Sunday 30 April 2023

गुड़ को पुन: गन्ना बना लेना

 गुड़ को पुन: गन्ना बना लेना


"कुछ लोग, जरा मन का नहीं हुआ या कोई बात पसन्द नहीं आयी तो संबंधित के सात पुश्त को अपशब्दों-गालियों से विभूषित करने लगते हैं। ऐसे लोग कोबरा से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं...,"

"ठीक कहा। उनसे उलझने से ज्यादा अच्छा है पत्थरों पर दूब उगा लेना।"

"अरे! कहीं भला पत्थरों पर दूब उगायी जा सकती है...?"

"हथेली पर सरसों उगाने इतना असम्भव बात नहीं है। बदलते ऋतु के संग पत्थरों पर धूल-मिट्टी जमा होते जाते और उनमें दूब उगायी जाती है..."

"बदलते ऋतु का असर रिश्वत देने वालों पर क्यों नहीं होता है। वे, भ्रष्टाचरण वाले रिश्वतखोर से कम दोषी नहीं होते हैं।"

" मन की अपनी विचित्र एक चेष्टा है, इसे चाहिये वही जो क्षितिज के पार मिलता है...!"

Friday 28 April 2023

प्रत्यागत

 प्रत्यागत


दरवाजे पर हल्की-हल्की थाप की ध्वनि सुनकर मैंने दरवाजा खोला तो देखा सजा-सँवरा कृष्णा खड़ा था।

"वाह बहुत अच्छे लग रहे हो कृष्णा! आओ, अन्दर आ जाओ !"

"ऑफिस जा रहा हूँ आपको प्रणाम करने के लिए माँ ने कहा है !" कृष्णा की बातें अस्पष्ट होती हैं। कई बार पूछने पर पूरी बात अंदाजा से समझा जा सकता है। नवजात से देख रही हूँ ।

"नवजात रो नहीं रहा है डॉक्टर।" 

नर्स के इतना कहते ही हडकंप मच गया। शहर का बेहतरीन नर्सिंग होम, दक्ष चिकिस्तक और जमींदार घराने का पहला नाती और वह बचे नहीं! सड़कों को रौंदने लगी गाड़ियाँ। शहर में बच्चों के जितने सिद्धहस्त चिकित्सक थे, सभी लाये गये। उपचार शुरू हुआ। नवजात की साँसें चलने लगी। वो रोने लगा। सबके चेहरे से भय मिट गया। कुछ दिनों के बाद जज्चा-बच्चा घर आ गये। बच्चे की परवरिश अच्छे से होने लगी। लेकिन बच्चे के बोलने-चलने में परेशानी झलकने लगी। पूरे परिवार पर वज्रपात हो गया। सबकी खुशिओं को ग्रहण लग गया। पुन: चिकित्सकों की पेशी हुई। विभिन्न जाँच के बाद पता चला कि नवजात की साँस वापसी में बच्चे के पूरे शरीर के एक नस में ऑक्सीजन नहीं पहुँच सका था जिसके कारण कृष्णा का शरीर असंतुलित, बोलने में अस्पष्टता आजीवन रहने वाला है। दादी के आँखों का तारा, ननिहाल का दुलारा, माता-पिता के लिए एक जंग/परीक्षा के साल गुजरते रहे। वर्षों बाद पिता की अचानक मौत हो गई। अनुकम्पा पर कृष्णा की नौकरी लग गई।


Friday 21 April 2023

दलदल

 

दलदल

पत्रकार : "विधा के दिशा निर्देशों के अनुसार से कमजोर लिखी गयी रचना को आपने प्रकाशित क्यों किया?"

उत्तरदायी : "ताकि वैसी रचना नहीं लिखी जा सके•••!"

पत्रकार : "इस बात को नवोदित लेखक और पाठक कैसे समझेंगे, क्या आपको नहीं लगता कि पुस्तक में अलग से एक परिशिष्ट में सूचना होनी चाहिए?

उत्तरदायी : "कमजोर होता क्या है••• जिस रचना की दस बार चर्चा हो, वही बन जाए कालजयी रचना•••! संगत के अपने किस दिन के लिए होते हैं•••!"

पत्रकार : कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।

जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन

उम्मीद करता हूँ वक्त का हिसाब ना हो हीन।"

