Thursday 26 November 2020

गम का नबाब

 

"तुम्हारा मुँह क्यों लटका हुआ है? डरो नहीं हम तुम्हारे पदोन्नति के पार्टी में ज्यादा खर्च नहीं करवाने वाले.. ज्यादा से ज्यादा एक माह के वेतन से हमारा काम चल जाएगा।"

"कैसी पार्टी.. किस बात की पार्टी.. ! सबको कम्पनी ने चार सौ-साढ़े चार सौ डॉलर बोनस दिया। यहाँ तक जो साफ-सफाई के कर्मचारी हैं उन्हें प्रत्येक माह पन्द्रह-बीस डॉलर बढ़ाया गया..। जिनकी पदोन्नति हुई उनके वेतन में एक डॉलर की बढ़ोतरी हुई क्या.. ?"

"मनुष्य के अतिरिक्त और किस-किस प्राणी में अभाव का रोना रोने आता है , किनके-किनके पास तुलना करने वाली सोच होती होगी..?

"तुम मुझ पर व्यंग्य कर रहे हो?"

"अरे नहीं! आओ तुम्हें एक कथा सुनाता हूँ..

किसी देश में अकाल पड़ गया। लोग भूखे मरने लगे। एक छोटे नगर में एक धनी दयालु पुरुष था। उसने छोटे-छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी। दूसरे दिन सबेरे एक बगीचे में छोटे-छोटे बच्चे इकट्ठे हुए। उन्हें रोटियाँ बँटने लगीं.. रोटियाँ छोटी-बड़ी थीं। सभी बच्चे एक-दूसरे को धक्का देकर बड़ी ही रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे। केवल एक छोटी लड़की एक ओर चुपचाप खड़ी थी। वह सबसे अन्त में आगे बढ़ी। टोकरे में सबसे छोटी अन्तिम रोटी बची थी। उसने उसे प्रसन्नता से ले लिया और वह घर चली आयी।

दूसरे दिन फिर रोटियाँ बाँटी गयीं। उस बेचारी लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली। लड़की ने जब घर लौटकर रोटी तोड़ी तो रोटी में से एक मुहर निकली।

उसकी माता ने कहा कि – ‘मुहर उस धनी को दे आओ। इस हमारा कोई अधिकार नहीं!’ लड़की दौड़ी चली गयी मुहर देने।

धनी ने उसे देखकर पूछा – ‘तुम क्यों आयी हो?'

लड़की ने कहा – ‘मेरी रोटी में यह मुहर निकली है। आटे में गिर गयी होगी; देने आयी हूँ, आप अपनी मुहर ले लें।’

धनी ने कहा, – ‘नहीं बेटी! यह तुम्हारे सन्तोष का पुरस्कार है।’

लड़की ने सिर हिलाकर कहा – ‘पर मेरे संतोष का फल तो मुझे तभी मिल गया था, मुझे धक्के नहीं खाने पड़े।’

धनी बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे अपनी धर्म-पुत्री बना लिया और उसकी माता के लिये मासिक वेतन निश्चित कर दिया। वही लड़की उस धनी की उत्तराधिकारिणी हुई।




Tuesday 24 November 2020

रोष

 "क्या हाल है ?" माया ने सुसी को व्हाट्सएप्प पर सन्देश भेजा।

"कोरोना के साथ जीने की कोशिश कर रही हूँ। हा हा हा हा हा..!सुसी ने अनेक हा, हा लिखते हुए कई हँसता हुआ इमोजी भी लगा कर जबाबी सन्देश भेजा।

"अरे मेरी दोस्त! हमसब कोरोना के साथ ही जीने की कोशिश कर रहे हैं..., थैंक्सगिविंग सप्ताह की छुट्टियों में क्या तुम दो घण्टे का समय निकाल सकती हो, या शहर से बाहर जा रही हो?" माया ने सुसी को पुनः व्हाट्सएप्प सन्देश भेजा।

