Saturday, 31 October 2020
रोमहर्षक
वर्ण पिरामिड
विषय : प्रदत्त चित्र 'चाय" वर्ण पिरामिड जनक आदरणीय भाई Suresh Pal Verma Jasala जी
जी!
ख़्याली
वाताली
प्रेम पगी
रची पत्राली
थामी चाय प्याली
कथा तान दे डाली। {01.}
><
हाँ!
डाह
उद्वाह
बदख़्वाह
‘चाय’ कि ‘चाह’
सोहे स्याह मोहे
सीने में दर्द तो हैं। {02.}
Tuesday, 27 October 2020
जीवन का गणित
"तुम दोनों बेहद चिंतित दिख रहे हो क्या बात है?" बेटे-बहू से लावण्या ने पूछा।
"मेरा बहुत खास दोस्त कल भारत जा रहा है माँ..,"
"मैं समझ नहीं पा रही हूँ तो इसमें तुमलोगों के परेशान होने की क्या बात है?"
"माँ वह हमेशा के लिए भारत जा रहा है..,"
"इस भयावह काल में उसकी भी नौकरी चली गयी..!"
"नहीं, माँ! उसे कम्पनी वाले पदोन्नति देकर भारत भेज रहे हैं..,"
"यह तो सुनहला अवसर है उसके लिए। पुनः अपने देश में व अपनों के बीच होगा। भारत में उसका कौन-कौन हैं, कितने भाई-बहन हैं?"
"वह अबोध था तभी उसके पिता गुज़र गए.., उससे एक छोटा भाई है। उनकी माँ शिक्षिका की नौकरी कर परवरिश की।"
"क्या उसकी माँ छोटे भाई के साथ रहती हैं ?"
"दोनों भाई प्रवासी हैं।"
"तुमलोगों के पौधे से प्रेम करते हुए देखती हूँ तो बहुत अच्छा लगता है। पौधों में फूल लगते देख तुमलोगों के आँखों की चमक देखते बनती है। जब तुमलोगों के लगाए पौधे पेड़ होंगे तो क्या तुमलोग उनकी छाया में बैठना नहीं चाहोगे या फल नहीं खाओगे?"
"मेरी माँ मेरे दोस्त की माँ के लिए बेहद हर्षित है!"
Sunday, 25 October 2020
विजयोत्सव
आज मान्या व मेधा बेहद उत्साहित थीं। उनकी बेटी मेहा के लिए सेना सेवा कोर में स्थायी कमीशन हेतु मंजूरी पत्र उनके हाथों में था और तीनों के नेत्र संगम का दृश्य बनाने में सफल हो रहे थे।
मान्या व मेधा, पहाड़ो पर निवास करने वाले परिवार की बेटियाँ थीं। मान्या से लगभग पंद्रह महीने छोटी मेधा सगी बहन थी। दोनों बहनें सम क्षमता से सम कक्षाओं को उत्तीर्ण करती मल्टीनेशनल कम्पनी में संग-संग कार्यरत थीं। माता-पिता, परिवार–समाज को चौंकाती दोनों बहनें शादी नहीं करने का अटल फैसला सुना दी थी। कम्पनी में शनिवार व रविवार को अवकाश रहने के कारण शुक्रवार की शाम दोनों अपने माता-पिता के पास गाँव चली जातीं और सोमवार को पौ फटने के साथ अपने निवास पर वापस आ जातीं।
स्थिर जल में कंकड़ पड़ने इतना हलचल घर-परिवार-समाज में शोर मचाया, जब उनदोनों के संग एक सहमी कली नजर आने लगी। तरह-तरह के मानुष के तरह-तरह की अटकलबाज़ी लगायी जाती रही..।
सखी सुधा के बहुत वादा करने सौगन्ध खाने के बाद मान्या ने उसे बताया, "दशहरे की छुट्टी में हम दोनों बहनें घर जा रही थी। बलात्कृत रक्त से नहायी अबोध बच्ची हमें मिली। हम उसे लेकर पास के वैद्य के निवास पर गए। उस छुट्टी में हम घर नहीं जा सके।"..
