Wednesday, 29 January 2014
Tuesday, 28 January 2014
तितिक्षा=सर्दी -गर्मी सहने का सामर्थ्य
दूसरों की कही सारी नाकारात्मक बातें सुना नहीं करते
कुछ की आदत अपनी हार का बदला ,आलोचना हुआ करते
ऊपर वाले ने ऐसे समय के लिए ही तो दो कान दिया है
जिसका रास्ता दिल-दिमाग तक जाने नहीं दिया करते
2
किसी वृक्ष को जान लिए होते करीब से
लोग इश्क से रश्क करते उनके जमीर से
रह गए वे डुबकी लगाए अहंकार में
तितिक्षा ही तो फिसल गई समीप से
=====
Monday, 27 January 2014
हाइकु
हाइकु
{{ 5 / 7 / 5 }}
1
गाये तराना
आलौकिक सम्बन्ध
साथ हमारा ।
2
साख बचाती
चिंगारी राख़ दबी
वक़्त बताती ।
3
पूनो दमके
नथ अम्ब नसिका
चन्द्र चमके ।
4
बर्फ का गोला
कॉफी का झाग बना
सर्दी का खेला।
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5
दिल है काला
अंधे गूँगे ताल दें
नाम कमाना ।
6
हम और मैं
सुर संग्राम करें
जीत जाता मैं।
7
बर्फ का गोला
कॉफी का झाग बना
सर्दी का खेला।
8
पुल के नीचे
चांदनी ढूंढे साया
नदी छुपाती।
9
आँसू नभ के
लड़े आदित्य धरा
ओस टपके ।
10
सियासी ताप
मुद्दो में लगी आग
जिंदगी मुर्दा .
11
घातक आस
गिरता स्वाति बूंद
चातक प्यास।
12
नक्षत्र स्वाति
प्यास बुझाती बूंद
मोती बनती।
13
कुतप डरा
चंद्रमा - स्वेद झड़ा
कुहासा छाया ।
14
राग अलापे
सारा जग हमारा
स्वार्थी अभेरा।
15
दिमाग कुंद
मिटा देता रिश्ता है
शक़ की बूंद।
16
तीखा जहर
शीत बारिश वर
फसल पर।
17
शीत लहर
प्रकृति का कहर
चारो पहर।
=====
End
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please do not worry
every thing heppens at the wishes of God
you Want to live ,But you can not live
Who wants to die can not die .....
~~~~~~~~~~~~~~~
Thursday, 23 January 2014
जिंदगी छोटी पड़ गई
कहानी थोड़ी पुरानी है ……
एक परिवार में माँ और तीन बच्चे(दो पुत्र और एक पुत्री) थे
तीनों बच्चे छोटे छोटे थे तभी पिता की मृत्यु हो गई थी। …
सबसे छोटी पुत्री को अपने पिता की छवि याद भी नहीं थी। ....
