Wednesday, 30 August 2023

खीर में नमक

"फजीरे-फजिरे काहे एतना बीख चढ़ल बा?"

"बीख त कालहे चढ़ल रहे रातवए में मेल कर देले बानी। लघुकथा के story लिखाईल बा•••,"

"चर्च में गणेश भगवान के पूजा शोभा ना दिही नु•••!ओहि तरे मंदिर में चादर/फादर ना होखे के चाहीं।अंग्रेजवा चल गईलन स बाकी ऐह लोगन के छोड़ दिहलन स, ललाटवा पे गुलामी लिकखवा ले ले बा लोग"

"मठ चाहीं सभन के एही देश में ••• लेकिन वफादारी निभाई लोग परदेश में••• चाकरी के कवनों हद नईखे! गलीयन में पटटवा भी लटकावला के काम बा।"

"लघुकथा को अंग्रेजी में भी लघुकथा ही कहा जाता है"

StoryMirror Hindi

-हमें जो प्रमाणपत्र मिला उसमें story लिखा हुआ है

-पूरा प्रमाणपत्र अंग्रेजी में है

आपलोगों के द्वारा विधा के संग लेखन का भी अपमान हो गया

 -30 दिनों का समय और श्रम निरर्थक होने का अफसोस नहीं है•••

Thursday, 24 August 2023

जलेबी

एक ढांचे में बंधी ज़िंदगी आज कुछ खुल गई है। भादो का कृष्णपक्ष, सूरज अशर्फी सा आकाश के कलश में वापस सुरक्षित रखा जा चुका है। क्षितिज के पश्चिम कोने में इंगुर-सिन्दूर बिखर चुका है। कौवा अबाबील के रंग-बिरंगे और सुंदर पंखों को देखकर मंत्र-मुग्ध हो रहा है।

 “पूरी दुनिया में हमारे द्वारा बनाए नीड़ के भी लाखों-करोड़ों खर्च करने वाले प्रशंसकों की भीड़ हैं और मान लो कि मेरे पंख तुमसे बेहतर हैं ही।” अबाबील चहक रही है।

“वाकई तुम्हारे पंख दिखने में मेरे पंखों से कहीं अधिक सुंदर हैं। लेकिन मेरे पंख ज्यादा बेहतर हैं क्योंकि ये हर मौसम में मेरे साथ रहते हैं और इनके कारण मौसम चाहे कैसा भी हो, मैं हमेशा उड़ पाता हूँ।"

रहिमन निज मन की विथा, मन में राखो गोय।

 सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय।

किस भाव से ध्यान करे उलझा मरीचि तोय

जपत-जपत अवसाद में काहे न जगत होय।

महत्वपूर्ण ये नहीं है, कि वास्तविकता क्या है… बल्कि, महत्वपूर्ण ये है कि, आप अपनी बात को सही साबित करने के लिए कितने संभावित तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं….!!

बारह मंजिला खिड़की से गिरा दी गई या नशे में गिर गई, सीढ़ी से पैर फिसला या गला दबाने के बाद फेंक दी गई, कुल्हाड़ी से या हथौड़े से मारी गयी•••!

उत्तेजक क्या रहा होगा•••! पोस्टमार्टम रिपोर्ट कौन बदल रहा•••! कैसे दुनिया जानेगी कि मनमोहना ने प्रेमी के संग मिलकर हत्या की या झूठा दहेज उत्पीड़न में आत्महत्या कर लेने हेतु उकसाया गया•••!

 गले में नाग की तरह परिश्रावक/स्टेथॉस्कोप को लटकाये तहबंद/एप्रन को चढ़ाए चिकित्सकों-उपचारिकाओं और काले कोट धारक अधिवक्ताओं की हड़ताल पर बैठी भीड़ में बहस जारी है।

चिकित्सक-साहित्यकार पत्नी और उच्च पदाधिकारी- अधिवक्ता पति की लाश, समाज को मनुष्यता विमर्श के कटघरे में ला पटकी है। आगे प्रतीक्षा है न्याय क्या होता है•••!

  छायाचित्र उतारनेवाले मित्र-बन्धु राजेन्द्र पुरोहित और अनिल मकरिया के संग सोशल मिडिया से आपकी खबरी विभा रानी श्रीवास्तव का नमस्कार और अब हम विदा लेते हैं!

