आस्तीन में संभालना अठखेली की है।
चलो पाल रही हूँ तुझे गले लगाकर भी,
हमेशा ही हमारी भक्ति अहिमाली की है।
02
डर सताता रहता हमसे हमारा सब छीन ले जायेगा कोई।
पल-पल बदलती दुनिया में कितना साथ निभायेंगा कोई।
हमारी कोशिश उतना ही दोष दे लेते जितना हमें दंश देते,
भयावह नहीं ना जो चाहेंगे हम कितना हमें सतायेगा कोई।
03.
दम्भ तृष्णा ना दिमाग रोगग्रस्त करो।
गुम रहकर खल का तम परास्त करो।
दे साक्ष्य सपना चपला धीर अचला है,
स्व का मान बढ़ा रब को विश्वस्त करो।
बहुत सुन्दर सृजन 👌👌
ReplyDeleteसस्नेहाशीष संग हार्दिक आभार
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसादर नमस्कार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 6 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका बहना
Deleteआपका स्नेह बहुत अच्छा लगा दी !
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