Thursday 20 April 2023

रंगीन पत्ते : एकालाप शैली

रंगीन पत्ते : एकालाप शैली 

जेठ की तपी भू पर सावन की बौछारों सा लगभग पाँच साल के बाद परदेशी सपूत उनकी अस्वस्थ्यता के निदान हेतु आया। दीवाली का समय! लगे हाथ पूरे घर की सफाई करवा दिया तथा अनाज फल मिठाई आवश्यक समानों से भरा घर गुलजार हो उठा।घर गुलजार होने पर उन्हें याद आया मोटका मुन्ना के घर में रहने की बातें। उसके घर में वेलोग किराए में रहते थे। उसके घर के आगे एक कब्र था कब्र से सटे भुतहा घर जो बेहद सुंदर था तो पीछे मौलवी जी का घर जो साँप के काटे रोगी का इलाज़ करते थे। भुतहा घर के बगल में नशेड़ियों का घर था। भुतहा घर में एक दंपती थे जिनसे मिलने पत्नी के मायके वाले आए थे, माता-पिता, भाई। निदान में उन्हें चिकित्सकों के चक्कर से मुक्ति मिल गयी... पिता महोदय सिर्फ थेरेपी पर निर्भर हो गए तो माता सिर्फ सुबह के सैर पर।
लगभग सवा महीना संग रहकर परदेशी पूत की पुन: विदेश वापसी हो गयी।भुतहा घर में रहने वाली पत्नी का इलाज़ चल रहा था। प्रतिदिन एक सुई देने वाला चिकित्सक का सहायक आता था लेकिन उस दिन लगातार मूसलाधार बारिश होने के कारण आने से इंकार कर दिया। सुई पड़ना आवश्यक था तो पिता ने स्व देने का निर्णय किया। ज्यों सुई देकर सिरिंज निकालकर रखे बेटी की हालत बिगड़ने लगी। पिता भाई का घर बाहर भीतर बैचेनी में टहलते देखकर आस पास के लोग अपने -अपने घर के दरवाजे पर खड़े हो गए। कुछ देर में ही जोर-जोर से रोने की आवाज आने लगी।बरसात के कारण साँप के काटे के मरीज की भी मौत हो गई । उसे जगाए रखने में टहलाना भी नहीं हो पाया। मुस्लिम कैलेण्डर के मुताबिक शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया जा रहा था ।
कब्र पर जली मोमबत्ती सजाई गई थी..नशेड़ी बरसात से बेअसर मोहल्ले वाले को गाली दे रहा था। वार्ड मेयर के चुनाव में हार का सामना सहन नहीं कर पा रहा था।परदेशी सपूत 23 नवंबर की रात लगभग सवा बारह बजे घर से निकला सुबह के 3:35 में हवाई जहाज से निकलना था जो कि 24 नवंबर के दोपहर शाम में दूसरे हवाई जहाज से सेन होज पहुँच जाता.. फ्रैंकफर्ट में दूसरे हवाई जहाज में चढ़ने के बाद तकनीकी खराबी के कारण 25 नवम्बर की शाम तक नहीं पहुँच सका है। चिन्ता में होते हुए भी नहीं कहा जा सकता है कि कौन ज्यादा चिन्ता में होंगे।

Wednesday 19 April 2023

खट्टे अंगूर

खट्टे अंगूर 

अभी राजा विक्रम शव को कंधे पर लादकर कुछ ही क़दम चले थे कि तभी उस शव में मौजूद बेताल ने अपनी पुरानी शर्त को दोहराते हुए राजा विक्रम को यह नयी कथा सुनाई,

देश के विभिन्न राज्यों के अलग-अलग शहरों में लगे पुस्तक मेला, विश्व पुस्तक मेले में विभिन्न मंच सजे थे जिनपर विचारों का आदान प्रदान, पुस्तक लोकार्पण, विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रम हो रहे थे। सत्रों के बाज़ार में सात-आठ गुणा राशियों का जबरदस्त उछाल था। आयोजकों के बल्ले-बल्ले होना तय था। ऐसे आयोजनों के बहाने पाठक तथा लेखक के पैसों से कैसे- कैसे लोगों को उन्नत कर के जबरदस्ती गढ़ रहे हैं। प्रतिस्पर्धी बाजार को बढावा देना हो रहा था। विभिन्न प्रकाशकों के दूकान सजे थे। इस बार दोगुने से कुछ अधिक मूल्य पर दूकान आवंटित हुई थी। जिनके हौसले बुलन्द थे उनके दूकानों के बाहर लेखक - लेखिकाओं और उनके आत्मीयों के संग-साथ में चर्चाओं की गरम-नरम बातें उछल रही थीं..जितने बड़े प्रकाशक हैं उतने लूटने में व्यापारी हैं..। पुराने लेखक किताब बिकने के आधार पर लिखते थे क्या..! नए लेखक लेखन पर श्रम करें तो न पाठक और न क्रेता मिलेंगे..आज वाली बेस्ट सेलर पढ़कर सर के बाल नोच लेने या दीवाल में सर दे मारने का मन किसी का नहीं किया हो तो साझा कर सकते हैं। बेस्ट सेलर का स्याह कालिख का पता कैसे चले..!.. कोई पाठक कितनी पुस्तक खरीद सकता है... और क्यों सब पुस्तक खरीदे...।"

"विचारणीय है, पूछ लूँ कि ऐसा क्या विशेष सृजन हो गया था जो बड़ा - बड़ा अवार्ड मिल गया ?"

"पूछ लो! रोका किसने है... ?"