परिवार में आमदनी का स्रोत्र खेती था
जिंदगी सुचारु रूप से चल रही थी
जिंदगी सुचारु रूप से चल रही थी
लेकिन जब बच्चे बड़े हुए और शिक्षा पर खर्च बढ़ा तो आमदनी कम पड़ने लगा। …।
तीन बच्चों का पढ़ाई खर्च खेती से पूरा नहीं हो पा रहा था और
छोटे बेटे को तकनीक पढ़ाई करने की इच्छा थी
अगर वो प्रतियोगिता से कही नामांकन करवाता तो खर्च कम भी होता
क्यूँ कि उस समय सरकारी कॉलेज फी कम हुआ करता था
लेकिन संयोग से
उसको किसी प्रतियोगिता में सफलता नहीं मिल पाई
उसे प्राइवेट कॉलेज में ही नामांकन करवाना पड़ता
माँ सामर्थ्यहीन थी। …।
लड़का मेधावी है ,पढ़ लिख जायेगा तो
भविष्य में अपनी लड़की से शादी कर देंगे ,
यह सोच मन में रख कर ,उस लड़के का दूर का
एक रिश्तेदार प्रस्ताव रखे कि
लड़के का पढ़ाई का खर्च वो उठायेंगे। …।
लडके की माँ मान गई लड़के की पढ़ाई शुरू हुई
लड़के की पढ़ाई पूरी हो गई
लड़के की छोटी बहन तब तक सयानी हो गई
लड़के और लड़के कि माँ को चिंता अब उसकी शादी की हो गई
क्यूँ कि दहेज़ देने के लिए पैसा नहीं था और
बिना दहेज की शादी सम्भव ही नहीं थी
तब माँ ने बेटे और बेटी की शादी
एक साथ सम्पन्न घराने में तैय की
बेटे का तिलक पहले रखी ,जो जो सामान आया ,
सब सामान बेटी के होनेवाले ससुराल भेज दी
फिर बेटे की शादी की ,शादी में दुल्हन जो सामान लेकर आई
सब सामान के साथ बेटी की शादी कर ,
दोनों माँ बेटे निश्चिन्त हो गए
लेकिन
जब उस रिश्तेदार को पता चला (जो लड़के के पढ़ाई का खर्च उठाया था)
तो वो बहुत हंगामा किया कि उसके साथ धोखा हुआ है ,
{{वो तो इस लालच में था कि एक होनहार दामाद मिल जाएगा}}
किसी तरह बीच बचाव हुआ वो अपनी लड़की की शादी दूसरे लडके से किया
लड़की की शादी जिस लडके के साथ हुई
वो दो भाई बहन थे ,पिता जी थे लेकिन माँ नहीं थी। ....
लड़की को एक बेटा हुआ और शादी के ३-४ साल के बाद ही
उसके पति की मृत्यु हो गई
लड़की के ससुर लड़की को उसके बेटा के साथ
घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया क्यूँ कि
वो अपनी सारी सम्पति अपनी बेटी को देना चाहता था
तभी उस लड़की की मदद के लिए वही लड़का सामने आया
जिसे लड़के के पढाई का खर्च उस लड़की के पिता उठाये थे
कोर्ट कचहरी का काम
घर में प्रवेश
वहाँ उस लड़की की सुरक्षा
समाज में बहुत तरह की बाते फैली
उस लडके का अपना परिवार था
दो पुत्र थे ,पत्नी थी
पत्नी को भी समाज की बातों का यक़ीन था
पति-पत्नी को एक दम्पति से बहुत गहरी दोस्ती थी
दोनों परिवार पडोसी थे
एक दिन सुबह सुबह पति अपने मित्र की पत्नी से उसके घर आकर बोले
मेरी पत्नी घर छोड़ कर जा रही है ,
किसी तरह आप ,आज उसे रोक लीजिये नहीं तो
उसके घर वाले मुझे मरवा देंगे। …।
उस दिन का झगड़ा सलट गया
लेकिन पति का उस लड़की से सम्बन्ध चलता रहा
पति की ही मौत हो गई
जिंदगी छोटी पड़ गई। .......
Monday, 13 January 2014
विनम्र क्षमा
हमें गुमान होता है कि हम अपने देश को जानते हैं
जबकि मैं अपने राज्य के खैनी के पत्ते उपजाने वाले
दलसिंहसराय के हिन्दू के दफनाय जाने की रीत से अनभिज्ञ थी
जबकि हिन्दू का दाह संस्कार होता है .....
शव के शरीर पर ,
जो रामनाम लिखा चादर ओढ़ाया जाता है ,
उसे एक पेड़ में वहीं पर बांध दिया जाता है .....
परसो शाम में ,चौधरी जी की मौत की खबर मिलते ही ,बैचैन हो गई ,अंजू से मिलने के लिए ,उनकी क्या हालत होगी ,इसकी कल्पना भी नहीं करना चाहती थी ,कर भी नही सकती थी ना,बस बैचैनी थी ,जल्दी से जल्दी उनके पास पहुँचने की । इनसे बोली जाना है तो बोले ,काम बहुत है ,श्राद्ध कर्म में जायेंगे ,मेरी बैचैनी देख कर बोले ,तुम जाओ ,कब जाना चाहती हो ?
