महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर विधान सभा भवन घेरने के उद्देश्य ठाने रेडिओ स्टेशन से रैली निकालने के लिए शहर के सभी महिला संगठनों-संस्थाओं के सदस्याओं की अच्छीखासी भीड़ जुट चुकी थी... दौड़ते-हाँफते कविता , संगीता , मीता , विभा , एकता पहुँची... उनके चेहरे बता रहे थे कि वो किसी सैलाब से होकर गुजरी हैं... रैली की नेतृत्व संभाले निवेदिता शकील व रेशमा प्रसाद ने सबको बड़े हौसले से अँकवार में लिया और पूछा ,-"बताओ तो हुआ क्या है?"
कविता :- रवि ने अपनी पत्नी को बीच चौराहे पर चौपड़(मांस काटने वाला तेज धारवाला कसाई का चाकू) से मौत की स्थिति में पहुँचा दिया... अभी-अभी।
संगीता:- "मेरे पड़ोस में रहने वाली गुड़िया की आज मौत हो गई एक लड़के ने उसपर एसिड अटैक कर दिया था।"
मीता:-"सब स्तब्ध रह गये आज सुबह जब रामरती को पकड़ने पुलिस आई उसने अपने तीन बच्चों की हत्या कर खुद मरना चाहती थी... पति दूसरी शादी कर लिया है...!"
विभा- "मेरी सहेली को उसके ससुराल वालों ने जला कर मार दिया ,उसके कमरे से धुँआ निकलता देखकर जबतक हमलोग कुछ कर पाते तबतक सब राख हो गया..!"
एकता:-"मीता मेरी बेटी की सहेली ने आज आत्महत्या कर ली कोई मनचला उसे विद्यालय पहुँचने नहीं देता था!"
रैली दो-चार घण्टे तक डाकबंगला चौराहा पर आवाजाही बन्द रखे रहा... चारों ओर जाम लगा रहा... नारे गूंजते रहे... बहरा-गूंगा समाज अपने कार्य में लिप्त रहेगा..।
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