Monday, 21 June 2021

चिन्तन

 

पता नहीं

पारस लोहा को सोना बनाता


 कि नहीं बनाता, लेकिन 

कभी किसी को 

कोई ऐसा मिल जाता है

जिसके सम्पर्क में 

आने से बदलाव हो जाता है

बस कोई सन्त किसी डाकू से पूछे

'मैं ठहर गया तुम कब ठहरोगे?'

नरपिशाच के काल में

वैसे सन्त और वैसे डाकू

कहाँ से ढूँढ़कर लाओगे..!

Wednesday, 16 June 2021

"आपदा का अवसर"

 

जब बहुत तेज चिल्लाने की इच्छा होती है

कल्पना लोक में शुतुरमुर्ग हो जाती हूँ

कबीर की बातें, 'भाँति-भाँति के लोग..'

आज के काल में चरितार्थ हो गयी

एक दलाल से भेंट हो गयी..

अनन्त यात्रा के यात्री से

चिकित्सीय सुविधा दिलवाने के बदले

पैसों की मांग रखना, गिद्ध भी शर्माते होंगे

बेहद कटु लिखना चाहती हूँ पर

शब्दों पर भरोसा नहीं होता कि किसे आहत करेगा या किसे आनन्दित

तो क्या करें...

"दीदी! क्या आप डैडी की बीमारी का पोस्ट फेसबुक के किसी समूह में बनाई हैं , जिसमें सम्पर्क सूत्र में मेरा फोन नम्बर दी हैं ?"

"हाँ! कई.. व्हाट्सएप्प समूह और अनेक समाजसेवी को निजी तौर पर भी.. तुम डैडी के पास हो... क्यों क्या हुआ?"

"फेसबुक समूह से किसी का फोन आया। विस्तार से जानकारी लेने के बाद उनसे एक अन्य का फोन नम्बर मिला बात करने के लिए... जब मैं उनको फोन की तो उन्होंने मुझे दलाल को पैसा देने का इंतज़ाम करने के लिए कहा है...।"

 "तुम क्यों नहीं बोली जिसके पास दलाल को देने के लिए पैसा होता तो वो दिल्ली एम्स में इलाज के लिए गुहार क्यों लगाता .. वो मुम्बई नहीं चला जाता..!"

"मेरे पति बाद में बोले कि फोन को रिकॉर्ड कर लेना चाहिए था।"

"उससे क्या हो जाता...! जो दलाल ही है तो सम्बंधित सभी के तोंद को भरे रखता होगा और वैसों के मुँह पर जाबी केवल खाते वक्त के लिए थोड़ी न होता है...।"

हाइकु लेखन पैशन होना चाहिए

लेकिन ज्ञान के लिए अध्ययन जरूरी है

01.पहली भेंट–

प्रिया भाल से आये

कॉफी की गन्ध

02. दोनों से सजे

चापड़ा की दूकान–

पहली वर्षा

Monday, 14 June 2021

चिन्तन

 भोजन के मेज, भोजन पकाने का स्लैब

गुड़-चीनी आटे-चावल के डिब्बे पर लगे

चींटियों से त्रस्त होकर

लक्ष्मण-रेखा खिंचती ,सोचती रही,

सताते हुए वक्त से शिकायत कर लूँ !

थमना होगा थमने योग्य समय

कहाँ से चुराकर लाऊँ।

संयुक्त परिवार में कई जोड़ी हाथ होते थे

कई जोड़ी कान भी होते थे

विरोध से उपजे आग को

एक अकेला मुँह ही ज्वालामुखी बनाने में

महारथ हासिल किए रहता था।

दाँत-जीभ को सहारा बनाये मुँह

मुँह का खाता रहता,

लम्बी-लम्बी हांकता रहता..।

अन्न फल से संतुष्ट कहती

मिट्टी भी हितकारी हो।

सपरिवार हम सबके लिए

हर पल मंगलकारी हो।

Saturday, 12 June 2021

तड़प

 आज मॉनसून की पहली बौछार से याद आया

मैं जिस शहर में हूँ

उसने बरगद को जड़ सहित उखाड़ फेका है।

पक्षियों को बसेरा देते-देते

नौ दल, चचान जुंडी, तेंदू , बड, पीपल, इमली, सिंदूर, माकड तेंदू, अमरबेल को शिरोधार्य करने वाला।

मनौती का धागा, चुनरी, घण्टी, ताला

अनेकानेक सहेजने वाला,

टहनियों में लटकाये भीड़ बया के नीड़ वाला।

नीड़ से ज्ञान लिया होगा रिश्तों के धागों ने उलझ जाना!

अक्षय वट के क्षरण के उत्तरदायित्व का

 स्पष्ट कारण का नहीं हो पाना।

मुक्तिप्रद तीर्थ गया में अंतिम पिंड का

प्रत्यक्षदर्शी गयावट ही है...!