"कोरोना के साथ जीने की कोशिश कर रही हूँ...यानी मुझे सच में कोरोना हुआ है और मुझे पूरे चौदह दिनों का क्वारंटाइन होने का सुख मिल गया है... हा हा हा हा हा..! सुसी ने अनेक हा, हा लिखते हुए कई हँसता हुआ इमोजी भी लगाकर पुनः जबाबी सन्देश भेजा।

"अरे! तुम्हें कैसे हो सकता है? तुम तो कमरे से बाहर नहीं निकलती हो..। इतने महीनों से तुम अपने घर चीन नहीं गयी...,"माया ने सन्देश भेजा।

"बाहर से जो पका भोजन आता है उसे गरम करने किचन तक जाती हूँ। कुछ दिनों पहले मकान मालकिन का प्रेमी शिकागो से आये थे।"

"अरे! शिकागो से कैलिफोर्निया.. हो सकता है कोई ऑफ्फिसियल टूर हो?"

"नहीं केवल प्रेमिका का चेहरा देखने... उन्हें बेहद चिंता लगी हुई थी... रह नहीं पा रहे थे... कुशलता पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे...!"

"उनदोनों की उम्र कितनी होगी?"

"लगभग 65-70 की प्रेमिका और 62-72 के प्रेमी!"

"वे दोनों गाये होंगे, 'तुझ में रब दिखता है'..! मैं स्तब्ध हूँ!"

"इसलिए तो हमलोगों में कोरोना दिख रहा है..,"

"किस सोच में डूबी हो?" माया के कन्धे पर हाथ रखती हुई उसकी माँ ने पूछा।

"सामान्य कोरोना होने के बाद जीवित रह जाना भी चिन्ता से मुक्ति नहीं है माँ..! स्वस्थ्य होने के कई महीनों के बाद यादाश्त खो जाना, उच्च रक्तचाप..,"

"क्यों क्या हुआ?"

"सुसी को कोरोना हुआ है और वह मुझे हा हा हा हा हा अनेक हा, हा लिखते हुए कई हँसता हुआ इमोजी भी लगाकर जबाबी सन्देश भेजा।"

"बहादुर बच्ची है उसका हौसला बढ़ाने में तुम भी सहायक होना।"



Friday 20 November 2020

अवसाद का सफाया


"देख रही हो इनके चेहरे पर छायी तृप्ति को? इन सात सालों में आज माया पहली बार रसियाव (गुड़ चावल) बनाई... बहुत अच्छा लगता है जब वह सबके पसन्द का ख्याल रखती है!"
"रसियाव बनाना कौन सी बड़ी बात है ? और यह क्या दीदी तुम भी न माया की छोटी-छोटी बातों को अनोखी स्तब्धता तक पहुँचा देती हो.. , चल्ल, हुह्ह्ह..!,"
"यही तो बात है छुटकी! रसम, सांभर यानी इमली जिसके रग-रग में भरा हो वह मीठा भात पका कर तृप्त करे तो है बड़ी बात..।"
"साउथ इंडियन होकर बिहारी से शादी...,"
"जरा सोच! खुश होकर ना पकाती तो... अरे छोड़ो ... यह बताओ बेटियों की गुणगान करने वाली माताएँ बहू प्रशंसा में इतनी कंजूस क्यों हो जाती हैं? ललिता पवार सी सास वाली भूमिका से बाहर निकलेंगी भी नहीं और आजकल की बहुएँ, आजकल की बहुएँ जपेंगी भी।"
"हमारी प्रशंसा तो कोई नहीं किया। खैर! मैं अब चलती हूँ दीदी। अम्मा जी का भेजवाया छठ का प्रसाद तुम्हें देने आयी थी।"
"जिस दिन हम बहू को बहू भी समझने लगेंगे उस दिन समाज में फैला स्यापा मिटने लगेगा और सच में छठ पूजन की सार्थकता समझ में आने लगेगी।"


 

Thursday 19 November 2020

स्वच्छता अभियान

'कथा पात्र : मधुमक्खी और कबूतर'

