Sunday, 6 July 2014
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“नगर के कोलाहल से दूर-बहुत दूर आकर, आपको कैसा लग रहा है?” “उन्नत पहाड़, चहुँओर फैली हरियाली, स्वच्छ हवा, उदासी, ऊब को छीजने के प्रयास में है...

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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
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आखिर कहाँ से आया 'लिट्टी-चोखा' और कैसे बन गया बिहार की पहचान.... लिट्टी चोखा का इतिहास रामायण में वर्णित है। ये संतो का भोजन होता था...
बहुत खुबसूरत हायकू..बधाई विभा..
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति आदरणीय , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - ७ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद
ReplyDeleteस्नेहाशीष शुक्रिया .... आभारी हूँ ....
Deleteबहुत ही मानीख़ेज़ हाइकू हैं दीदी!
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु, बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर उपमान और उपमेय |
ReplyDeleteनई रचना उम्मीदों की डोली !
वाह ... बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं सभी ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हाइकू
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छे हाइकू !
ReplyDeleteखूबसूरत हाइकु, सुंदर हाइगा…बधाई स्वीकारें!
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