Wednesday 31 August 2022

'मुट्ठी में सृष्टि'

कैलिफोर्निया की रात्रि के आठ बज रहे थे तो ठीक उसी समय भारत की सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे। एक घर में वीडियो कॉल पर बातें चल रही थी..

"भैया की तबीयत अब कैसी है?"

"दस बजे सिटी स्कैन होने जाएगा तो पता चलेगा कि कितनी चोट है..!"

"क्या बिना हेलमेट लगाए मोटरसाइकिल चला रहे थे कि सर में चोट लगी?"

"घर के नजदीक ही.."

"माँ! आप हमेशा उनके गलत पक्ष को ढ़कने की कोशिश करती रहती हैं..। खैर जैसा भी रिपोर्ट आये, बिना देर किए आपलोग दिल्ली पहुँचने की कोशिश करें..।"


दृश्य दो

सिडनी के मध्याह्न के एक बज रहे थे और भारत की सुबह के साढ़े आठ बजे वीडियो कॉल से बात हो रही थी... उसी परिवार में अन्य से वीडियो कॉल पर बातें हो रही थीं...

"रात में, वर्षा और पावर कट की स्थिति में तथा शहर के जख्मी सड़क पर निकलना ही नहीं चाहिए था। ऐसी स्थिति में असावधानी हो जाना स्वाभाविक है..!"

"मेरी बात सुनता कौन है..!"

"आप चिन्ता ना करें सब ठीक हो जाएगा हम आ रहे हैं।"

दृश्य तीन

अमरीका की रात्रि के साढ़े आठ बज रहे थे और सिडनी के मध्याह्न के डेढ़ बज रहे थे और वीडियो कॉल में बात चल रही थी...

"तू अपने ऑफिस से छुट्टी ले घर जा तैयारी कर और एयरपोर्ट पहुँच। मैं तेरी टिकट कटवाकर तुझे व्हाट्सएप्प पर भेज और मेल करता हूँ।"

"और आप भैया?"

"मैं भी अपनी टिकट लेकर पहुँच रहा हूँ। लगभग एक समय ही हम सभी दिल्ली पहुँचेंगे..!"

"दिल्ली में मदद मिल सके.. व्हाट्सएप्प और फेसबुक के समूहों में हमें अनुरोध का पोस्ट बना देना चाहिए..!"

Saturday 27 August 2022

छिपा रूस्तम

 

मेरे देवर का बेटा तीन दिन से दुर्घटनाग्रस्त होकर गहन चिकित्सा विभाग में भर्ती था। आज लगभग साढ़े चार बजे हम पुनः गहन चिकित्सा विभाग के सामने उपस्थित थे लेकिन हमें अनुमति नहीं मिली शीशे के पार देखने की। वहाँ पर अफरातफरी मची हुई थी। एक बुजुर्ग लाये गए थे जो जहर खा लिए थे। अब खा लिए थे या खिला दिया गया था.. यह हमें पता नहीं चल पाया क्योंकि हमने किसी से पूछताछ नहीं किया। बुजुर्ग को देखकर एक महिला बोली कि, "मेरे घर के गेंहूँ में कीड़ा लग रहा था उसमें दवा डालने के लिए खरीदने गयी तो मुझे दवा नहीं मिली। लौटकर दो पुरुषों को लेकर गयी तब भी दवा नहीं मिली। इन्हें जहर कहाँ से और कैसे मिल गयी?"

"इतने बुजुर्ग को मिल जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आश्चर्य की बात है इनके साथ आये सभी युवा इनके गाँव के हैं। इनमें से कोई बुजुर्ग के घर का अपना नहीं है।" परिचारिका ने कहा।

थोड़ी देर में बुजुर्ग के घर से लोग आ गए।

"यह दस हजार रुपया रख लीजिए, पुलिस को सूचना नहीं दीजिएगा..," बुजुर्ग के घर से आये युवक ने कहा।

"मुझे रुपया देने की आवश्यकता नहीं। मैं परिस्थिति समझ रहा हूँ। आपलोग निश्चिंत रहिए मैं पुलिस को नहीं बुला रहा हूँ।" अस्पताल प्रबंधक और चिकित्सक ने एक स्वर में कहा।

"गहन चिकित्सा विभाग में ऐसे लोगों को नहीं रखना चाहिए जिनके शरीर से जहर निकालना हो अन्य रोगियों को परेशानी होती है। जल्दी से हटाइये।" गहन चिकित्सा विभाग में भर्ती अन्य रोगियों के रिश्तेदार आपत्ति जताने में शोर मचा रहे थे।

"आपलोग शान्ति बनाये रखें। बुजुर्ग की मौत अस्पताल आने के पहले ही हो चुकी थी। यहाँ जहर निकालने की प्रक्रिया नहीं की गयी हैं।" गहन चिकित्सा विभाग के पहरेदार ने कहा।

"फिर साढ़े आठ हजार किस बात की ली गयी है?" भीड़ में से किसी ने फुसफुसाया।

Saturday 20 August 2022

चौमासे का गोबर

"बहुत-बहुत बधाई हो! तुम्हें काव्य में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।"

"वो तो मिलना ही था..! बहुत वर्षों से दिन-रात इसके लिए मैं मेहनत कर रहा था...।"

"मुझसे बेहतर और कौन जान सकता था तुम्हारे द्वारा किये गए मेहनत को?"

