Tuesday, 18 February 2025

कूल्हा का फोड़ा


कपोल की अधिकांश चेष्टाओं {विशेष— चार प्रकार की —(१) कूंचित (लज्जा के समय) (२) रोमांचित (भय के समय), (३) कंपित (क्रोध के समय), (४) क्षाम (कष्ट के समय)} का क्रमानुसार बारी-बारी से आवागमन जारी रहता है!

“यहाँ के कठोर तानाशाही या यूँ कहो गुलामी से हम आज़ाद होंगे। तुम्हारा अपना स्टार्टअप होगा। बाद में मुझे सहयोगी रख लेना। हमदोनों राज करेंगे, राज। हम बादशाह होंगे!” शान के दिखाए सब्ज़बाग में फँसकर शालिनी त्यागपत्र देने का विचार कर अपने तत्कालीन मालिक से मिलने उनके केबिन में जाती है! शालिनी के पति उच्चस्थ सरकारी पदाधिकारी थे और कार्यालय में ईमानदार अधिकारी, सहयोगियों के साथ मित्रवत व्यवहार रहता था तो सभी उन्हें अपना समझते थे। अचानक एक दिन उनकी मौत हो जाती है। अनुकम्पा के आधार पर शालिनी की नौकरी उसी कार्यालय में लग जाती है। शान उसका सहयोगी होता। शालिनी के बैंक के खाते में बहुत राशि है इसकी जानकारी उसे हो जाती। कुछ महीने के बाद वह शालिनी के करीब आने में सफल हो जाता है। 

शालिनी जब अपना त्यागपत्र पदाधिकारी को सौंपती है तो पदाधिकारी के सुझाव पर त्यागपत्र नहीं देकर अवैतनिक छुट्टी पर जाने का विचार मान लेती है। पदाधिकारी उसके मन में शक का बीज रोपने में सफल रहते हैं और उसे चौकन्ना रहने की सलाह भी देते हैं। शालिनी अपने अवैतनिक छुट्टी पर जाने की बात शान से छुपा लेती है और शान की मदद से अपना स्टार्टअप शुरू करती है। उसकी दिन-रात की मेहनत और शान के साथ से उसे लगता है कि उसका जीवन सहज रूप में गुजर रहा है तो वह शान से शादी का प्रस्ताव रखती है। शान उसे कुछ दिन और प्रतीक्षा करने की बात करता है। 

एक दिन वह किसी ग्राहक से मिलने उसके बुलाए स्थान पर जाती है तो कुछ दूरी पर शान को किसी अन्य महिला के साथ देखती है! वह जबतक उनके करीब पहुँचती है तब तक वे दोनों वहाँ से दूर जा चुके होते हैं। वह अपने ग्राहक से मिलकर वापस आ जाती है। कुछ दिनों के बाद उसके स्टार्टअप का उद्घाटन समारोह हो रहा होता है। प्रेस-मीडिया वाले भी उपस्थित होते हैं। सभी से शान ख़ुद को बेहतर साबित करने में लगा हुआ था। उसी व्यस्तता में एक कर्मचारी शिवानी से हस्ताक्षर लेने के लिए एक फ़ाइल प्रस्तुत करता है। शिवानी फोन पर किसी से बात करने में ख़ुद को व्यस्त दिखलाती है और कर्मचारी को किसी काम के बहाने से दूर भेज देती है तथा फ़ाइल को गौर से पढ़ने लगती है तो स्टार्टअप शान के नाम से हो जाए का दस्तावेज़ दिखलाई पड़ता है। कपोल की अधिकांश चेष्टाओं को नियंत्रित करते हुए पूरा स्टार्टअप अपने अकेले नियंत्रण में रखने का दृढ़ निश्चय करती है!

Monday, 3 February 2025

तुरुप का इक्का


“नेताओं के लिए ऐसे वादे करना आम बात है दीदी। रिकॉर्डेड वादे पूरे न होना भी उनके लिए बेशर्मी की बात नहीं रह गई है। मुकरना और थूक कर चाटना राजनीति का पहला सिद्धांत बनता जा रहा है।”

“राजनीतिक और मतदान पर कागज काला करना ही समय की बर्बादी है : और मतदान करने जाना तो उससे भी बड़ी मूर्खता : बिहार में रहने के कारण मतदान के परिणाम  को बहुत करीब से देखने का मौक़ा मिला है : जंगलराज और साँपनाथ-नागनाथ से वास्ता पड़ता रहा है— फ़िर भी”

“नमस्कार दास बाबू!”