Saturday, 24 October 2020
चौकस
"ऐसा क्यों किया आपने? इतने आदर-मान के साथ आपकी बिटिया को बुलाने आयी को आपने स्पष्ट शब्दों में मना कर दिया?" श्रीमती मैत्रा ने श्रीमती सान्याल से पूछा।
"उनके घर के पुरुषों की चर्चा सम्मानजनक नहीं होते हैं..," श्रीमती सान्याल ने कहा।
"आप भी कानों सुनी बातों पर विश्वास करती हैं?" श्रीमती मैत्रा ने पूछा।
"एक ठग व्यापारी को सज़ा हुई। वह जेल में भी अन्य कैदियों के पैसों-सामानों की चोरी कर लेता था। उसके बारे में शिकायतें सुन-सुन तंग आकर जेलर ने उसे मुक्त कर दिया। साथ में ही दस लोगों को नियुक्त किया कि वे अलग-अलग भाषा में अलग-मोहल्ले में जाकर ठग व्यापारी के बारे में प्रचार करेंगे कि सभी सचेत रहेंगे।
ठग व्यापारी जेल से बाहर आकर कई रिक्शा वाले, ऑटो वाले से पहुँचा देने के लिए बात किया, लेकिन मुनादी के कारण कोई उसे सवारी बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ। आखिरकार कुछ दूर पैदल बढ़ने पर उसे एक ऑटो वाला मिल गया जो उसे सवारी बना लिया। पूरा दिन ठग व्यापारी उस ऑटो पर घूमता रहा। जहाँ से गुजरता मुनादी की वजह से उतर नहीं पा रहा था।
देर रात होने पर एक जगह ऑटो वाले ने उसे जबरदस्ती उतार दिया और उससे अपने पैसे को माँगा।
"मुनादी सुनकर भी तुम मुझे सवारी बना घुमाते रहे.. बहरे तो नहीं लगते..,"
"बस! बस श्रीमती सान्याल। आपकी कथा से मेरे भी ज्ञानचक्षु खुल गए.. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। मैं भी अपनी नतनी को नहीं जाने दूँगी..।" इतना कहते हुए श्रीमती मैत्रा तत्परता से अपने घर जाने के लिए निकल गयीं।
Saturday, 17 October 2020
क्रांति
Wednesday, 14 October 2020
दलाल से भेंट
कोरोना के भयावह काल से भयभीत.. दाँत-मसूड़ों में कई दिनों से हो रहे दर्द के कारण बेहद परेशानी होने के बाद भी पिता को चिकित्सक के पास ले जाने से सोहन कतरा रहा था। गन्दगी की कल्पना शायद हम बिहारियों में कुछ ज्यादा होती है..। सोहन को किसी मित्र ने बताया कि गुरुद्वारा में कैम्प लगाकर बेहद साफ-सफाई से जाँच-इलाज हो रहा है।
शनिवार 3 अक्टूबर 2020 को जब सोहन अपने पिता के साथ गुरुद्वारा में लगे कैम्प में पहुँचा तो उसे पता चला कि केवल कोरोना का जाँच हो रहा है और बाकी बीमारियों के लिए निजी में ही जाकर दिखलाना होगा। पिता-पुत्र कोरोना के लिए जाँच करवा लेना उचित समझा। तीन दिन के बाद जाँच परिणाम मिलने की बात हुई।
सोमवार 5 अक्टूबर 2020 सोहन के पास फोन आया कि "आपके पिता को कोरोना नहीं है। आपको अपने लिए राय लेने के लिए चिकित्सक से मिलना होगा । कल मंगलवार 6 अक्टूबर 2020 को चिकित्सक से मिलने का समय निर्धारित कर दिया जाए?"
"कार्यदिवस में अचानक समय निकालना कठिन होता है..," सोहन ने कहा।
"अगले मंगलवार 13 अक्टूबर 2020 को सुबह साढ़े आठ बजे का समय निर्धारित किया जाता है।"
"ठीक है!"
सप्ताह भर प्रतिदिन मेल से, फोन से, व्हाट्सएप्प सन्देश से याद दिलाते रहने का सिलसिला जारी रहा...'भूलिएगा नहीं चिकित्सक से राय लेने की तय दिन-तिथि। सोहन को चिकित्सक की जागरूकता पर अच्छा लग रहा था।
मंगलवार 13 अक्टूबर 2020 की सुबह साढ़े सात बजे सोहन को फोन आया कि आज आपकी साढ़े आठ बजे चिकित्सक से फोन पर बातें होनी तय है उसके लिए एक फार्म भरने की आवश्यकता है। आप बताते जाएँ मैं भरकर आपको मेल कर देता हूँ। फार्म भरने के क्रम में पूछा गया,-"स्वास्थ्य बीमा के बारे में विस्तार से बताएँ..,"
"क्यों ? स्वास्थ्य बीमा से क्या करना है ? चिकित्सक का जो फीस होगा वह मैं जमा कर दूँगा..।""
"चिकित्सक से वर्चुअल गोष्ठी तभी सम्भव है जब आपका स्वास्थ्य बीमा के बारे में हमें जानकारी होगी..।"
"ताकि आपके चिकित्सक महोदय उस राशि के आगे तक मेरा दोहन कर सकें..। मैं चिकित्सक के डकैती को स्थगित करता हूँ।"
Monday, 12 October 2020
सृजक
Saturday, 10 October 2020
चुनौती १०/१०/२०२०
-ट्रिन-ट्रिन-ट्रिन-
"हैल्लो!"
