Friday, 21 April 2023

दलदल

 

दलदल

पत्रकार : "विधा के दिशा निर्देशों के अनुसार से कमजोर लिखी गयी रचना को आपने प्रकाशित क्यों किया?"

उत्तरदायी : "ताकि वैसी रचना नहीं लिखी जा सके•••!"

पत्रकार : "इस बात को नवोदित लेखक और पाठक कैसे समझेंगे, क्या आपको नहीं लगता कि पुस्तक में अलग से एक परिशिष्ट में सूचना होनी चाहिए?

उत्तरदायी : "कमजोर होता क्या है••• जिस रचना की दस बार चर्चा हो, वही बन जाए कालजयी रचना•••! संगत के अपने किस दिन के लिए होते हैं•••!"

पत्रकार : कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।

जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन

उम्मीद करता हूँ वक्त का हिसाब ना हो हीन।"

4 comments:

  1. हिसाब होना जरूरी है और उस हिसाब की किताब भी होनी |

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  2. छोटे से लेख में गूढ़ बात

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  3. कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
    जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन

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  4. गहरी बात और क़रारा व्यंग्य। साधुवाद।

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