एक मुक्तक
प्यार का बदला मिले सम्मान कम से कम हक़ तो होता है
मृत सम्वेदनाओं वाले पले आस्तीन में सांप शक तो होता है
अदब-तहज़ीब को भूल कर खुद को ख़ुदा से ऊपर समझे
हाय से ना डरने वाला जेब से नही दिल से रंक तो होता है
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एक क्षणिका
मौत का आभास नहीं मुझे
लेकिन
जिन्दगी में युद्ध नही
जीने के लिए तो
जीने में मज़ा नही
उबना नही चाहते
बिना समय मारे
मरना नही चाहते।
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ताँका
1
बेदर्दी शीत
विग्रही गिरी हारे
व्याकुल होता
विकंपन झेलता
ओढ़े हिम की घुग्घी।
2
फिरोजा होती
प्रीत बरसाती स्त्री
शीत की सरि
ड्योढ़ी सजी ममता
अंक नाश समेटे।
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एक क्षणिका
मौत का आभास नहीं मुझे
लेकिन
जिन्दगी में युद्ध नही
जीने के लिए तो
जीने में मज़ा नही
उबना नही चाहते
बिना समय मारे
मरना नही चाहते।
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ताँका
1
बेदर्दी शीत
विग्रही गिरी हारे
व्याकुल होता
विकंपन झेलता
ओढ़े हिम की घुग्घी।
2
फिरोजा होती
प्रीत बरसाती स्त्री
शीत की सरि
ड्योढ़ी सजी ममता
अंक नाश समेटे।
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