मैं बोली अभी ,अभी तुरंत
वो बोले इतना खराब मौसम(बारिश और घनघोर कुहास) है ,रात का समय है,कोई ड्राइवर गाड़ी ठीक से नही चला सकेगा,कुछ हो गया तो लेनी की देनी हो जाएगी ,सुबह 6 बजे जाओ 9 बजे तक मुजफ्फरपुर पहुंच जाओगी ,
बहुत गुस्सा आया ......
लेकिन जाहिर नहीं कर सकी .....
गुस्सा मौसम ,उपर बैठे कठपुतली की तरह नचाने वाले पर थी .....
किस पर निकलती ....
सुबह ठीक 6 बजे घर से निकली तो सोची ,
5 बजे ही निकलती तो एक घंटा और पहले पहुंच जाती
लेकिन थोड़ी दूर आने के बाद ,
गाड़ी के नीचे का पट्टी टूट गया
जिसे बनाने में दो घंटा से अधिक तक समय लग गया है
अनजान रास्ता गांव है दलसिंहसराय ,
पहली बार गुजर रही थी , इस तरफ से
शायद गांव है इसलिए गाड़ी बन रही है
रास्ते के एक अनजान आदमी ने मिस्त्री को फोन किया ,
मिस्त्री आया तो दुकानवाला को फ़ोन कर बुलाया ,
गाड़ी की पट्टी जो खरीदनी थी , दुकानवाला आया तो पट्टी खरीदने के बाद ,
कुछ काट - छांट के लिए दुसरे दुकानवाले की और जरुरत पड़ी ,
उसे भी फ़ोन कर बुलाया गया
छोटा गांव , गरीबी चारो ओर बिखरी पड़ी है ,
लेकिन इंसानियत , शर्मसार कर दे महानगर को
जो होता है अच्छे के लिए होता है .....
रात में अकेले निकलना ,बहुत परेशानी होती ...
……
अंजू का सवाल "बताइए न अब कैसे रहेंगे " निरुत्तर हम सब
कैसी लोहडी कैसा खिचड़ी
सबसे पहले , शुभकामनाये , अंजू से मैं शुरू करती थी हरसाल
आप सबों से विनम्र क्षमा इस बार के लिए……
Saturday, 11 January 2014
स्तब्ध हूँ
सोची नहीं थी कि ये आखरी मुलाकात होगी
अभी एक महीना भी तो नहीं गुजरा ....
अभी एक महीना भी तो नहीं गुजरा ....
इतने प्यार से आशीर्वाद देने वाले राहुल के चौधरी चाचा ,
राहुल के पापा के हर सुख -दुःख साथ देने वाले मित्र ……
29 साल से हमारा पारिवारिक रिश्ता था
आज का दिन बहुत सर्द था ……
चौधरी जी किसी काम से बैंक गये थे ,वहीँ वे गिर पड़े ,
वहाँ से उन्हें अस्पताल ले जाया गया ,जहां उन्हें मृत्य घोषित कर दिया गया ……
जिन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी हो उन्हें ठंढ से अपना बचाव करना चाहिए ……
जिन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी हो उन्हें ठंढ से अपना बचाव करना चाहिए ……
दो-चार दिन पहले ही कहीं पढ़ी थी कि
अगर किसी को दिल में दर्द हो तो
जोर जोर से खांसना चाहिए जिससे
अगर दिल का दौरा हो तो इलाज़ का समय मिल जाये ....
सोची जब अंजू से बात होगी तो बताउंगी
लेकिन
I am Old
I LOve Rain
But
I am Old
I am Old
उम्र बढ़ने पर ठंढ ज्यादा तकलीफ देती है ....
जैसे जैसे उम्र बढती जा रही है ,
सर्दी कुछ ज्यादा ही डराती जा रही है ......
उतना ही ठंढ क्यूँ नहीं पड़ता है ,
जितना इन्सान सह सकता हो ......
मौत हावी होती जा रही है .......
मौका मिला .....
