"अरे! मेरी प्यारी सखी! लक्ष्मी क्या तुम तो कुबेर हो गयी। अलग-अलग राज्यों के अनेक शहरों में तुम्हारे नाम से फ्लैट और उन फ्लैटों के कैश में अनेकानेक करोड़ रुपए, भारी मात्रा में सोना-हीरे के आभूषण, अनेक संपत्तियों तथा तुमदोनों आरोपियों के संयुक्त स्वामित्व वाली कई कंपनी के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। कौन विश्वास करेगा कि तुम भोली हो तुम्हें कुछ मालूम नहीं था?" प्रेमलता ने कहा।
"मेरी सहेली जो पूछ रही है उसका जबाब दो रवि.. तुमसे प्यार करने के बदले मुझे जेल जाने का उपहार मिला..।" अमृता ने कहा।
"मेरे साथ इंद्रधनुषी जीवन बिताने में क्या तुम्हें आनन्द नहीं आता था!" रवि ने कहा
"महोदय-महोदय-महोदय! एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला, वो सांप से बहुत प्यार करता था उसके साथ ही घर में रहता .. एक बार वो सांप बीमार जैसा हो गया उसने खाना खाना भी छोड़ दिया था। कई दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया तो वह लड़का परेशान हुआ और उसे पशु चिकित्सक के पास ले के गया .. चिकित्सक ने सांप का मुआयना किया और उस लड़के से पूछा "क्या ये सांप आपके साथ ही सोता है ?" उस लड़के ने बोला हाँ .. चिकित्सक ने पूछा आपसे बहुत सट के सोता है ? लड़का बोला हाँ ...
चिकित्सक ने पूछा "क्या रात को ये सांप अपने पूरे शरीर को फैलाने की कोशिश करता है..?"
ये सुनकर लड़का चौंका उसने कहा हाँ .. यह रात को अपने पूरे शरीर को बहुत बुरी तरह फैलाने की कोशिश करता है और मुझसे इसकी इतनी बुरी हालत देखी नहीं जाती ,, और मैं किसी भी तरह से इसका दुःख दूर नहीं कर पाता..।
चिकित्सक ने कहा .... इस सांप को कोई बीमारी नहीं है ... और ये जो रात को तुम्हारे बिल्कुल बगल में लेट कर अपने पूरे शरीर को फैलाने की कोशिश करता है वो दरअसल तुम्हें निगलने के लिए अपने शरीर को तुम्हारे बराबर लम्बा करने की कोशिश करता है... वो लगातार यह परख रहा है कि तुम्हारे पूरे शरीर को वो ठीक से निगल पायेगा या नहीं और निगल लिया तो पचा पायेगा या नहीं..। आप तो वही सांप निकले...!"
"अपने औकात में रहिए। आप अमृता की सखी हैं। कुछ भी कहने का अधिकार नहीं पा जाती हैं...!" रवि जोर से चिल्लाया
"तुम देशद्रोही थे ही मुझे भी लपेटे में ले लिए?" अमृता ने कहा
"क्या तुम्हें पता नहीं था कि किंग कोबरा ही घोंसला बनाता है।" रवि ने कहा।
"उसको भी नेवले की धुलाई सहनी पड़ती है। कान खोल कर सुन लो जिसे आस्तीन में साँप पालने का जिगरा होता है उसे पहले से जहर का काट सीखना पड़ता है...।" अमृता ने कहा
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteतीखा कटाक्ष । आज लोग हर रिश्ते में राजनीति कर रहे हैं ।
ReplyDeleteइस कहानी में व्यंग की तीखी धार है।प्रोमिला ने समाज में व्याप्त वीभत्स प्रवंचना की कलई खोल कर रख दी है।निशब्द करते हैं इस तरह के कथानक।आभार और प्रणाम प्रिय दीदी 🙏🙏
ReplyDeleteबढ़िया लिखा ,रिश्ते भी अब राजनीति से चलते हैं।
ReplyDeleteलाख टके की एक बात, "जिसे आस्तीन में साँप पालने का जिगरा होता है उसे पहले से जहर का काट सीखना पड़ता है...।" बहुत ही सामयिक और सार्थक!
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