Wednesday, 23 August 2023

सूरज डूब रहा

"सुनों ना! कुछ कहना है•••"

"कहो ना! हम सुनने ही जुटे हैं। अब सोना ही तो है••"

"गज़ल बेबह्र है काफ़िया भी भगवान भरोसे है"

"चलता है!"

"दोहा में चार चरण कहना है लेकिन चार भाव नहीं है"

"चलता है!"

"मशीनगण से निकला हाइकु है। ना अनुभूति है ना दो बिम्ब है"

"चलता है!"

"लघुकथाओं में ना शीर्षक का सिर-पैर और ना शैली का ओर-छोर, भंग अलग"

"चलता है! क्यों तुम्हारा खून जल रहा और हमारा सर•••"

"कैसे पता चले साहित्य में घुन लगा कि दीमक!"

"पुरानी राह को छोड़कर आगे बढ़ने पर शून्य से शुरू करना पड़ता है। तुम भी सोचो, अथाह संचय को छोड़ना क्या सम्भव है?"



Wednesday, 16 August 2023

जमात करामात


जमात करामात

ट्रिन••• ट्रिन••• ट्रिन•••

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क्या मेरी बात रानी जी से हो सकती है?
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जी! जी नमस्ते! मेरा नाम डॉ सुनील दत्त मिश्र है। मैं आपसे मिलना चाह रहा था। आपने कहा था कि हम जब कभी आपके शहर में आयें तो आपको सूचित अवश्य करें।
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पूरी पढ़ाई करने के बाद, नौकरी करने जो बच्चे विदेश चले जाते हैं उन बच्चों पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए क्योंकि वे बच्चे समाज के ऋण को लेकर भगोड़ा हो जाते हैं। महोदया दूसरे राज्य के साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच से ऐसी माँग को रखने वाली दिलेर माँ को कोई कैसे भूल सकता है!
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क्या फर्क पड़ा? मेरे गाँव में भी खुशियों की लहर दौड़ रही है!
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हम सब यानी मेरा भाई, बेटा, भतीजा, भगिना उस कार्यक्रम में उपस्थित थे जो दुबई के संग विदेश के अनेक राज्यों में धन उगाई करने वाले आपकी ओज से ओत-प्रोत वाणी सुनकर इतने प्रभावित हुए कि धीरे-धीरे देश वापसी कर रहे हैं! सोने पर सुहागा कि गाँव के अन्य युवा नहीं जाने का सोच रहे हैं, जबकि गाँव शहर के बच्चों में पहले होड़ मची थी•••!
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सच में! इसलिए तो मैं आपसे मिलकर आपको धन्यवाद देना चाह रहा था।
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अच्छा! अच्छा आप आ रही हैं और शहीद स्मारक (सात शहीदों की एक जीवन-आकार की मूर्ति है) के पास होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित कर रही हैं!
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पूछ रही हैं कि आऊँगा? सर के बल दौड़ा आऊँगा! मेरे मन के थल पर अँकुरा आपके लिए सम्मान का बीज आपके इस स्नेह के जल, पवन, किरण पाकर बने वट को और कुछ नहीं चाहिये...! जय हिन्द!

Thursday, 10 August 2023

धोखा

 Padam Godha :- आजकल छोटे छोटे बच्चे भी स्कूल बस से मां को फ्लांईंग किस करते हैं। समझ नहीं आता दूसरे का पति उड़ाना ज्यादा अनैतिक है या फ्लांईंग किस?