क रानी मधुमक्खी थी। एक बार वह उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी। अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गए। अब वह उड़ नही सकती थी। उसकी मृत्यु निश्चित थी। तालाब के पास पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने मधुमक्खी को पानी में डूबते हुए देखा। कबूतर ने पेड़ से एक पत्ता तोड़ा। उसे अपनी चोंच में उठाकर तालाब में मधुमक्खी के पास गिरा दिया। धीरे-धीरे मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई। थोड़ी देर में उसके पंख सूख गये। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया। फिर वह उड़ कर दूर चली गई।

कुछ दिनों के बाद उसी कबूतर पर संकट आया। वह पेड़ की डाली पर आँख मूंदकर सो रहा था। तभी एक लड़का गुलेल से उस पर निशाना साध रहा था। कबूतर इस खतरे से अनजान था। मगर मधुमक्खी ने लड़के को निशाना साधते हुए देख लिया। मधुमक्खी उड़कर लड़के के पास पहुँची। उसने लड़के के हाथ में डस लिया। लड़के के हाथ से गुलेल गिर पड़ी। दर्द के मारे वह जोर-जोर से चीखने लगा। लड़के की चीख सुनकर कबूतर जाग उठा। उसने अपनी जान बचाने के लिए मधुमक्खी को धन्यवाद दिया और मजे से उड़ गया।

'कथा पात्र : चिड़िया और मधुमक्खी'

क पेड़ पर चिड़िया और मधुमक्खियों का पूरा परिवार रहता था। दोनों में बड़ी गहरी मित्रता थी। किसी की क्या मजाल जो इन मधुमक्खियों और चिड़िया को नुकसान पहुँचा जाए?

एक रोज चिड़ियाँ दाना चुगने गई। चिड़िया के अंडे को कौवे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे । तभी अचानक मधुमक्खियों ने कौवे पर हमला करके डंक मार-मार कर घायल कर दिया और कौवों को भागना पड़ा।

कुछ दिनों के बाद एक दिन मधुमक्खी फूल पर पराग लेने बैठती है । पराग से ही तो मधुमक्खी शहद बनाती है। वो शहद जो हमें बेहद पसन्द आता है। फूल पर मकड़ी भी बैठी होती है जिसके जाल में मधुमक्खी फँस जाती है और वह उड़ नहीं पा रही थी। चिड़िया उसे देखती है और बचाने चली जाती है। चिड़िया मधुमक्खी को मकड़ी के जाल से निकाल देती है।

मधुमक्खी चिड़िया को धन्यवाद देती है और कहती है,-"अगर तुम आज नहीं आती तो मुझे नहीं पता है कि कौन मेरी मदद करता।" "अगर तुमने हमारी मदद उस दिन ना की होती तो हमें भी बहुत परेशानी हो जाती।" चिड़िया कहती है। और मधुमक्खी था चिड़िया साथ-साथ मिलकर खुशी-खुशी रहते हैं।

"पुनः भेंट होगी...!" कथा वाचक ने कहा।

"अभी आपलोग सी ई ओ महोदय से बाल कथाओं का आनन्द ले रहे थे।उम्मीद है आपलोगों को पसन्द आयी होगी..! चिड़िया ‘हनीगाइड’ भी होती है...।" संयोजक महोदया ने कहा। "हम अभी जिस इलाके में हैं उसमें पुनः सब जोख़िम में पड़ गया...।

इस केबिन फोबिया काल में

–आपलोग अपने को कैसे बचाकर रखने में सफल हो रहे हैं ?

–कम्पनी के कार्य करने के साथ-साथ और क्या साकारत्मक यानी आपके कौन से शौक पुरे हुए?

–थैंक्स-गिविंग के समय के लिए क्या-क्या  योजनायें हैं ?

वेबिनार में जानने के लिए हमलोग पुनः जुड़ेंगे.., तबतक के लिए विदा..!"

