Wednesday 24 July 2019

"देश त्रस्त आपदाओं से"




 महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर विधान सभा भवन घेरने के उद्देश्य ठाने रेडिओ स्टेशन से रैली निकालने के लिए शहर के सभी महिला संगठनों-संस्थाओं के सदस्याओं की अच्छीखासी भीड़ जुट चुकी थी... दौड़ते-हाँफते कविता , संगीता , मीता , विभा , एकता पहुँची... उनके चेहरे बता रहे थे कि वो किसी सैलाब से होकर गुजरी हैं... रैली की नेतृत्व संभाले निवेदिता शकील व रेशमा प्रसाद ने सबको बड़े हौसले से अँकवार में लिया और पूछा ,-"बताओ तो हुआ क्या है?"

कविता :- रवि ने अपनी पत्नी को बीच चौराहे पर चौपड़(मांस काटने वाला तेज धारवाला कसाई का चाकू) से मौत की स्थिति में पहुँचा दिया... अभी-अभी।

संगीता:- "मेरे पड़ोस में रहने वाली गुड़िया की आज मौत हो गई एक लड़के ने उसपर एसिड अटैक कर दिया था।"

मीता:-"सब स्तब्ध रह गये आज सुबह जब रामरती को पकड़ने पुलिस आई उसने अपने तीन बच्चों की हत्या कर खुद मरना चाहती थी... पति दूसरी शादी कर लिया है...!"

विभा- "मेरी सहेली को उसके ससुराल वालों ने जला कर मार दिया ,उसके कमरे से धुँआ निकलता देखकर जबतक हमलोग कुछ कर पाते तबतक सब राख हो गया..!"

एकता:-"मीता मेरी बेटी की सहेली ने आज आत्महत्या कर ली कोई मनचला उसे विद्यालय पहुँचने नहीं देता था!"

   रैली दो-चार घण्टे तक डाकबंगला चौराहा पर आवाजाही बन्द रखे रहा... चारों ओर जाम लगा रहा... नारे गूंजते रहे... बहरा-गूंगा समाज अपने कार्य में लिप्त रहेगा..।

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