"क्या अब भी तुम्हें शक़ है? हमारे गाँव में चिकित्सा की स्थिति बहुत बुरी थी। अपने पुरखों के जमीन पर चिकित्सालय बनवाया...,"

"और उसमें तुम्हारे द्वारा लायी चिकित्सक, तुम्हारी पत्नी  बन गयी..?"

"गाँव में शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए मुझे कितनी भाग-दौड़ करनी पड़ी इसके गवाही दोगे न?"

"भाग-दौड़ की गवाही जरूर दूँगा। शिक्षिका के संग तुम्हारे लिव इन का भी तो गवाह हूँ।"

"शहर जैसा गाँव में बाजार, सड़क, बिजली की व्यवस्था करवाने में मेरा जो खून-पसीना बहा उसके बारे में भी तो कुछ कहो...!"

"कितनी कन्या-बालिका-स्त्री-महिला लापता हैं? केंद्र में कौन है? उसके हिसाब के लिए ही तुम कारागार में हो। क्या सदैव कारागार से कृष्ण बाहर आते हैं?"

Wednesday 17 August 2022

ज्वालामुखी

कुमार संभव जी की शानदार लघुकथा- "हर दिल तिरंगा"

उस छोटे से बच्चे की खुशी का कोई पार नहीं था। बड़ी मुश्किल से उसे एक तिरंगा मिल पाया था। आज वह भी अपने घर की छत पर तिरंगा लहराएगा।
तिरंगा लेकर घर की ओर दौड़ लगाते हुए उसके दिल में वे सभी जोशीले नारे उफन-उफनकर गूँज रहे थे जो पंद्रह अगस्त- छब्बीस जनवरी को उसके स्कूल में लगाए जाते थे, या कभी भारत मैच जीत जाता तो बस्ती के चौक पर पटाखों के साथ गूँजते थे, या पिछले साल उसके दोस्त के फौजी भैया के तिरंगे में लिपट कर आने पर गूँजे थे।
वह बस दोनों हाथों से तिरंगे के कोने पकड़े खुद भी ध्वज की तरह उल्लसित लहराता हुआ घर की ओर दौड़ रहा था।
नन्हे कदम थक तो जाते ही हैं, बस्ती से जरा पहले ढाबे पर वह पानी पीने रुका।
कुछ निगाहें भी उसके झण्डे की ओर लहरा गई।
"बब्बन मास्टर का लौंडा है ना ये?" ढाबे पर बैठे एक खास दल के नेता की आवाज उठी।
"हाँ। कमबख्त मास्टर खुद तो दोजख में जाने के काम कर ही रहा है, औलाद को भी वहीं धकेल रहा है।" एक दाँत पीसता सा छुटभैया स्वर उभरा।
"मालिक के सिवा हमारी कौम का सिर कहीं और नहीं झुकेगा। मारो साले को...!" इस बार आवाज कुछ ज्यादा हौलनाक थी।
वे उठते, इससे पहले दूसरी ओर से आवाजें शुरु हो गईं।
"बब्बन मास्टर का छोकरा है ना ये?" दूसरे कोने पर बैठे एक अन्य विशेष दल के नेता की आवाज आई।
"हाँ, तभी तो बेगैरत जानबूझकर तिरंगे को उलटा लहरा रहा है।" एक आवाज उठी।
"इनकी तो ख्वाहिश ही यही है कि 'हरा' सिर पर नाचे।" फिर एक दाँत पीसता सा छुटभैया स्वर उभरा।
"देशद्रोही... गद्दार... मारो साले को!" बिलकुल पहले के जैसी हौलनाक आवाज आई।
उनमें से कोई भी कुछ कर पाता इससे पहले बीच में बैठे कुछ बस्तीवासियों ने उनकी गर्दनें दबोची और बाहर का रास्ता दिखा दिया।
"हिन्दुस्तान जिंदाबाद।" बच्चे के दिल में गूँजता नारा होंठों पर आ गया। वह फिर उसी जोश के साथ दौड़ पड़ा बस्ती के आखिरी घर पर भी तिरंगा लहराने वाला था।


"आप बाजार जा रहे हैं तो नीला रंग लेते आइयेगा।" नीले रंग की खाली शीशी पकड़ाते हुए हिना ने अपने बड़े भाई अनस को कहा।

