"क्या आपको अपने लिए डर नहीं लगा ?"
"क्या हमें एक पल भी डरने की अनुमति है?"
प्रसव पीड़ा से जूझती गर्भवती रूबी अपने लिए लेबर रूम में प्रतिक्षारत रहती है तभी उसे पता चलता है कि एक और स्त्री प्रसव पीड़ा से परेशान है। क्योंकि उसकी चिकित्सक जाम में फँसे होने के कारण पहुँच नहीं पा रही है। ऐसी स्थिति में रूबी उस दूसरी स्त्री के पास जाती है और उसका सफल प्रसव करवा देती है। रूबी स्वयं चिकित्सक होती है और अनंतर वह अपने स्वस्थ्य शिशु का जन्म देती है..।
यह सूचना वनाग्नि की तरह फैल जाती है और अस्पताल में जुटी भीड़ की ओर से तरह-तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
"निजी अस्पतालों में धन उगाही का एक माध्यम है , शल्य चिकित्सा से प्रसव, साधारण रोगी का वेंटिलेटर पर पहुँच जाना.., ऐसे हालात में आपका यों...," इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की महिला पत्रकार ने पूछा.. मानो उसका कोई घाव रिस रहा था।
"तो आपलोग सत्य का ज्यादा-से-ज्यादा शोर करें ताकि आवारा ढोर काबू में रहे..!"
सार्थक पोस्ट।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व अशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
Deleteबहुत सुंदर और सार्थक सृजन
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 13 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व अशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteअशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteबहुत सटिक रचना।
ReplyDeleteयह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अब सबको डराने लगा है ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सराहनीय दी गागर में सागर भर देते हो आप।
ReplyDeleteसादर प्रणाम
सुन्दर रचना विभा जी!
ReplyDelete