Thursday, 25 July 2019

"स्त्री-मुक्ति की गूँज"

चित्र में ये शामिल हो सकता है: एक या अधिक लोग

"आज भोला(ड्राइवर) कितने बजे आयेगा?.. भोला को जरूरत के हिसाब से आने का समय निर्धारित कर आप उसका मनबढ़ा दिए हैं. स्वर बहुत ऊँचा कर जाता है...,"

"ना तो हम हर पल गाड़ी में हो सकते हैं और ना उसे बैठाकर रखना अच्छा लगता है..,"

"अन्य दूसरे को आठ हजार मिलते हैं मासिक तो हम दस हजार देते हैं..,"

"क्योंकि युवा अच्छा इंसान मिल गया है.., आज क्या है और कहाँ जाना है?" पति महोदय का झुँझलाता उग्र स्वर अपनी नाराजगी जाहिर कर दिया उनको मेरा घर से निकलना बिलकुल पसंद नहीं लेकिन कार्यों से खुश होते हैं जब कोई उन्हें बताता है।

"स्त्रियों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को घेरने वाली रैली में शामिल होने जाना है...,"

"क्या? होश तो ठिकाने है... एक लाठी पड़ गई तो... मैं जाने से मना कर रहा हूँ!"

"कोई पल याद है जिसमें आपने यह कहा हो जाओ कर लो तुम्हें जो पसन्द है... यह कार्य तो..., जाऊँगी तो जरूर आपको सूचित कर रही हूँ अनुमति नहीं मांग रही... जब आप जे० पी० आंदोलन में जेल गए थे तो आपको किसी ने रोका तो जरूर होगा?"

"तब मैं बीस साल का युवा था साठ साल में नहीं गया था...!"

"वो क्या कहते हैं-जब जागो... इतने सालों तक किस्सा सुन-सुन कर तो आज़ाद हुई हूँ अब पुनः कैद में नहीं जीना चाहती हूँ...!"

2 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति दीदी 👌👌

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