Friday, 11 June 2021

वक्त

 कवि को कल्पना के पहले,

गृहणियों को थकान के बाद,

सृजक को बीच-बीच में और

मुझे कभी नहीं चाहिए..'चाय'

आज शाम में भी चकित होता सवाल गूँजा

कैसे रह लेती हो बिना चाय की चुस्की?

कुछ दिनों में समझने लगोगे जब

सुबह की चाय मिलनी भी बन्द हो जाएगी।

चेन स्मोकर सी आदत थी

एक प्याली रख ही रहे होते थे तो

दूसरी की मांग रख देते।

रविवार को केतली चढ़ी ही रहती थी।

पैरवी लगाने वाले, तथाकथित मित्रता निभाने दिखते थे..

 ओहदा पद आजीवन नहीं रहता..

Thursday, 10 June 2021

पर्यावरण

 


ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत करने की परंपरा होती है... इस दिन शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और वट के पेड़ की पूजा भी करती हैं. इस व्रत का महत्व करवा चौथ जैसा ही है...

आज ज्येष्ठ की अमावस्या है..  आज के दिन वट सावित्री की पूजा में बरगद को पंखे से हवा दी जाती है.. पर्यावरण रक्षा हेतु बरगद को बचाने का मुहिम माना जाना जा सकता है ज्येष्ठ में सबसे ज्यादा गर्मी होने की वजह से मुझे ऐसा लगा

बेना की हवा

बरगद को मिले–

ज्येष्ठ की अमा

या

बेना को देख

पति का मुस्कुराना–

वट सावित्री

दिल यक़ीन करना चाहता है

सावित्री सत्यवान के प्रेम को।

किसी ने कहा स्त्रियों के हिस्से ही

क्यों आया सारे तप त्याग व्रत साधना।

धुरी-नींव को जो मजबूती चाहिए

वो स्त्रीलिंग होने के आधार में है।

वैसों के समझ में कहाँ है यह मान लेना।

दिमाग पर्यावरण बचाओ का समर्थक हो रहा

पूजा के ध्येय से तोड़ी टहनी पर

चीखने का जी करता है।

Wednesday, 9 June 2021

प्राप्त ज्ञान

अपनी शादी के बाद पापा की लिखी चिट्ठियों को पाने का सौभाग्य मिला। जन्म से शादी तक साथ ही रहना हुआ था हमारा। लगभग छः महीने मैं अपने दादा-दादी के संग रही थी जब मैं कक्षा तीन में पढ़ती थी। उस दौरान मुझे सम्बोधित करते हुए कोई पत्र आया हो यह मेरे स्मरण में नहीं है।

चिट्ठियों में कभी भोजपुरी से शुरुआत की गयी होती तो मध्य से हिन्दी में बातें लिखी होती और कभी हिन्दी से शुरुआत की गयी होती तो मध्य से भोजपुरी में बातें लिखी होती... ।

कौतूहल और बेसब्री से उनके लिखे पत्र की मैं प्रतीक्षारत रहती। उनसे ही मैंने जाना

सिखाये उषा-प्रत्युषा का संगी,

सितारें और ज्योत्स्ना का संगी,

फूलों का राजा कांटों का संगी,

जुगनू संग-साथ बाती का संगी।

सहायक होता है पुष्टिदग्धयत्न,

जिज्ञासा का है प्रतिफलातिप्रश्न।

ठान ले ना तू तिनका व गुरुघ्न

निशा में भोर का कर आवाह्न।

सुख-दुःख की कथा गुथता चल,

मन में ॐ की माला फेरता चल,

क्या तेरा-मेरा गीता बाँटता चल,

तू भी समय के साथ बहता चल।

Tuesday, 8 June 2021

संतुष्टि

 



कौन अपना है ?

जिन्हें केवल हम

अपनी ओर से

अपना कह लें..!

अपनापन है न

जरूरत पड़ने पर

हमारी तुम्हारी

खोज हो जाती है।

हम समय पर साथ देना

क्यों छोड़ दें..

पहना दिए जाएंगे

स्वार्थी का तगमा

हम अपनी ओर से

जो कर सकते हैं

करते रहेंगे

गाते रहेंगे नगमा..

हमारा ऋण ब्याज

ईश खुदा गॉड

वो ऊपर वाले संभालते

उनके वही बही-खाते में।

अपने किसी अनुयायी को

सूद समेत लौटाने भेजते।

इस भयावह काल में मिले बच्चे

हालचाल पूछ लेते ।

भोजन दवा की व्यवस्था करते

जिनसे नहीं है गर्भनाल के रिश्ते।

Sunday, 6 June 2021

 "पिण्डदान"

महेन्द्र पुरोहित सुबह की चाय लेकर बरामदे में बैठने ही जा रहे थे कि लैंडलाइन टुनटुनाने लगा, चोंगा उठाकर , "हेल्लो!" कहा

"आपको खबर करनी थी कि माँ का श्राद्धकर्म करना है आप आ जाएं..।" छोटे भाई राजेन्द्र पुरोहित की पत्नी अनिता पुरोहित ने कहा।