सुनीता त्यागी :- 1. दूसरे का पति कोई मिट्टी का पुतला नहीं था कि उड़ा लिया।
2. संसद सदस्याएं राहुल नाम के बालक की मां नहीं थीं।
Roopal Upadhyay :- सुनीता त्यागी जी मतलब अपनी मित्र जिसने गरीबी पर दया कर के अपने घर में जगह दी उसी के पति को पटाना गलत नही और फ्लाइंग किस देना गलत वाह ये दोगुली मानसिकता ही भारत को पिछड़ा रही है। सच में शिक्षा का बहुत ज्यादा अभाव है।लोगी को इतना तो पता होना चाहिए कि  comminunication में non verbal communication का एक part है gesture जिसके अंतर्गत flying kiss आता है जिसका अर्थ होता है i love you all इसमें क्या गलत है। सभी बोलते है i love you all, public figure है लोगो को प्यार करना क्या गलत है, मुझे तो समझ नही आता...
सुनीता त्यागी :- Roopal Upadhyay आदरणीय उच्च शिक्षिता जी मुझे आप को कोई सफाई नहीं देनी।
विभा रानी श्रीवास्तव :- शाबास सुनीता त्यागी जी! क्या उपमा दिया मिट्टी का पुतला! मिट्टी का पुतला नहीं था इसलिए उड़ाया जा सका...
सुनीता त्यागी :- ओहो तीर निशाने पर जाकर लगा है तभी तो अंध चमचे सफाई देने के लिये मैदान में कूद पड़े हैं। विभा रानी श्रीवास्तव जी मिट्टी का पुतला नहीं था, तो चौपाया भी नहीं होगा वो कि हांक कर ले गयी। अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सौ फी सदी सत्य कथन सुनीता त्यागी जी! बिलकुल सहमत हूँ आपसे। 'अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।' ये 'दूसरी' आसानी से उपलब्ध जो होती है...! यह दूसरी ना जाने कितनों की दूसरी, अन्य की दूसरी, अन्यों की दूसरी होती होगी...
सुनीता त्यागी :- विभा रानी श्रीवास्तव इस बात का राहुल के फ्लाइंग किस से क्या रिलेशन है समझ नहीं आया। राहुल को तै पहली ही नहीं मिली है दूसरी की उम्मीद छोड़ दे। वैसे वो पहली है या दूसरी ये उनका व्यक्तिगत मैटर है।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सुनीता त्यागी जी ना तो राहुल के फ्लाईंग किस से मतलब है, राहुल को पहली नहीं मिली दूसरी की उम्मीद छोड़ दें जिसे पहली मिली उसको छोड़ वो दूसरी से मिले। ये हमारे चिन्ता का विषय है ही नहीं। यह राजनीति गलियारा है जहाँ दिन में झगड़ते हैं तो रात में गलबहियाँ दिए दिख जायेंगे। एक दूसरे को भक्त और चम्मच कह जो अपनी-अपनी पसंद की पार्टी का समर्थन करते दिखते हैं। समय के सत्ता बदलती रहती है। काँग्रेस नहीं रहा तो कुछ वर्षों में भाजपा भी नहीं रहेगी। देश रहेगा, मुद्दे रहेंगे, समस्याएँ रहेंगी और सवाल उठाते साहित्यकार रहेंगे...!

Wednesday, 9 August 2023

धर्माधिकारी

ट्रिन••• ट्रिन••• ट्रिन•••

हैल्लो!

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हाँ! हाँ, सब कुशल मंगल!

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अरे•• हाँ! नहीं गया था जंगल। लम्बी कतार थी। तुम्हारा मिस्ड कॉल दिखा। तुम्हारी माँ पूछ रही है; तुम्हारे मित्र संग भेजा गया सामान, क्या तुमने चखा?

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बच्चों से दूर रहना हमारा निर्णय था यारा! जीवन सन्ध्या के वक्त और भविष्य ने हमें नहीं मारा। 

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खिलखिलाती जिन्दगानी तेरी-मेरी कहानी रहनी चाहिए। अच्छी हो या बुरी, खतरे के निशान से ऊपर क्यों बहनी चाहिये!

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यहीं सभी चूक जाते हैं। क्योंकि हम मूक पाते हैं। मान लेते हैं विधि का विधान,, जबकि हो सकता है निति से निदान।

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बता ही तो रहा हूँ! बाबा अपने डगमगाते कदमों के लिए आपको सहारा लेनी चाहिए, ए टी एम से राशि निकालने गया तो गार्ड ने कहा। क्या उसे प्रिया की फाइलेरिया की लाचारी कहनी चाहिए!

