Tuesday, 8 June 2021

संतुष्टि

 



कौन अपना है ?

जिन्हें केवल हम

अपनी ओर से

अपना कह लें..!

अपनापन है न

जरूरत पड़ने पर

हमारी तुम्हारी

खोज हो जाती है।

हम समय पर साथ देना

क्यों छोड़ दें..

पहना दिए जाएंगे

स्वार्थी का तगमा

हम अपनी ओर से

जो कर सकते हैं

करते रहेंगे

गाते रहेंगे नगमा..

हमारा ऋण ब्याज

ईश खुदा गॉड

वो ऊपर वाले संभालते

उनके वही बही-खाते में।

अपने किसी अनुयायी को

सूद समेत लौटाने भेजते।

इस भयावह काल में मिले बच्चे

हालचाल पूछ लेते ।

भोजन दवा की व्यवस्था करते

जिनसे नहीं है गर्भनाल के रिश्ते।

4 comments:

  1. हमारा ऋण ब्याज
    ईश खुदा गॉड
    वो ऊपर वाले संभालते
    उनके वही बही-खाते में।
    अनुभव परक रचना
    सादर नमन

    ReplyDelete
  2. कितनी सुंदर सोच ! नमन है इन विचारों और संस्कारों को आदरणीया विभा दी।

    ReplyDelete
  3. जिनसे नहीं है गर्भनाल के रिश्ते। वाह।

    ReplyDelete
  4. इस भयावह काल में मिले बच्चे

    हालचाल पूछ लेते ।

    भोजन दवा की व्यवस्था करते

    जिनसे नहीं है गर्भनाल के रिश्ते।
    यही अपने हैं .

    ReplyDelete

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