Wednesday, 23 July 2014
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“नगर के कोलाहल से दूर-बहुत दूर आकर, आपको कैसा लग रहा है?” “उन्नत पहाड़, चहुँओर फैली हरियाली, स्वच्छ हवा, उदासी, ऊब को छीजने के प्रयास में है...

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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
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आखिर कहाँ से आया 'लिट्टी-चोखा' और कैसे बन गया बिहार की पहचान.... लिट्टी चोखा का इतिहास रामायण में वर्णित है। ये संतो का भोजन होता था...
मनहारी तांका
ReplyDeleteumda wah
ReplyDeleteसुंदर वर्नण...
ReplyDeleteसुंदर अंदाज मे....
सुंदर हाइकु व प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
अपने मन की उमंग को सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
ReplyDeleteसुंदर ।
ReplyDeleteबहुत मनभावन प्रस्तुति....
ReplyDeleteBahut Sunder
ReplyDeleteतांका और हाइगा दोनों बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteकर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
बढ़िया हाइकू ..
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन 3 महान विभूतियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteस्नेहाशीष .... शुक्रिया ....
Deleteबहुत खुबसुरत दी
ReplyDeleteहाइकु ने आज का दर्द बयाँ किया है. कभी तो ठीक होगा सब.
ReplyDeleteबढ़िया हाइकू ..
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