"क्या कर रही थी?"
"कुछ सोच रही थी.. तुम जानना चाहेगी क्या तो सुनो! कहानी, कथा, गीत, कविता में स्त्रियों को ही महान क्यों दर्शाया जाता है और पाठक भी वैसे ही अंत पर वाहवाही करते हैं.. आखिर क्यों ?"
"लगता है , आज भी तुम कुछ ऐसी अंत वाली रचना पढ़ ली! अच्छा बताओ अंत क्या था उस रचना की?"
"पति अपने दोस्त की विधवा से सम्बंध बना लेता है और पत्नी अपने पति को माफ कर उस विधवा को ही दोषी ठहरा लेती है.. लेखक ऐसी कहानी क्यों नहीं लिखता जिसमें पत्नी के कदम बहके हों और पति माफ कर महान बन जाता है..?"
"जो कहानी तुम पढ़ना चाह रही हो वैसा समाज में खुले तौर पर होने लगा है। बस साहित्य का हिस्सा बनना बाकी है। वह भी कुछ वर्षों में होने लगेगा। अच्छा चलो तुम ऐसी लघुकथा लिख लोऔर किसी बड़े साहित्यकार को टैग कर..!"
"अरे! छोटे लोग बड़े लोग को टैग नहीं करते हैं..!"
"तुम और छोटे लोग? चीनी हो क्या? अच्छा मूंगफली का चिनिया बादाम नाम क्यों पड़ा होगा...,"
फिज़ा में मिश्रित खिलखिलाहट का शोर गूँजने लगा...
Thursday, 8 October 2020
'प्रतिरोध्य'
"हे पार्वत्य वासी! सुराधिप! आपने मेरा रास्ता बार-बार बदल कर मुझे मेरी सखी से विमुख कर दिया। पाक में रहते हुए मैं नापाक हो रही हूँ। हिन्द में ही मेरी संस्कृति अक्षुण्ण रह सकती है..! "
"ना कुछ मेरे समझ में आ रहा है और ना मुझे कुछ याद आ रहा है कि मुझे क्या करना है और मैंने किया क्या है..! मुझसे दूर हटो और शीघ्रता से जाने दो। मुझे मेघों को दिशा निर्देश देना है कि कहाँ सुखार करें और कहाँ धरा-गगन को एक कर दें।"
"अक्सर आप मद से मत्त हो जाते हैं और अपने अस्त्र के प्रयोग बल पर मेघों और बिजलियों को सही-सही दिशा निर्देश नहीं दे पाते हैं..।"
"मुझ पर मिथ्या आरोप ना लगाओ..!"
"मुझे यरलुंग त्संगपो व मेघना से मिलने जाना है। दो कारुण्य बाहु के मिलन का योग बना दें..!"
"पुनः सोच लो! अब ज़माना सती सुहिणी का नहीं रहा..।"
"जुनून की उद्यति मेरे वेग से भी सदैव बड़ी होती रही है सदा होती रहेगी।"
Thursday, 1 October 2020
अंतरराष्ट्रीय कॉपी दिवस
'विचार लेखन' : 'मेरा हिन्दी प्रेम'
कोढ़ में खाज
"नमस्कार राष्ट्रीय संयोजक महोदय! 49897 यानी लगभग पचास हजार सदस्यों वाली आपकी संस्था अपनी 13 वीं वर्षगाँठ मना चुकी है। ५० हजार कलमकारों ...
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अन्य के कार्य देखकर पीड़ित होना छोड़ दिया... कुछ पल का बचत.. एक वक्त में एक कार्य तो इश्क करना आसान किया लाल घेरे में गूढ़ाक्षरों को करे हिन...
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ऋचा सिंह मिसेज इंटेलिजेंस वर्ल्ड माइक पकड़े मेरे पति के मित्र की बेटी पटना की बेटी बिहार की बेटी हिंद की बेटी मेरी ब...