पैतालीस मिनट चले वेबिनार में कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को बाल कहानियों के रंगीन पुस्तकों के पन्ने पलट-पलटकर कहानी कहते हुए और संयोजक महोदया के गोद में स्थिर बैठे शिशु को देखकर सभी अचंभित थे।

लॉकडाउन–

बिज्जुओं व गिद्धों में

गुत्थमगुत्था।

CEO – Chief Executive Officer

Saturday 14 November 2020

गृहलक्ष्मी



"मअआ! आज इंडियन्स स्टोर में इतनी भीड़ थी कि कुछ मत पूछिए...। स्टोर में इतने समान थे , इतने सामान थे कि मन कर रहा था , सारे के सारे खरीद कर ले आऊँ।" बहुत दिनों के बाद माया बाजार निकली थी और लौट कर बेहद उत्साहित स्वर में बता रही थी।
"तो सारे खरीद लायी क्या... ? मुझे भी लगा था कि तुम ऑफिस के कामों से थकी-हारी बाजार गयी हो तो मिठाई खरीद कर ले आना ही ठीक लगेगा।"
"नहीं माँ!  इस बार घर में खुद से ही बनाना है तो खुद से बनाना है। और आप कितना सहज आसान तरीकों से बिना थकावट कैसे काम पूरा किया जा सकता है सीखा रही हैं। वो तो लॉन्ग लाइव मुझे काम देने वाला है।"
"गुलाबजामुन बनाते समय गोली के बीच में इलायचीदाना या मिश्री का दाना या किशमिश डाल देना तो बीच में कड़ा हिस्सा नहीं हो पायेगा..।"
"माँ से ज्ञानों से सीखने के लिए माँ के साथ रहना जरूरी है। फोन कॉल या किसी पुस्तक में यह नहीं मिला करता फुटनोट।

Friday 13 November 2020

दीपोत्सव

लक्ष्मी का अर्थ केवल धन से लगाने में संकुचन.. , आज देर रात्रि सबके सो जाने पर कूड़े के ढ़ेर पर दीया जलाने का प्रचलन है..। अंधेरा हो जाने पर झाड़ू लगाना वर्जित रहा..। यानी कूड़ा को भी लक्ष्मी के रूप में देखा गया... ।

नहीं मानते तो मैं कहाँ लक्ष्मी के सवारी को समझा रही...

सही गलत बताने हेतु वर्ण पिरामिड है...

वर्ण पिरामिड

श्री सौम्यी अत्ययी दीपोत्सव उलूकोदय श्रीहीनासंचयी ग्रस्तोदयाक्षक्रीड़ा।{01.}

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हाँ!
हन्ता
तृषिता
तम रोता
दीप हँसता
बूझो अन्योक्ति
बसता या बसाता।{02.}

Thursday 12 November 2020

प्रदूषण

"मैं तुम्हें मुर्ग बनाकर रखने के लिए बोला था यह क्या घास-फूस उबाल कर रख दी हो?" पति के दहाड़ने की आवाज गूँजी।

"हल्की सर्दी और लगातार बारिश होने के कारण मैं लाने नहीं जा सकी और सारे स्टाफ को आप..," पत्नी मिमियाते हुए बात रखने की कोशिश कर रही थी।

"बन्द करो बकवास..! मुझे मुर्ग खाना है तो मुर्ग खाना है.., ऑर्डर कर मंगवाओ, तब तक मैं उद्घाटन कर आता हूँ!

 Good Morning, Good Evening, Good Afternoon, wherever you are, and whichever applies.! 

चूँकि भारत के समय से अमेरिका-लन्दन के समय में अंतर है। हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि हम अपने उद्योग के विस्तार हेतु विदेशों में शाखाएँ स्थापित कर रहे हैं।"

भोजन मेज पर ही लैपटॉप पर वर्चुअल गोष्ठी में लक्ष्मी-गणेश पूजा और शाखा उद्घाटन समाप्त कर,  मुर्ग खाने के बाद चौसर पर बैठे महाप्रन्धक थोड़े अधिक नशे में थे।

बिना हॉल में गए , बिना टिकट कटवाए देखे गए फिल्म की चर्चा विदेशों में शोर मचाने वाली थी। महाप्रबन्ध का स्टॉफ वर्चुअल गोष्ठी का रिकार्डिंग टीवी पर चला रहा था और महाप्रन्धक का नशा उतर रहा था।



