Thursday, 20 February 2014

खुशी देते पल


अपने हिस्से का दुःख खुद झेलते हैं
खुशियों को दुसरे का मोहताज़ क्यूँ बनायें 

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मिले तो रोजी 
ना तो मनाए रोजा 
हो ख्वाजा मर्जी ।

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मौन संपदा
रेजगारी बोलना
मान बढ़ाता ।

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उत्साह फीका
है चिल्लर मुस्कान
सांझ बटुआ ।


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लजाई डाल 
गोद में नये पत्र  
कपोल लाल ।

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भविष्य भाँपो 
मकड़ी जाला दौरा
भ्रमित राह ।

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कोमल पौधे
सह जाते हैं आँधी
वृक्ष मरते ।

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रंगीला मास
छेड़े मले गुलाल
रंग रसिया

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17 comments:

  1. हर हाइकू अपने सन्देश में जीवन दर्शन समेटे हुए... काश! हमको भी लिखना आता हाइकू..!!

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  2. बहुत सुन्दर ...एक से बढ़कर एक

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  3. बड़े ही अर्थपूर्ण हाइकु।

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  4. आभारी हूँ ,बहुत बहुत धन्यवाद आपका
    स्नेहाशिष

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  5. आभारी हूँ ,बहुत बहुत धन्यवाद आपका .....
    सादर _/\_

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  6. कल 22/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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    1. आभारी हूँ बेटे जी ...... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ....
      हार्दिक शुभकामनायें

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  7. :) बहुत सुंदर हैं की टिप्प्णी करनी पड़ रही है सिर मत पीटियेगा वाकई बहुत सुंदर हैं :)

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  8. देखन में छोटे लगें बात कहें गंभीर !

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  9. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  10. एक से बढ़कर एक खुबसूरत. सुन्दर हायकू

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  11. bahut achhe, prernaprad haiku.

    shubhkamnayen

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