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लौटती राह
बरसात के बाद भीगी सड़क पर पेड़ों की परछाइयाँ काँप रही थीं, और अत्यधिक ठंड के एहसास से शाम सोने ही जा रही थी। आसमान से झरती कालिमा लिए नीली उ...
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अन्तर्कथा “ख़ुद से ख़ुद को पुनः क़ैद कर लेना कैसा लग रहा है?” “माँ! क्या आप भी जले पर नमक छिड़कने आई हैं?” “तो और क्या करूँ? दोषी होते हुए भ...
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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...





बहुत सुन्दर...जय हिन्द
ReplyDeleteअरे वाह चाची जी ,बहुत बढ़िया ............बहुत सुंदर |जय हिन्द
ReplyDeleteWah didi....jai hind
ReplyDeleteWaah ...Bahut Badhiya .... Jai Hind
ReplyDeleteमुझे ये फोटोज देखकर बहुत अच्छा लगा..एक उत्साह सा मन में उठा।ये वक्त आपके लिए भी कितना सुखद रहा होगा मैं समझ सकती हूँ ..जय हिन्द
ReplyDeleteइस ब्लॉग की सब से अच्छी पोस्ट।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : दिशाशूल : अंधविश्वास बनाम तार्किकता
अरे वाह तुस्सी भी ग्रेट हो जी..क्या बात है..
ReplyDeleteवाह, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
ReplyDeleteझंडा ऊँचा रहे हमारा
ReplyDeleteजय हिन्द
सुंदर ... photograps
ReplyDeleteबसंत पंचमी कि बधाई.../मेरे भी ब्लॉग पर आये
jai hind