विदेशों में रहने वाले भारतीय किसी भी आयोजन को शनिवार/रविवार को मनाते हैं…। दीपोत्सव के पर्वमाला शुरू होने के ठीक पहले वाले शनिवार को तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन और राहुल शर्मा संतूर वादक (प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के पुत्र) का संगीत समारोह और रविवार को दीपोत्सव में जाने और आनन्दित होने की चर्चा पति और पुत्र के मध्य चल रही थी। चर्चा में रुकावट डालते हुए मुख्य-द्वार की घंटी की मधुर ध्वनि से किसी के आने की सूचना मिलते पुत्र ने एक बेहद प्यारे शिशु के संग दम्पति का स्वागत करते हुए बैठक में ही ले आया। पुत्र और दम्पति के मध्य चल रहे बातचीत से लग रहा था कि कुछ पुरानी अच्छी मित्रता है। परिचय करवाते हुए पुत्र ने बताया भी कि वह जब कुछ वर्षों पहले यहाँ रहने आया तो उनके पड़ोस में रहता था। कुछ वर्षों के लिए दूसरे शहर में जाने के बाद भी सम्पर्क बना रहा और वापिस आने के बाद तो दोस्ती गहरी हो गयी। दीवाली की शुभकामनाएँ देने आया है। माता-पिता बेहद ख़ुश हो रहे थे कि परदेश में दोस्त परिवार मिल गया है! शनिवार की छुट्टी का सदुपयोग करते हुए उस दम्पति को किसी और मित्र के घर भी जाना था। उनके जाने के बाद, “भारत के किस शहर का रहने वाले हैं?” पिता ने पूछा।“पंजाब का कोई शहर बताया था। अभी याद नहीं आ रहा।” पुत्र ने कहा।“पंजाबी बड़े सजे-सँवरे रंगीन पोशाकों में अच्छे लगते हैं। तुम्हारा मित्र तो थोड़ा रंगीन शर्ट डाले हुए था। उसकी पत्नी श्वेत शर्ट-पैंट पहने त्योहार का कोई उमंग ही नहीं झलक रहा था!” पिता ने कहा।“आप भी न! ज़माना बदल गया है…!” माता ने कहा।“चाहे ज़माना कितना भी बदले ‘अप रूपी भोजन’…,” पिता ने वाक्य को अधूरा छोड़ दिया।“चलिए हमलोग कार्यक्रम में चलें। आया-गया मेरा मित्र पाकिस्तानी है…!” पुत्र ने कहा।