Friday 24 February 2012

"काला कलंक"

सोच तो रही हूँ ,अपने कुछ विचार , कुछ अनुभव भी रखूं , लेकिन शुरुआत कहाँ से ,भ्रूण-ह्त्या ,दहेज़-प्रथा ,सास-बहु के झगडे के बाद जलाना ,पति-पत्नी का तलाक की ख़बरें तो अब बासी लगने लगा है.... किसकी कथा-व्यथा से करूँ.... ?? सीता-अनसुइया ,तो उनके पतिव्रता  के साथ-साथ अग्नि-परीक्षा की भी बात उठेगी | सुनती हूँ , जब राम जी वनवास जारहे थे ,तो सीताजी  की सुरक्षा के लिए , सीताजी को अग्निदेव को सौंप कर , उनकी छायामुर्ती(shadow) को लेकर वनवास काटी और जब  अयोध्या लौटने लगे तो अग्निदेव से सीताजी को वापस लेने की "अग्नि-परीक्षा" की लीला हुई.... | लेकिन मैं ,कलयुगी बहुत सारे राम को जानती हूँ जो अपनी सीता कोअपने उन्नति(Promotion)  कोई ठीका(Tendar) के लिए रावण के पास भेज देते है या एक नये जमाने का प्रचलन शुरु हुआ है...... या यूँ कह लें आज के समाज की काला कलंक...... wife- Swoping(exchange).... तो चलिए ,आज आपको एक सच्ची घटना लिख कर बताती हूँ..... | करीब,27-28 साल की सच्ची बात है , दो  पड़ोसी नवयुवक , नई-नई शादी ,नया - नया नौकरी के नशे की खुमारी और उसपर नई-नई सोच ने  जोश दिलाया , दोनोने निर्णय किया आज wife Swoping(exchange) कर जिन्दगी का आनन्द उठाया जाए.... | वे दोनो अपनी-अपनी पत्नी से बात कर ,उन्हें मना कर ,तैयार कर लिए.... | रात हुई ,दोनों पत्नियां , एक दुसरे के घर  के गईं..... | आधी रात को, कुछ शोर-हल्लागुल्ला सुन ,अगल-बगलके घरों में जागरन हो गया ,तब पता चला कि एक की पत्नी ग़ुम हो गई है ,सभी मिलकर खोज शुरू किये..... | बहुत देर के बाद वो "पत्नी" घर के छत पर पानी के टंकी में बैठी मिली और सब बातों का खुलासा सबके   सामने हूआ.... | आज भी उस घटना को याद कर , रोंगटे खड़े हो जाते है..... एक की किस्मत कहिये या हिम्मत अपनी लाज बचाली,लेकिन क्या , उसके नज़रों मेंअपने पति का  सम्मान बचा.... ? या जिसका लाज नहीं बचा ,उसका औरो के नजर में सम्मान बचा.... ?जो ओरतें अपनी  मर्जी से इस  मौज-मस्ती-फैशन-खेल में शामिल होती है उनके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता.... | लेकिन जिन ओरतों को , इसमें  जबरदस्ती शामिल किया जाता है उनपर , क्या बीतती होगी.... ? हम-आप कल्पना भी नहीं कर सकते.... | जो ओरतें ,अपना शरीर अपने मर्जी या मजबूरी में बेचने का धंधा करती है ,उसे हमारा समाज बुरा - भला बोल,उसका वहिष्कार करती है.... | इन कलयुगी राम का हम-आप क्या करें...... ?
पहले तो एक दो किस्से सुनने-देखने को मिलते थे अब तो आम-बात होती जारही है..... | 

जबाब के इन्तजार में..............................
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दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...