते ....पर होता वाही है जो होनी को मंजूर होता है
ReplyDeleteकहानी बहुत मार्मिक है, पर आपने बिल्कुल सही निर्णय लिया और माँ से प्रार्थना कर दी । माँ शारदे भी मर्माहत्या हुईं आपकी पीड़ा देख और साक्षात होकर अपनी शक्ति दिखाईं । रही बात सरस्वती पूजा से आप परिस्थितिवश आप नहीं कर रहीं हैं, आप चिंतित न हों, माता को सब मालूम है । उन्हें मन ही भन प्रणाम करें, उनकी असीम कृपा आप पर बनी रहेगी ।
ReplyDeleteमाँ ने आपके ससुर जी को मुक्ति दे दी...
ReplyDeleteसब माँ कि मर्जी है....
माँ आपकी पुकार जरूर सुने ...!
ReplyDeleteRECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
माँ सुनती है पुकार।
ReplyDeleteनमन उनको ....माँ पर ही विश्वास रखती चलिये ...!!
ReplyDeleteबहुत कठिन ऐसी प्रार्थना करना,आपकी विवशता को अच्छी तरह समझ सकती हूँ .... श्रद्धा सुमन उन्हे
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