दो दिन बिलकुल अकेले रहने को .....
48 घंटे एक कमरे में कैद कर ली अपने को .....
हीटर भोजन लैपटॉप टीवी और बुनाई सहारे ....
कैद कितनी देर रहती ,पास ही तो थे ये नजारे ......
बथुआ ,साग उभरता है चेतन में
छोटा पौधा दिखता है चमन में ....
वारिद रोया
वारिस नहीं आया
बारिश आया
1
शीत लहर
प्रकृति का कहर
चारो पहर
2
तीखा जहर
शीत-बारिश वर
शरीर पर / फसल पर
~~~~~~
पुरानी बात है ....
सभी मुझ से जलते थे कि
मुझे ठंढ क्यूँ नहीं सताती है ……
मेरी सास कहती थीं कि
उन का पैसा बचा देती है ......
बदलता मौसम बच्चो के लिए भी कष्ट दायक होता है …....
वो समय बच्चों के लिए ज्यादा ख्याल रखना खोजता है ……
1-2 साल से 10-11 साल के बच्चों को
Homeopathy
VAROLINUM - 200 / 1 DOSE WEEKLY / 4 WEEKS
दिया जाए तो मिजिल्स(Chicken Pox ) से बचाव होता है .......
ये मेरा निजी अनुभव है …... मैं महबूब का बचाव की हूँ ......
Friday, 10 January 2014
"चौपई" छंद
"चौपई" छंद
"चौपई" एक मात्रिक सम छंद है। इस छंद में चार चरण यानि चार पाद होते है।
प्रत्येक चरण में 15 मात्राओं के साथ ही प्रत्येक चरण में
समापन एक गुरु एवं एक लघु के संयोग से होता है।
अपने समय में इस छंद का प्रयोग धार्मिक साहित्य
जैसे श्लोकादि में किया जाता रहा है।
उत्तम छंद सृजन के लिए अगर इस छंद की रचना करते समय
। । । । ऽ । । ऽ ऽ ऽ । या 4, 4, 7 का
मात्रिक विन्यास रखा जाए तो लयबद्धता अधिक निखर कर आती है।
1
रवि को छिपा लिया है मांद
संझा ले आई है चाँद
जुगनू भेजा है संवाद
तम तज दो अपना उन्माद
............
2
खलती है वृद्धों की छाँव !
भूल नहीं पाती हूँ गाँव !!
सहरा क्या देता है ठाँव !
छाले ही पाता है पाँव !!
...........................
3
दोस्त बनाते ही हैं जाँच
लाख टके की बातें सांच
रिश्ते होते ही हैं कांच
बिखराता है शक का आंच
...........................
3
दोस्त बनाते ही हैं जाँच
लाख टके की बातें सांच
रिश्ते होते ही हैं कांच
बिखराता है शक का आंच
~~
Thursday, 9 January 2014
बोलती तस्वीर
शुभ प्रभात
फेसबुक के एक ग्रुप
सही या गलत लिखती हूँ
निर्णय आप करें
विरागी ढीठ
श्रृंगारिणी है हठी
निहारे पीठ |
~~
प्रतीक्षा ढूँढे
विरहा क्षण टूटे
विरागी मुड़े |
~~
विछोह उष्ण
नारी हुई निस्तेज
आसक्ति ध्वंस |
____________
उलझने ढेर सारी होने वाली ही थी
समय की गति तेज होने वाली ही थी
जवानी के दिन थे ,मस्तानी रातें थी
बच्चें-रिश्तेदारों की जिम्मेदारी थी
रूत भी आने - जाने वाली ही थी
समयाभाव-शिकवा हमसफर को थी
विरहन जिंदगी मिलने वाली ही थी
सरोष राह बदल जाने वाली ही थी ........
~~~~
शुक्रिया और आभार
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प्रघटना
“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...
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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
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आखिर कहाँ से आया 'लिट्टी-चोखा' और कैसे बन गया बिहार की पहचान.... लिट्टी चोखा का इतिहास रामायण में वर्णित है। ये संतो का भोजन होता था...