Saturday 7 November 2020

अहोई अष्टमी और बहुला अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ…

 पिरामिड जनक : आदरणीय भाई श्री Suresh Pal Verma Jasala जी

***शीर्षक = प्रदत्त चित्र "अहोई/अहोई माता" पर सृजन


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जथा(धन)
अवृथा
साम्यावस्था
अजहत्स्वार्था
मिट जाए व्यथा
माता अहोई कथा।{01.}
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धा
पर्धा
अभिधा
अनहोनी
पुत्रोम्र छीजे
माता आँख मूंदे
अहोई अवमानी।{02.}
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Friday 6 November 2020

'राष्ट्रीय चेतना'

भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यार्पण का मामला लन्दन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में अंतिम स्तर में पहुँचने के कारण अटकलें और सट्टाबाजार जोर पकड़ रही थी।
पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े करीब 11 हज़ार करोड़ से ज़्यादा के घोटाले के मामले में प्रत्यार्पण के खिलाफ लड़ रहे उन्नचास वर्षीय हीरा कारोबारी की पेशी के मामले में ताजा सुनवाई के लिए दक्षिण-पश्चिम लंदन में वैंड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के माध्यम से होने, जिस दौरान डिस्ट्रिक्ट जज सैमुअल गूजी आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला साबित करने के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मुहैया कराये गये कुछ साक्ष्यों की स्वीकार्यकता के खिलाफ नीरव के बचाव दल की दलीलों को सुनने..

भारतीय अधिकारियों की ओर से दलील रख रही क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) इस बात पर जोर देने वाली कि साक्ष्य उन आवश्यक मानकों को पूरा करते हैं जो ब्रिटेन की अदालत के लिए इस बारे में विचार करने के लिए जरूरी हैं कि नीरव मोदी का मामला भारतीय न्याय प्रणाली के समक्ष भेजे जाने योग्य है या..., ...नीरव मोदी आत्म समर्पण कर देता है...।

पत्रकारों की भीड़ नीरव मोदी को अपने घेरे में ले लेती है और प्रश्नों के बौछार करती है, "दण्ड के लिए कैसे तैयार हो गए?"

"इस वैश्विक युद्ध के भयावह काल में आत्मा जग गयी..!"

"कौन विश्वास करेगा...?"

"भारत में प्रायश्चित से साधु बना जा सकता है..! ...अंगुलिमाल और रत्नाकर ने विश्वास जीत लिया..!"

"दण्ड काल काटने के बाद की कोई योजना..?"

"कोशी क्षेत्र के भीम नगर में स्थापित होने का प्रयास करना...।"

...अगला सवाल उछलने के पहले सन्ध्याकाल में सो रही विभा रानी को उसकी बहू माया ने जगा दिया...।



Wednesday 4 November 2020

जैसे को तैसा

 



"क्या तुम्हारे सारे पैसे वापस आ गए जो तुमलोगों ने अति उत्साह में खर्च कर डाले थे?" अलका ने सौम्या से पूछा।

"लगभग!" सौम्या ने कहा।

"कैसे पैसे और कहाँ खर्च कर डाले थे?" रूपा ने पूछा।

वीडियो कॉल के जरिये तीनों सहेलियाँ अलका न्यूयॉर्क सौम्या कैलिफोर्निया व रूपा ह्यूस्टन से जुड़ अपने-अपने अनुभवों का आदान-प्रदान कर रही थीं।

"नीरसता और अवसाद को थोड़ा दूर करने के लिए मेरे पति ने एक योजना बनायी। पूरे अपार्टमेंट वालों से व्हाट्सएप्प ग्रुप के जरिये विमर्श किया और एक पार्टी की तैयारी की, 31 अक्टूबर 2020 को हैलोवीन पार्टी। बच्चों के लिए गेम तथा बच्चों, युवाओं को पसन्द आने लायक भोजन की व्यवस्था की गयी। 

