"तेरा वो वाला घर सवा - डेढ़ करोड़ में बेचा जा सकता है। चालीस - पैतालीस लाख में अन्य कोई फ्लैट खरीदकर उनमें उनलोगों को व्यवस्थित कर सकते हो और बचे एक करोड़ में...,"
"क्या बक रहा है तू..! ऐसा कैसे किया जा सकता है..?"
"क्यों नहीं किया जा सकता है उनलोगों ने तेरे लिए किया ही क्या है?"
"क्या यह ही काफी नहीं कि उन्होंने ही मुझे जन्म दिया है। वो डुप्लेक्स घर, जिसका ड्योढ़ी-छत उनके सपने का है। अन्य फ्लैट उन्हें जेल सा लगेगा..।"
"तुम्हारे ददिहाल-पिता के घर में तुम्हें शरण मिला था? जब उन्हें पता चला था कि तुम्हारा शरीर लड़का का है लेकिन तुम्हें चलना, बोलना, वस्त्र पहनना लड़कियों सा अच्छा लगता है..!"
"तो क्या हो गया...! क्या मैं चींटी का खाया बीज हो गया जिससे अंकुर नहीं फूट सकता है..! तब तो मेरा चिकित्सक बनना बेकार ही चला जायेगा।"