"माँ का श्राद्धकर्म करना है! माँ का देहान्त कब हुआ?" जेठ की चौंकते हुए गुस्से में थोड़ी तेज ध्वनि गूँजी।

"माँ का देहान्त आठ दिन पहले हो गया था लेकिन राजेन्द्र की स्थिति बेहद नाजुक थी... वो तो एहसानमंद हूँ अपनी सहेली एकता की कि उसने अपने पति इन्दल जी के माध्यम से अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था करवा दी। इन्दल जी की सहायता से ही माँ का क्रियाकर्म भी हो सका।"

"मुझे नहीं लगता कि वहाँ पिता जी राजेन्द्र और उसके पुत्र के होते मेरे आने की कोई आवश्यकता है। कुछ रुपये भेजवा दूँगा खर्च करने में सहायता हो जाएगी।"

"राजेन्द्र अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं, पक्षाघात के कारण पिता जी बिछावन से उठ नहीं सकते.. , दूसरे देश में कोरंटाइन होने के कारण पुत्र आ नहीं पा रहा है..!" व्यथित अनिता पुरोहित सिसक पड़ी।

"हम नहीं आ पाएंगे.. मेरी ओर से भी इन्दल जी से अनुरोध करना वे तुम्हारी सहायता कर दें सारी व्यवस्था करने में।"

"क्या सच में मैं त्रेतायुग की सीता हूँ..!" अनिता पुरोहित विचारमग्न रही।

Saturday, 5 June 2021

आक्रोश

 क्या शाम के नाश्ते में मैगी/पास्ता खा लेंगे?

भुजा खिलाओ न ! विदेश चलन मुझे नहीं पचता।

थोड़ा आप भी समझने की कोशिश करें,

अपार्टमेंट निवास मुझे नहीं जँचता।

तालाब पाटकर शजर काटकर

अजायबघर बनाने से मन नहीं भरा।

स्मार्टसिटी बनाने के जुनून में

ओवरब्रिज का जाल बिछा देने का चस्का चढ़ा।

अटल पथ पर बने फुट ब्रिज पर सेल्फी ले आऊँ

आज दिनभर यही सोचती रही,

कैद कमरे में नाखून नोचती रही।

कंक्रीट के जंगल में बिना आँगन,

कुछ फ्लोर में बिना छत का काटती सज़ा,

सूना गलियारा जिन्दगी गुजरे बेमज़ा।

पर्यावरण दिवस की देनी है बधाई

पर किसे और कैसे यह बात समझ में नहीं आयी

किसने पता नहीं... लेकिन जिसने किया वो समाज का घातक ही है.. क्यों कि मन्त्र भारती अपार्टमेंट, पटना में इन्सानों का बसेरा नहीं रह गया है.. बड़े-बड़े चार नीम का पेड़ उखाड़ डाले.. दो पेड़ मेरे फ्लैट के बॉलकोनी से गप्पीयाते थे... जो इन्सान ही नहीं उनसे क्या बात करना... 

बाकी जो है सो है ही..

Friday, 4 June 2021

नंगा सत्य वीभत्स है..! ..

तौलिए से सर ढँक

दुपट्टे का आवरण चढ़ा

मास्क लगा, चश्मा पहन

केहुनी तक दस्ताने मढ़ा।

देवरानी को बताई बाजार जाने का हुलिया

उसने कहा याद दिला गया

सबसे ज्यादा आपने ही घूँघट किया।

ट्रेन में हम जब चलते थे तो जेठ जी को

दूसरे डिब्बे का टिकट कटवाने का आदेश मिलता।

वर्ष गुजर जाते हैं यादें क्यों नहीं मिटाया जाता!

बिटिया का व्हाट्सएप्प सन्देश आया, "प्रणाम माँ! आप सब कैसे हैं?"

मैंने उसे बताया, "सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस बिटिया

तुम्हारे पापा कहते हैं कि वे बिलकुल ठीक हैं ...

मेरी तबीयत का वही हाल है... सुबह बिलकुल ठीक रहती हूँ तो कभी दोपहर कभी शाम कभी रात किसी एक समय गड़बड़ लगने लगती है .. तुम्हारे पापा का कहना है मुझ पर मौत-बीमारी की खबर असर करती है... खबरों से बचकर रहना है..

मुझे भी अब यही लगने लगा है पर फिक्रमंद हूँ कैसे बचना है...

बिटिया :- "बिल्कुल सही कहते हैं पापा। बहुत परिचितों का ऐसा ही कहना है। आप अति संवेदनशील हैं, न्यूज चैनल फेसबुक से दूर रहिए।"

मैं :- "शायद मैं कमजोर योद्धा हूँ। सबसे दूर रहने का सुझाव यानि मगरूर रहिए...। ना द्वैत ना अद्वैत हो अहम में चूर रहिए।"


1. मुबश्शिरा — 2. मुबश्शिरा

 01. "क्या दूसरी शादी कर लेने के बारे में नहीं सोच रही हो?" सुई भी गिरती तो शोर गूँज जाता। जैसे आग लगने पर अलार्म बज जाता है। पहली...