ठण्ड अपना  बोरिया-बिस्तर बाँधने में जुटी थी क्योंकि अरुणाई को तरुणाई मिलने वाली थी! धूप और हार-जीत का आनन्द लेने के लिए दास बाबू अपने मित्र शम्भु के संग बिसात बिछाए अहाते में जमे हुए थे, नमस्कार की आवाज की ओर मुड़े और प्रत्युत्तर में दोनों हाथ जोड़े चिहुँक पड़े! दल-बल के संग आए खद्दरधारी नेताजी को अन्दर आने देने के लिए दरबान को इशारा किया।

“इस इलाक़े के शहंशाह हमारे घर पर कैसे पधारे?” व्यंग्यात्मक मुस्कान दास बाबू के चेहरे पर अपना सिक्का जमाए हुए थी।

“वरदायनी का दिवस था! शुभकामना माँगने चला आया। कुछ दिनों के बाद आपकी उँगली पर लगी स्याही हमारे भाग्य को चमका देगी जैसे आजकल धरा पीताम्बर ओढ़े दमक रही है!” दोनों हाथ जोड़े बोलने वाले के मुख से शहद मिश्रित वाणी निकल रही थी।

“बदले में हमें क्या चाहिए वह बताने के पहले आपको एक उदाहरण देता हूँ- मैं कुछ दिनों पहले विदेश गया था। वहाँ मेरे एक परिचित ने मुझे एक चर्च में में घुमाया। चर्च में मुफ़्त में संस्कारशाला चलाने की अनुमति मिली हुई थी। अधिकांश बच्चे विदेशों में पल रहे हैं। दादा-दादी, नाना-नानी की भी मजबूरी हो गई है विदेशों में रहना। वे लोग अपनी अगली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए एकत्रित होते हैं।”

“आपको सरकार से क्या उम्मीद है वह स्पष्ट रूप से कहें।” नेताजी  ने पूछा।

“सरकार साहित्यकारों को मुफ्त में एक मंडप दे।” दास बाबू ने माँग रखी।

“विद्यालयों में आठ घंटे की जगह चार-चार घण्टे की कक्षा लगे।” शम्भु ने दूसरी माँग रखी।

“घोषणा पत्र में संकल्‍पना एवं सुसंगतता से दर्ज किया जाएगा!” दल-बल वाली भीड़ से समवेत आवाज गूँजीं।

“मैंने वीडियो बना लिया मालिक!” दरबान की वाणी ने सबको भौचक्का कर दिया।

Thursday, 9 January 2025

1. मुबश्शिरा — 2. मुबश्शिरा

 01.

"क्या दूसरी शादी कर लेने के बारे में नहीं सोच रही हो?" सुई भी गिरती तो शोर गूँज जाता। जैसे आग लगने पर अलार्म बज जाता है। पहली भेंट और ऐसा प्रश्न ! महिलाओं की गोष्ठी थी। दूर से आने के कारण रत्ना अपनी बेटी के साथ, समय से थोड़ा पहले आ गई थी। परिचय होने के दौरान पता चला कि बेटी विधवा है। और उसके दो बच्चे भी हैं। और इसी से मिला मेज़बान का बाउंसर प्रश्न !

     "नहीं आंटी ! सुख लिखा होता तो एक का साथ लम्बा चलता।" रत्ना की बेटी की आवाज कहीं गहरे कुएँ से आती लग रही थी।

      "दो बच्चों के साथ अपनाने के लिए कोई मिले भी तो…?" रत्ना ने कहा।

      "ज़माना बहुत बदल गया है। आजकल बहुत आसानी से बच्चों के साथ अपना लेने वाले पुरुष बहुत मिल जाते हैं!" मेज़बान काउंसलर की भूमिका अपना रही थी।

      "फरिश्ते हर ज़माने में मिला करते थे। आज भी मिला करते हैं। लेकिन फ़रिश्तों की संख्या हर ज़माने में दूज के चाँद-सी ही होती है।" रत्ना की सहेली ने कहा।

      "अगर शादी के बाद फ़रिश्ता ना निकला तो ताड़ से गिरकर खजूर में अटक जाने वाली बात हो जाएगी।...और कहीं की नहीं रहेगी मेरी बेटी…!" रत्ना का स्वर बेहद मर्माहत था।

      "और नहीं तो क्या…! आजकल तो कुँवारियों की संख्या बढ़ रही है। शादी के बाद के हज़ार झंझटों से बचने के लिए?" रत्ना की सहेली ने कहा।

      "और अगर मैं आप लोगों की सारी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करूँ और अपनी माँ की कही बातों को सच साबित करने का वादा करूँ तो क्या आप मुझे एक मौक़ा देंगी?" चाय की ट्रे लाते हुए मेज़बान के बेटे ने पूछा। 

      पुनः सन्नाटे के साम्राज्य ने जड़ जमा ली।

02.