"वो नीला रंग की बड़ी शीशी पड़ी तो फिर और रंग क्यों मंगवा रही है।" अनस ने कहा।

"हमारे स्वभाव की तरह उनदोनों रंगों में फर्क है।" हिना ने कहा।

"तो क्या हुआ! थोड़ा सफेद रंग मिला लो काम चल जाएगा।" अनस ने कहा।

"माँ-पापा के बहुत प्रयास के बाद भी हम एक जैसे कहाँ बन पा रहे हैं। बहुत कोशिश की थी। स्वाभाविक रंग नहीं बन पा रहा है।" हिना ने कहा।

"इतनी भीड़ में क्या पता चलेगा...!" अनस ने कहा।

"आप कहना चाहते हैं कि भीड़ में दो चार बच्चे उलटा झंडा पकड़ ले सकते हैं...! बदले रंग पर ज्यादा नजरें गड़ती हैं।" हिना ने कहा।

"मेरे कहने का यह अर्थ नहीं था।" अनस की आवाज में झल्लाहट थी।"

"जिस-जिस बच्चे के हाथ में अलग रंग के अशोक चक्र वाला तिरंगा जायेगा, उस-उस बच्चे का एक समूह बन जायेगा। फिर आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाते प्रतीक के रंग में ही समझौता मैं क्यों करूँ..!" हिना के स्वर चिन्ताग्रस्त होना बता रहे थे।

Monday 8 August 2022

प्रत्याक्रमण

"अरे! मेरी प्यारी सखी! लक्ष्मी क्या तुम तो कुबेर हो गयी। अलग-अलग राज्यों के अनेक शहरों में तुम्हारे नाम से फ्लैट और उन फ्लैटों के कैश में अनेकानेक करोड़ रुपए, भारी मात्रा में सोना-हीरे के आभूषण, अनेक संपत्तियों तथा तुमदोनों आरोपियों के संयुक्त स्वामित्व वाली कई कंपनी के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। कौन विश्वास करेगा कि तुम भोली हो तुम्हें कुछ मालूम नहीं था?" प्रेमलता ने कहा।

"मेरी सहेली जो पूछ रही है उसका जबाब दो रवि.. तुमसे प्यार करने के बदले मुझे जेल जाने का उपहार मिला..।" अमृता ने कहा।
"मेरे साथ इंद्रधनुषी जीवन बिताने में क्या तुम्हें आनन्द नहीं आता था!" रवि ने कहा
"महोदय-महोदय-महोदय! एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला, वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया उसने खाना खाना भी छोड़ दिया था। कई दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया तो वह लड़का परेशान हुआ और उसे पशु चिकित्सक के पास ले के गया .. चिकित्सक ने सांप का मुआयना किया और उस लड़के से पूछा "क्या ये सांप आपके साथ ही सोता है ?" उस लड़के ने बोला हाँ .. चिकित्सक ने पूछा आपसे बहुत सट के सोता है ? लड़का बोला हाँ ...
चिकित्सक ने पूछा "क्या रात को ये सांप अपने पूरे शरीर को फैलाने की कोशिश करता है..?"
ये सुनकर लड़का चौंका उसने कहा हाँ  .. यह रात को अपने पूरे शरीर को बहुत बुरी तरह फैलाने की कोशिश करता है और मुझसे इसकी इतनी बुरी हालत देखी नहीं जाती ,, और मैं किसी भी तरह से इसका दुःख दूर नहीं कर पाता..।
चिकित्सक ने कहा .... इस सांप को कोई बीमारी नहीं है ... और ये जो रात को तुम्हारे बिल्कुल बगल में लेट कर अपने पूरे शरीर को फैलाने की कोशिश करता है वो दरअसल तुम्हें निगलने के लिए अपने शरीर को तुम्हारे बराबर लम्बा करने की कोशिश करता है... वो लगातार यह परख रहा है कि तुम्हारे पूरे शरीर को वो ठीक से निगल पायेगा या नहीं और निगल लिया तो पचा पायेगा या नहीं..। आप तो वही सांप निकले...!"
"अपने औकात में रहिए। आप अमृता की सखी हैं। कुछ भी कहने का अधिकार नहीं पा जाती हैं...!" रवि जोर से चिल्लाया

"तुम देशद्रोही थे ही मुझे भी लपेटे में ले लिए?" अमृता ने कहा
"क्या तुम्हें पता नहीं था कि किंग कोबरा ही घोंसला बनाता है।" रवि ने कहा।
"उसको भी नेवले की धुलाई सहनी पड़ती है। कान खोल कर सुन लो जिसे आस्तीन में साँप पालने का जिगरा होता है उसे पहले से जहर का काट सीखना पड़ता है...।" अमृता ने कहा

काली घटा

“ क्या देशव्यापी ठप हो जाने जाने से निदान मिल जाता है?” रवि ने पूछा! कुछ ही दिनों पहले रवि की माँ बेहद गम्भीररूप से बीमार पड़ी थीं। कुछ दिनो...