Monday 17 February 2014

हाइगा


नदी हो या हो नारी
दोनों की बस यही कहानी

=======
1



===========

2

जीव सींचती 
स्थितप्रज्ञ स्त्री धारा 
अंक भींचती ।

===================

3


============
4



==========

4 comments:

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

शिकस्त की शिकस्तगी

“नभ की उदासी काले मेघ में झलकता है ताई जी! आपको मनु की सूरत देखकर उसके दर्द का पता नहीं चल रहा है?” “तुम ऐसा कैसे कह सकते हो, मैं माँ होकर अ...