Sunday 30 March 2014

मिथमेव जयते


आत्म-स्तुति के नशे में डूबे 
आँख-ढाप जमीर भी ले डूबे

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गलत सही का क्या पैमाना होता है .......... 
सब का अपना अपना समझ होता है ............. 
आपके लिए जो होता है सही ............ 
दूसरे के लिए होता है गलत वही .....

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आज दो बार स्टार-प्लस पर आने वाला प्रोग्राम @स्त्यमेव जयते " देखी 
जो प्रोग्राम मे बिहार की बातें दिखाई गई ,
क्या सरकार ,कानून ,संविधान को पता नहीं होगी 
मेरे चुनाव प्रणाली + मतदान के खिलाफ होने का सबूत

साम-दाम दंड को निभाने वाले 
गुर्गे के साथ पैसा हो तो 
जीत पक्की होगी ना ??

समझ पाता
नाटक ना आसान
आज का नेता ।

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बड़े ज्यों होते 
पथरीला हो जाते 
पहाड़ सम ।

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गुनाह ज्यादा 
जीत पक्की उसकी 
विश्वास मेरी 

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संभल जाओ 
नोटा से बहे पोटा 
दोषी भगाओ

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राइट टू रिजेक्ट (नकारने का अधिकार) से लड़ाई को और मजबूती मिलेगी 
और आने वाले समय में नोटा का प्रयोग और बढ़ेगा। 
इससे राजनीतिक दलों पर 
अच्छी छवि वाले उम्मीदवार को 
चुनाव मैदान में उतारने का दबाव भी बढ़ेगा। 

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बाँझ उद्विग्न
चिंता दुश्मन साथ
अशक्त सोच ।

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तिथियाँ बीती
कसौटी रीतिबद्ध
याद दिलाती ।

Friday 28 March 2014

क्यूँ ??


facebook में थोडा थोडा लिखती हूँ …....
ब्लॉग डायरी में फिर जमा करती हूँ
किसी को पसंद आये या ना आये
क्या फर्क पड़ना चाहिए तो क्यूँ

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मिली ज़िंदगी कोरे कागज की तरह 
कुछ लिख भी न सकूँ ..... जला भी न सकूँ 
चाहत की कश्ती पर हूँ सवार 
डूब भी न सकूँ ..... तैर भी न सकूँ

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कमजोर को ही दबाया जा सकता है ना 
मजबूत से पंगा लिए तो 
चंगा नहीं रह पाते ना .....

खुदगर्ज नकाब 
चेहरे पर चढ़ा 
हितैषी का नाटक 
करने मे माहिर
ये दुनिया 
मरने से पहले 
रोज मरने पर 
विवश करती

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ज़िंदगी से जब भी मुलाक़ात हुई
शिकवे सुबह दर्द में डूबी रात हुई
लहुलुहान को नोखरती कब तक है
इंतजारे जी हलकान हो ये बात हुई

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कुछ हाइकु भी हो साथ
तो बनती है कुछ बात

1

द्विअर्थी सारे 
शब्द वस्त्र उतारे
पर कतरे ।
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2

पहाडी धान्य
चलारू से बनता 
काला सोना है।
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3

सफेद पन्ना
घाम खबरें पढे
पीलिया ग्रस्त ।

 पन्ना(पत्र)
घाम{धूप} पीली करती

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4

फूलों के गुच्छे
सुंदर बच्ची पौधे
बालो मे गुथे ।

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5

बधिकशाला
अपने रह लेते
ईर्ष्या में जीते ।

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6

चेष्टा कपट
अक्स घाघ सुंदर
फँसते लोग ।

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Monday 24 March 2014

स्वार्थ विकट


54-18=36÷5=7.2

मेरी जिन्दगी में अब तक 7 बार मौका
जा चूका है जब मैं vote नहीं दी
सबका कहना है एक मत देश को बदल सकता है
योग्य नेता के हाँथ में बागडोर देकर
सोची इस बार 8th है तो vote दे ही आऊँ
खुद तो कोई नेता पसंद नहीं क्यूँ कि
मुझे हर कोई सांपनाथ नागनाथ ही लगते है
मैं अपने चार भाई (सभी मेरे बहुत करीब हैं और
उनके किये निर्णय पर भरोसा है)से पूछी कि
किसे vote दूँ मेरा एक मत बहुत महत्वपूर्ण है
एक भैया बोले कांग्रेस
दुसरे BJP
तीसरे ने कम्युनिस्ट
चौथे भैया ने Aap का विचार दे डाला
हो गई ना फिर साबित धरती गोल है
अब किस भैया के बात को मान दूँ
जिस छोर को पकड़ कर चली थी
वहीं पहुँच गई ,मुझे नहीं देना किसी को
अपना महत्वपूर्ण मत
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पार्टी बदलना ..... दल बदलना ......
राजनीति का काला पहलू ......
चुनाव का मखौल
मत का अपमान
जनता के साथ विश्वासघात
सज़ा कोई नहीं
मत नहीं देने वाला
तानाशाह देश-द्रोही ??