मेरी बिटिया का जन्मदिन 2 नवम्बर को पड़ता है तो हमने सोचा कि एक पंथ दो काज हो गए। सन्ध्या में सभी एकत्रित हुए बच्चें गेम में जुट गए। पुरुष-महिलाओं को बहुत महीनों के बाद एकजुट होने का मौका मिला.. ,सभी गप्प में व्यस्त हो गए। किसी ने ना तो बच्चों का ख्याल रखा और ना तो भोजन लगाने में मेरी किसी तरह की मदद किया। हद तो तब हो गयी जब किसी ने भी किसी तरह से शुक्रिया-धन्यवाद कहने की आवश्यकता महसूस नहीं की। 

मैं भी दूसरे दिन व्हाट्सएप्प ग्रुप में सन्देश दे डाला कि अमुक परिवार को इतनी राशि इस अकाउंट में डाल देनी है।" सौम्या ने कहा।

"मेरे अपार्टमेंट में किसी को किसी तरह की परेशानी हो संयुक्त परिवार की तरह सभी एक दूसरे की सहायता के लिए धन-मन-जन से जुट जाते हैं। मेरे बच्चे के जन्म के समय अस्पताल से लेकर तीन महीनों तक ना तो भोजन की चिंता करनी पड़ी और ना बच्चे के देखरेख की। हमारे अपार्टमेंट में सदैव पुष्प प्रस्फुटित होते ही रहते हैं।" रूपा ने कहा।

"इतना देखभाल तो सास-माँ भी ना करें...," अलका-सौम्या ने एक स्वर में कहा।

"सत्य है हम अपने अनुभव पर अपने विचारों का विस्तार करते हैं।" रूपा ने कहा।

Sunday 1 November 2020

ट्रिक-या-ट्रीटिंग

हल ज्ञात है तो
समस्या की क्या बिसात है..!
"अरे! वाह्ह.. ! हैलोवीन का बेस्ट घोस्ट बना लिया आपने..!" अपने चेहरे पर सोडियम वेपर लाइट की रौशनी बिखराती हुई उल्लास में उछलती हुई तनया ने ठहाके लगाते हुए आगे कहा,-"पम्पकिन लाना सार्थक हो गया। इसका श्रेय मुझे जाता है।"
"हाँ! हाँ! क्यों नहीं..," व्यंग्यात्मक हँसी उछालता हुआ तनया के पति हितार्थ ने कहा,-"सिर्फ शिलान्यास से ही ताजमहल गिनीज़ बुक में नहीं आ जाता..!
"रात के खाने में क्या बनाने का सोची हो तनया?" तनया की सास सबके लिए दोपहर के भोजन की तैयारी करते हुए पूछा।
"अभी-अभी तो तुम्हारी दुलारी की आँख खुली है माँ । उससे रात के खाने के बारे में पूछकर उसको पानी नहीं पिलाओ।"
"जानती हैं माँ, जब मैं अपनी सहेलियों और महिला सहकर्मियों को बताती हूँ कि तुमलोग जो ससुराल की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती हो या तो सास या बहू बेहद दबंग-खड़ूस या निरीह दयनीय स्थिति में.. -, ऐसा तो मुझे अपने सास-ससुर के साथ या ससुराल में सात-आठ वर्षों के दौरान ना तो कभी देखने में या ना अनुभव में सामने आया। कुछ भी पहन लो, कुछ भी खा लो, कभी सो जाओ, कभी सो कर उठ जाओ। जितना कार्य कर सको उतना ही करो, वे लोग विश्वास ही नहीं करती हैं।"
"मल्लिका-ए-हृदय! मेरी बेगम साहिबा! अस्सी-पच्चासी प्रतिशत घरों में नए सवेरा की प्रतीक्षा आज भी है।"
तनया हितार्थ की बातों को बड़े ध्यान से सुनते हुए कहा,-"माँ में बेस्ट पार्ट क्या है आप जानते हैं-उनमें बचपना मौजूद होना। बच्चे सा उत्साहित रहना, सीखने व सिखलाने के लिए।"



दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...