Saturday, 26 July 2014
Wednesday, 23 July 2014
Sunday, 20 July 2014
हाइकु
गाये कजरी
मेघ से ले कजरी
भू बाला झूमे।
===
भू को बिखेरे
अति व अनावृष्टि
बिरुए रो ले।
===
भू मनुहार
प्रवाह तो निर्वाह
घटा छकाये
घन दे धोखा
ना क्षति निवारण
है जीव भूखा।
===
ध्यान से सूंघो / सृष्टि नाशक / विध्वंसकारी
बारूद गंध फैली
श्याम घन से।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikb_g6UekC3O_QIu23VJfEn1C7_6YyiQ1n_dCYGWuCxaIgxdr1BstCHnsi-G8jbJMtC9nsV0ECwPTda_q2bWhjRd3gpUCJdk-AMUYu0fBU82u56Bl1bUOr_jMQ60X3jZo6aRh6I4JQ7_tz/s640/huge-rain-drop.jpg)
धरा संवरी
मेघों सी काली साड़ी
बूंदों के बूटे।
बूंदों के बूटे
भुट्टे की धानी साड़ी
भू सज बैठी।
मेघों सी काली साड़ी
बूंदों के बूटे।
बूंदों के बूटे
भुट्टे की धानी साड़ी
भू सज बैठी।
- Pawan Kumar Jain दूसरा हाइकु बहुत ही जीवंत है .. प्रकृति परक हाइकुओं में अग्रणी हाइकुओं में से एक होगा
- लू लूट गया
- सूर्य का हठी दूत
- लुटेरा मेघ।
- अंशुक छीने
- सांठ गांठ कर ली
- बूंदें पवन।
Sunday, 13 July 2014
सावन
कोई शब्द मेरे नहीं हैं ..... मुझे अच्छे लगते हैं ..... बस संजो लेती हूँ
किसी को लगता है कि चोरी हो गई है .....
तो .... खर्च नहीं हुए हैं ...... सबके सामने है ....
वो अपने शब्द यहाँ से ले जा सकते हैं ....
![](https://fbcdn-sphotos-a-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpa1/t1.0-9/10458017_668615663233516_4182154232077457011_n.jpg)
वृक्ष हैं जीते
पत्ते से साँस लेते
वंश पत्ते भी।
खा के झकोरा
साखें गुत्थम गुत्था
पत्ते छिटके।
मूक है बैन
रहस्य रही बातें
बोल ले नैन।
भय से पीला
सूर्य-तल्खी है झेले
है घास पीला।
सुख सम्बल
छोड़ मेघ कोठरी
बरस बूंदे।
हवा किलोल
बादल फुटबॉल
जन बेहाल।
पथ गुम है
छिपे रत्नों के पोत
मेघो के ओट।
सांसे किलोल
जीव है फुटबॉल
उठा पटक।
स्वप्न किलोल
मंजिल फुटबॉल
रास्ते अनन्त।
सावन आई
दिगंचल संवरा
बहार छाई।
जग है प्यासा
सावन आ मिटाए
नीर पिपासा।
पेड़ है नफ़ा/सफ़ा
बादलें करे जफा
इंसा से खफ़ा।
भू स्तन सूखा
स्रष्टा का है संताप
है जीव भूखा।
उग हर्षाते
मशरूम से स्वप्न
ऋतु बरसे
जिन्दगी जैसी
आवा जाही रहती
है बूंदें रत्न
मेघ से भरे नदी {मेघ उडती नदी}
नदी से बने मेघ {नदी तैरता मेघ}
Tuesday, 8 July 2014
हाइकु
रोती दीवारे
परित्यक्त है घर
छीजते रंग
या
रोती है भीति
दीवट सूना पडा
छीजते रंग।
![](https://scontent-a-lga.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/t1.0-9/75941_667238770037872_4722261609823003378_n.jpg)
हो ना दमन
स्वप्नों पे पोते मसि
क्रोध अगन।
=====
छिपा तरङ्गी
अन्नत के अन्दर
शांत समुन्द्र।
![](https://fbcdn-sphotos-e-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpf1/t1.0-9/10464082_666045113490571_3355617520642149084_n.jpg)
आस से भरे
रौशनी का शहर
नभ व तारे।
======
पक के गढ़ा
हिय शीतल करे
धरा का कण।
![](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/t1.0-9/10402975_667214423373640_752443045878931731_n.jpg)
चट से फूटे
जीवन बुलबुला
चुलबुला है।
चुलबुला है
आत्मा कुलबुलाये
आवाजाही है।
Sunday, 6 July 2014
Subscribe to:
Posts (Atom)
1. मुबश्शिरा — 2. मुबश्शिरा
01. "क्या दूसरी शादी कर लेने के बारे में नहीं सोच रही हो?" सुई भी गिरती तो शोर गूँज जाता। जैसे आग लगने पर अलार्म बज जाता है। पहली...
-
“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
-
आखिर कहाँ से आया 'लिट्टी-चोखा' और कैसे बन गया बिहार की पहचान.... लिट्टी चोखा का इतिहास रामायण में वर्णित है। ये संतो का भोजन होता था...