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1

आदर्श त्यागे=क्षोभ ना त्यागे 
मोह नहीं ना त्यागे 
कुर्सी ना त्यागे ।

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2

देश आम सा 
नेता गुठली फेके 
उपत्यका में / तराई गर्त ।

उपत्यका = पर्वत के पास की नीची भूमि =तराई 

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3

घाती प्रणाली
है चुनाव प्रणाली 
बध प्रणाली । 

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4

क्लीब लम्पट
ले रौशनी समेट
पाये ना वोट/वोट लपेट 

लम्पट=WANTON=विवेकहीन 

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5

स्वार्थ विकट
यात्री हो बेटिकट
मेवा टिकट ।

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6

दुर्लभ नेता
छल विक्रेता न हो
धन सोखता ।

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"नहीं देनी है ....मुझे किसी को भी ....कोई भी मत
जो समझना है समझो ......किसी की नहीं सुनती मैं
इस आधार पर कोई मुझे मित्र सूची से बाहर करता है
वो मेरा सबसे बड़ा हितैषी है ....आभारी हूँ उनकी
बहुत बहुत धन्यवाद उनका ........_/\_ "

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इन शब्दों के कारण मुझे नयी-पुरानी-हलचल से बाहर निकाला गया
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Yashwant Yash · Neh Sunita और 15 others के मित्र :-

:-

हालांकि हम सभी को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है लेकिन 

जिन लोगों के विचार/निर्णय या आग्रह/अपील लोकतन्त्र और भारत के 

संविधान की मूल भावना विपरीत होता है मैं उन से कोई संपर्क बनाए 

रखने का इच्छुक नहीं होता हूँ।

अतः आपके ताज़ा फेसबुक स्टेटस पर व्यक्त आपकी भावनाओं का 


सम्मान करते हुए मैंने आपको फेसबुक मित्रता सूची एवं नयी-पुरानी 

हलचल के दायित्वों से मुक्त कर दिया है।


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Saturday 22 March 2014

बहुत पुरानी बात रिस्ते



हदों से ज़्यादा , अपना जिन्हें कहते निकले 
शक की बेडियों से खुद को जकडते निकले
उन्होंने जब अपनी हया की चादर उतार दी
हर दिन नया जख्म हम सम्भालते निकले

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1

सूखती नमी 
मौत से मिलवाती 
जल की कमी ।

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2

धरा पुकारे 
फसल लगी प्यास 
कृपण मेघ ।

कृपण = ऐसा व्यक्ति जो रुपया-पैसा जोड़ता 
चलता हो, परन्तु खर्च न करता हो = कंजूस।

==

3

विकट झाँझ
छायाकृति मिटती
जीवन सांझ ।

==

4

भू हिय चीरा
मौसम चंगेज़ खाँ
विनाश न्यौता ।

==

5

उदास कुआँ 
हतादर रहट 
अंबु हीन भू ।

==

6

दिल न सिल
कटु वचन तीर 
सेंध दे हिय ।

==


झुलसे सृष्टि 
छाँहों चाहति छाँह 
तृष्णा निग्रह 

==


चाँदनी हँसे 
चाँद-चाँदी झलके 
नदी आईना ।

चाँदी = बाल विहीन सर

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Sunday 16 March 2014

होली की असीम शुभकामनायें


ईद और होली...एक ही संदेश देता है .....
सौहार्द्य का पर्व ..... 
सारे गिले शिकवे मिटा कर ,
गले मिलने का पर्व .....
होली की असीम शुभकामनायें .....  

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ईद मिलन
इजहारे इश्क है
होली मिलन ।
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ससुर -बहु 


मेरी बहु माया शादी के बाद आज पहली होली 
इसकी प्यारी मुस्कान बहुत कुछ कहती है 

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मेरे हाइकु 
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उड़ा गुलाल
धनक बनी धरा
गगन लाल ।

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भूमि सज ली
सृष्टि ब्यूटीशियन
टेसू लाली से ।

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स्वांग करते 
हनुमान लगते 
चेहरे पुते ।

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आज मेरी सासू जी की दूसरी पुण्य-तिथि है ...... 
थोड़ी मायूसी का रंग ,खुशी के रंग में 
घुली मिली होती ही है .....