"जोमाटो से विष्णु को धोखा मिला। उस दिन से मैंने भी जोमाटो से कुछ मँगवाना छोड़ ही दिया था। आज पहाड़-सी मजबूरी थी।शंकित मन से मुझे जोमाटो को ही ऑर्डर करना पड़ा।"

      "विष्णु के साथ तुमने जो धोखा किया, उसमें कितने का घाटा लगा था विष्णु को? जिसके विरोध में विष्णु ने तुम्हें जो घाटा लगाने के मौके देखे?" मैंने जोमाटो वाले से पूछ ही लिया। 

       जोमाटो वाले को मानो साँप सूँघ गया वाह कुछ देर तो बोला ही नहीं! फिर जोर देकर पूछा तो बताने लगा--"धोखा तो धोखा होता है। चाहे एक रुपये का हो या एक लाख का? जाड़े के दिन थे। विष्णु से खाने का ऑर्डर मिला। रात का बचा हुआ बासी खाना था। उसे मैंने तड़का लगाया और भिजवा दिया। पैसा देने के दौरान, विष्णु के अकाउंट में जितना रुपया था, सारा का सारा मेरे अकाउंट में चला गया। विष्णु मचल कर रह गया।"

       "तुम्हारे दाँत खट्टी करने के बदले, ऐसे हालात में, मैंने पुनः तुम्हें ऑर्डर किया। जो कि मुझे नहीं करना चाहिए था। इसी को कहते हैं, कुल्हाड़ी पर पैर डाल देना? लेकिन मैंने कुल्हाड़ी पर पैर डाला, क्योंकि मैं समझना चाहती थी, कि तुम-में-कुछ परिवर्तन हुआ है, कि नहीं।"

       अब आत्म-संदेह में फँसा जोमाटो वाला असहज मालूम पड़ रहा था। और मैं अपनी साँसें रोके, गरम ईंटों पर बिल्ली की तरह डिलीवरी बॉय जब तक नहीं आया था घर-बाहर चहलक़दमी कर रही थी..!डिलीवरी बॉय आया तो उसे देख मैंने सब-कुछ भुला दिया। मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। जब देखा, डिलीवरी बॉय एक विकलांग था…! अच्छा हुआ जो जोमाटो से सामान मँगवाई, क्यों खेत खाये गदहा, मार खाए जुलाहा!


Monday, 6 January 2025

उजाले में करू

 


“आज अनेक दिनों के बाद क़ैद से सूरज निकला था! तुम छत पर बैठे धूप का आनन्द ले रहे थे! कमान से छूटे तीर की तरह अचानक तेजी से दौड़ते हुए कहाँ चले गए थे?"

"पड़ोस के छात्रावास के हाते से आते शोर के कारण देखने चला गया था! कैसा शोर है…?”

"कैसा शोर था?"

"लड़कियों का दो दल आपस में ही सर-फुटव्वल करने में भीषण घायल हो रही थीं…! एक ही लड़का, अनेक लड़कियों को अपने प्रेम-बिसात का मोहरा बनाए हुए है…! कितनी मूर्ख-अंधी होती हैं लड़कियाँ…!"

"सच कहा! मूर्ख-अंधी लड़कियाँ ही होती हैं। इसलिए तो दलदल में डूब जाती हैं!"

"और जिगोलो उसकी भी छोड़ो,  नेक्रोफ़ीलिया के बारे में तुम दोनों की क्या राय है?"

"विमर्श लैंगिक विभेद पर बात नहीं होनी चाहिए…!" दोनों ने नजरें चुराते हुए बेहद धीमी आवाज में फुसफुसाया।

"ओ! अच्छा! तो तुमदोनों विमर्श कर रहे थे…! लगता है तुमदोनों के पास मनुष्यता संबंधित विषयों की कमी हो गयी है!"

उसकी बातें सुनकर उनदोनों की खिलखिलाहट वाली हँसी शोर मचा गई। एक ने कहा, "तुम्हारी बातें सुनकर मुझे लगता है कि तुम्हारे पास मनुष्यता के बारे में बहुत कुछ कहने को है!"

उस तीसरे ने मुस्कराते हुए कहा, "हाँ, हमारे पास बहुत कुछ है जो हम कहना चाहते हैं! न! न! सिर्फ कहना नहीं हमें करना होगा, जिससे यह लिंग-पक्षपाती रूढ़ियों और पूर्वाग्रही विचारों से समाज मुक्त हो सके…!”

एक और

खाली घोंसला—

वैध स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड होल्डर) माँ की भौं टेढ़ी।

माँ ग्रीन कार्ड होल्डर हो गई है

कूल्हा का फोड़ा

कपोल की अधिकांश चेष्टाओं {विशेष— चार प्रकार की —(१) कूंचित (लज्जा के समय) (२) रोमांचित (भय के समय), (३) कंपित (क्रोध के समय), (४) क्षाम (कष्...