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अरे नहीं! नहीं कहा। कह दिया, अभी तो पैसठ को कब्जा रहा हूँ। दूसरे पचहत्तर का सहारा बनने जा रहा हूँ।

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वृद्धश्रम वालों ने नगद राशि की माँग रखी थी। तुम्हारी माँ की ज़िद थी कि वृद्धावस्था वृद्धों के संग गुजारेंगे। पहले वृद्धाश्रम का स्वाद नहीं चखी थी। वहाँ की स्थिति देख जिद पकड़ ली वहाँ से निसंतान वृद्ध को घर लानी चाहिए।

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उसका सपना तो अब धरा का धरा नहीं रह गया। हमलोग निसंतान दम्पत्ति को घर ले आने वाले हैं। वे अनाथाश्रम में पले थे। हमारे साथ रहने से, वहाँ से मुक्त हो जाने से वृद्धाश्रम ग्रह गया।


Wednesday, 2 August 2023

पुनरुत्थान : डायरी शैली

शुभेच्छु की डायरी

22 सितम्बर 2014

"एक पुस्तक को प्रकाशित करवाने में न जाने कितने वृक्षों को काटना पड़ता है इसलिए प्रकाशित करवाने के पहले पुस्तक के उद्देश्य और सार्थकता पर गंभीरतापूर्वक सोचना जरूर चाहिए।" कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अतिथि लोकार्पणकर्त्ता ने कहा। जो मुझे सुनकर उचित-सही नहीं लगी।

 किसी लोकार्पण में यह कहा जाना अशोभनीय था। पुस्तक लोकार्पण को दुल्हन की मुँह दिखाई कहा जा सकता है••• घूँघट उठाकर कहा जाये कि इससे शादी के पहले सोच-विचार करना चाहिए था•••

कटाक्ष को सहजता से नहीं लेकर हताश होकर साहित्य से विमुख हो जाना रेशमा के लिए स्वाभाविक रहा।

"आसान तो नहीं होता होगा! बीज शोधन, बीज का बोरे में अंकुरण, घनघोर घने रूप में बिजड़ा होना तब फसल में परिवर्तित होकर, पुष्ट दानों की सुनहले बालियों के रूप में झूम जाना।" यह बात, रेशमा को बार-बार याद दिलाते रहना पड़ेगा।

22 जनवरी 2016

रेशमा द्वारा आमंत्रित करने पर वसंतोत्सव में शामिल होना अच्छा लगा। उनका अपनी मंडली के संग उल्लास से सरस्वती पूजा करना और गुलाल लगाना रोमांचित कर रहा था।

"शहर से थोड़ा बाहर है लेकिन शोरगुल से भी दूर होना अच्छा लग रहा है। तुम्हारे लिए विशेष रूप से••" मेरे कहते रेशमा चहकने लगी।

"इसी भवन में सभी तरह की कलाओं के कार्यशाला भी चलते हैं और हम जैसे यहाँ ससम्मान टीक भी सकते हैं•••। यह सरकार से हमें आवंटित किया गया है।"

उनके लिए खुले आकाश के संग घोसले की चाहत पूरी हो जाना बड़ी बात थी।

09 नवम्बर  2019

पुस्तक मेला में घूमते-घूमते प्यास लग गयी थी। चाय-पानी की तलाश हमें एक स्टॉल पर ला खड़ा किया।

 "आप सभी का स्वागत है! इनसे पैसा नहीं लेना। ये हमारे विशेष अतिथि हैं।"

"घोड़ा घास से यारी करेगा•••।"

"अरे! यह यहाँ अनुकूल नहीं है। आपने ही कहा था जीविका के लिए कुछ ठोस करो। हमने भोजनालय खोल लिया•••!"

"हाँ लेकिन अपने प्राकृतिक गुण को भी नहीं छोड़ना••,"

"मिले एक दराती से काबिलियत का परिचय द्वारा माता ने अपने पुत्र के गुणों को भाप लिया और एक संदेश भी दिया कि किसी की महानता का पता उनके व्यवहार अर्थात जीवन शैली से ही चल जाता हैं। आप मेरे लिए वही माँ हैं।"

"बिना तपे कुन्दन•••!"

23 जुलाई 2023

चार दिनों से रेशमा का अपनी मंडली के संग अपने विशेष अंदाज में ताली बजा-बजाकर 'बेसरा माता'(जिनकी सवारी मुर्गा है) की पूजा की जगह कथकली, कुचिपुड़ी, ओडिसी, सतत्रिया, मोहिनीअट्टम नृत्य करती अचंभित कर रही थी। सभी को शिव तांडव, माँ दुर्गा का भजन, माँ काली का रौद्र नृत्य की जीवंत प्रस्तुति भी पसन्द आए। जीने की चाह का पराकाष्ठा है राख़ से पुन: खिल जाना...!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...