Tuesday 11 March 2014

होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ





होली आता
उन्मादित उमंग
कलुष धोता । 

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2

राधा को रंगा 
निज रंग दे डाला 
हैं श्याम कान्हा 

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सखियाँ टोली 
रंगों से भरी झोली
प्यार की हो ली। 

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पावन होली 
राधा श्याम की हो ली 
भींगती चोली। 

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5

छेरत छोरी
बहाने कान्हा होरी
है बलजोरी

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6

पूनो की रात
अंधविश्वासी हो ली
टोना की बात ।

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7

भौजी व साली
रिश्तों में हो ठिठोली
मस्ती की  हो ली ।

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8

आशीष रंग
हमेशा चमकता
गुलाल संग ।

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9

रंग बौछार
भीग धरा बनती
इंद्रधनुष ।

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10

रंग बौछार
सतरंगी बहार
खुश संसार ।

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11

गुलाल भरे
छक गई सखियाँ
नैनों के डोरे
राज सेज का खोले
गलबहियां डारे ।

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Sunday 9 March 2014

हाइकु {5 / 7 / 5 }


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1

धूल की होली 
बवंडर बनाती 
हवा खेलती ।

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2

नीड़ पक्षी का 
दवानल जलाती 
हवा लगाती । 

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3

प्रेम की पाती
पत्तों पर लिखी थी 
हवा ले उडी ।

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4

चिंतन बाती 
रंगों से लिखी पाती
आँसू धो देती । 

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5
मेरे ससुराल की प्रथा
जिस दिन होलिका जलनी होती है ,
उस दिन परिवार के सभी सदस्य चाहे औरत हो या मर्द .....
बच्चा हो या बूढ़ा ...बेसन +हल्दी का उबटन लगाते हैं .....
शरीर से जो झिल्ली(मैल) निकलता है उसे जमा किया जाता है .....
शाम में नमक डाले बिना बेसन की बड़ी बनाई जाती है ,
जिसमें से पाँच बड़ी और उबटन की झिल्ली ...
जली होलिका में चढ़ाया जाता है .....
तथा नए अनाज गेंहू बालिया और
चने के फली भूने जाते हैं ..... जिन्हें होरहा या होला कहते हैं .....
.उसे सब बहुत चाव से खाते हैं ...............


नवान्नेष्टि = नए अन्न को भूनना

यजन = यज्ञ करना 



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6






Friday 7 March 2014

हाइकु


हाइकु {5 / 7 / 5}

1

अपना फ्रिज़ 
ईश किया ड़ी-फ्रॉस्ट ,
बारिश ओले ।

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2

शजर रोता
आवारा पतावर
उदास होता

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3

पाती प्रेम की
पतावर ले जाता
तेरा व मेरा ।

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4

आवाजाही है
वसंत पतझड़
सुख दुःख सा ।

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5

बनाता बीजू
हवा किसान बना
बनक बढ़ा ।

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6

अबोध बच्ची
साउज समझता
दुष्कर्मी साँप ।

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7

प्यार आशीष
बे हिसाब बे मोल
आँचल सिंधु ।

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8

स्त्रियाँ एक हो
चुटकी में चूर हो
अंब हांथ हो ।

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9

प्यार आशीष
बेहिसाब बेमोल
आँचल सिंधु ।

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10

विदेशी पिया
भार्याक्षि पथ तके
प्रवासी पक्षी।

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Sunday 2 March 2014

हाइकु


http://thalebaithe.blogspot.in/2014/02/TBMAR1421.html?

अहसानमंद हूँ ,नवीन भाई का ....
उन्हे मेरे दो हाइकु पसंद आए ......
बहुत बहुत धन्यवाद उनका

ज्ञान का लोप
पाशविकाचरण
मृत समाज ।

गिरि वसन
धूसर अँगरखा
उजली टोपी ।


https://www.facebook.com/events/671192796252714/671851859520141/?notif_t=like

" दो शब्द एक हाईकु "

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पतझड़ === बसंत

1

हंसा बसंत
पतझड़ अंजाम
चूल्हा भी जला ।

2

सफाई कर्मी
आतिथेय बसंत
पतझड़ है ।

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पहाड़ === नदी

1

देवा पहाड़
नदी रौद्रता त्रास
रेतीला निधि ।

2

महासमर
भगीरथ पहाड़
नदी भू आई ।

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सूरज === चाँद

1

ताप व शीत
ज़िंदगी संतुलित
सूरज चाँद ।

2

गोदी चढ़ता
सूरज कभी चाँद
इला की मर्जी ।

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दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...