अभी मेरे हाथ आई करुणावती पत्रिका
इस पत्रिका के संपादक हैं श्री
आनन्द विक्रम त्रिपाठी जी और अतिथि सम्पादिका मैं हूँ ……
मेरे लिए भी यह एक सपने जैसी ही बात है … पत्रिका हाथ में है और आँखे नम है …
आनंद बहुत अच्छे इंसान हैं .... केवल facebook पर दिए निमंत्रण से जब वो पटना राहुल के शादी के res'party में आ गए , तो बोले कि जब मैं train में बैठा तो सोचा , ये मैं क्या कर रहा हूँ , कहाँ जा रहा हूँ ..... इतनी सच्चाई और सीधापन है इनमे कि शब्द में मैं बता पाने में असमर्थ हूँ .... आज , जब सब तरफ स्वार्थ और धोखे का साम्राज्य फैला है और लोग केवल ये सोचते हैं कि उससे इसलिए नाता तोड़ लो कि वो मेरे मन मर्जी से नहीं चल रहा है ,वहाँ आनंद जैसे लोग हैं जो ये सोचता है कि मुझ से किसी को कोई चोट ना पहुँच जाए ......
आ वि त्रि से मेरी मुलाक़ात इसी ब्लॉग जगत में हुई थी … दिन महीना साल तो याद नहीं , लेकिन इतना याद है कि जब मैं इनके ब्लॉग पर पहुंची थी तो इनकी अधिकांश रचनाओं में शीर्षक नहीं थे …. मैं कमेंट की कि शीर्षक विहीन रचना मुझे ऐसी लगती है जैसे बिना बिंदी दुल्हन लगेगी …. आ वि त्रि ने मेरी बातो का सम्मान किया और बहुत सारे रचनाओ के शीर्षक लिख दिए … मेल के बात चीत में ही ये मुझे चाची कहने लगे ,मुझे अपने लिए मैम सम्बोधन एकदम पसंद नहीं …… दादी काकी नानी कुछ भी कह लो मैंम की गाली ना दो .…
बहुत महीनो के बाद एक दिन हम फेसबुक के भी मित्र बन गए …. ये मेरे लिखे को अपनी पत्रिका में स्थान दिये ....
फिर एक दिन अचानक वे मुझे बोले आपको इस बार के अंक में अतिथि संपादक बना दे रहा हूँ … और दूसरे दिन ये तस्वीर मुझे मिली …. हमारा जो रिश्ता है ,आभार और धन्यवाद से ऊपर है … है ना बेटे जी ……
तब तक मुझे लगा अतिथि हूँ ,मेरा क्या दायित्व होगा पत्रिका में …. बच्चे का प्यार है ,किसी पन्ने पर नाम लिखा होगा ……
कुछ दिन में ही गलतफहमी दूर हो गई ,जब अगला मेल आया कि पत्रिका के लिए सामग्री भी मुझे जुटानी होगी …. अब चिंता मुझे इस बात की हुई कि मेरे कहने से कौन देगा अपनी रचना .... लेकिन ये गलतफहमी भी दूर हो गई ,जब मैं ब्लॉग और अपने फेसबूक पर पोस्ट बनाई कि मुझे रचनाएँ चाहिए तो ढेर सारी रचनाएँ मिली ,जिनमे से कुछ रचनाये अगले अंक के लिए भी संग्रहित कर ली गई है .... इस अंक के लिए क्षमा-प्रार्थी हूँ ……
अतिथि शब्द के मायने बदल गए .....
त्रैमासिक पत्रिका "करुणावती साहित्य धारा " विश्व पुस्तक मेला प्रगति मैदान नई दिल्ली में "हिन्द युग्म " प्रकाशक हाल नो 18 स्टाल नो. 14 पर उपलब्ध था .....
अपने चुने नगीनों की प्रशंसा ,खुद करूँ …… या आप करेंगे .......