"चुप रह जाना बेहतर लगा यह सोचकर कि अंत में पता क्या चलेगा ?"

"सच बोलने का हिम्मत होगा ही.."

"जुगाड़ वाले सच बोलेंगे क्या..!"

अच्छा अब आप बताइए राजन इस आयोजन के पीछे जो लोग हैं उनकी विचारधारा साहित्य की नौका को डूबो देने की है क्या ?

शर्त को भूलते हुए राजा विक्रम ने तनिक क्रोधित होते हुए कहा "इस पर कौन बात करेगा? क्योंकि जिनको इसपर बात करनी चाहिए वे लोग वहाँ लार टपकाते और जी हजूर, जी हजूर वाली भूमिका में देखे जा रहे थे!"

"आप भी न राजन! आप चुप रह नहीं सकते और मैं ठहर नहीं सकता !"


Tuesday 18 April 2023

प्रदूषण



प्रदूषण

ट्रिन ट्रिन

"..."

"हेल्लो !"

"..."

"तुम्हारा उद्देश्य यही था न, अपने प्रति विशेष ध्यान दिलवाना और हर किसी को तुम्हारे प्रति आकर्षित कराना?"

"..."

"बक नहीं रहा, चेता रहा हूँ । आज तुमने जो मंच से वक्तव्य दिया उससे तुम्हारे प्रति विश्वसनीय होने पर क्या सवाल नहीं उठ गया ? इसे ही कहते हैं, 'पेट का पानी न पचना'।"

"..."

"तुमने सत्य बात कही। लेकिन वो बात दो मित्रों के बीच चुहल मजाक की बात थी जिसके प्रत्यक्षदर्शी थे तुम..। तुम पर उनका पूरा विश्वास रहा होगा। पारितोषिक पाने के लिए इस हद तक गिरना?"

"..."

"हुआ कुछ नहीं। अब जबकि वे दोनों मित्र मोक्ष पा चुके हैं। उनकी कही बात को भरे सभागार के सामने उछालना... यानी ख्याति के वृक्ष पर गिद्ध बन बैठ जाना।"

Monday 17 April 2023

मद मर्दन

अगर किसी विधा में मशीनगन चलाने की इच्छा हो ही जाए तो बकवास करने वाले को रोकना बकवास ही होगा क्या?
मद मर्दन




Sunday 9 April 2023

बदलता वक्त

 
[08/04, 8:24 am] : 3 मई को बिटिया का मुंडन कराना है, हरिद्वार में और 13 मई को इसका जन्मदिन है। सब कुछ ही अकेले है भाई का थोड़ा साथ मिलता है।

 मुंडन में इसके पिताजी नही हैं, घर से ननद को बुलाने का सोचा था पर बुलाने का मतलब यहाँ 2 महीने रुकवाना जो मेरे लिए ठीक न रहता सो अकेले ही करा लूँगी। अभी बहुत उथल पुथल चल रहा है

[08/04, 8:35 am] विभा :  यही तो जीवन का असली रंग है

बिना टेढ़े-मेढ़े तो साँस नहीं चलती

: बढ़िया होगा

रिश्ते दूर ही भले

लेकिन ननद की भूमिका कौन अदा करेगी?

[08/04, 8:38 am] : मेरी दोस्त है वहाँ उसे बुला लूँगी।

इन भूमिकाओं का अस्तित्व न रह गया है माँ, जब इनकी बुआ को इनके लिए संवेदना नही है तो सामाजिक नियम निभाने से कोई फायदा नही है

[08/04, 8:40 am] विभा : तो फिर करवाना ही क्यों?

[08/04, 8:40 am] : 3 की हो जाएगी बिटिया किसी को चिंता न है कि मुंडन कराना है, मैं सोच कर करा रही, इतने दिन इनके इंतज़ार में रही अब मुझे कोई फर्क न पडता कोई रहे न रहे। बस इसके, पेट के बाल उतरवा देना है,इतना ही है।

[08/04, 8:42 am] विभा: तो कहीं भी किया जा सकता है

हरिद्वार जाने-आने में परेशानी और खर्च ज्यादा

 जो हरि कहीं भी हों, वही होंगे न हरिद्वार में भी?

[08/04, 8:44 am] : यही मैं भी सोच रही हूँ

[08/04, 9:11 am] विभा : सोच रही हो तो अमल करो

प्रतीक्षा किस बात की•••!

कहीं भी उतरवा लेने से हरिद्वार वाले हरि नाराज होते हैं तो वहीं वाले हरि से पैरवी लगवा लेना आखिर माँ हो मातृ शक्ती को कब आजमाओगी••!"

[08/04, 9:15 am] : जी माँ

शिकस्त की शिकस्तगी

“नभ की उदासी काले मेघ में झलकता है ताई जी! आपको मनु की सूरत देखकर उसके दर्द का पता नहीं चल रहा है?” “तुम ऐसा कैसे कह सकते हो, मैं माँ होकर अ...